कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार द्वापर युग जैसा बन रहा अद्भुत संयोग, किए गए व्रत पूजन होंगे अनंत पुण्य फलदायी और सर्व पापहारी।
कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार द्वापर युग जैसा बन रहा अद्भुत संयोग, किए गए व्रत पूजन होंगे अनंत पुण्य फलदायी और सर्व पापहारी।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी भारत देश ही नहीं पूरे विश्व में मनाई जाती है इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त को आज मनाई जा रही है माना जा रहा है कि इस बार की श्री कृष्ण जन्माष्टमी में द्वापर युग वाले अद्भुत संयोग है इसी मुहूर्त में श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था इस बार की जन्माष्टमी में व्रत और पूजन करने से भक्तों के भाग्य खुलेंगे इस बार की जन्माष्टमी 26 अगस्त को सुबह से ही गृहस्थ जीवन के लोगों द्वारा मनाया जाना शुरू कर दिया जाएगा तो वहीं साधु-संतों द्वारा 26- 27 अगस्त की आधी रात को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि का अद्भुत संयोग बन रहा है यह वही संयोग है जो द्वापर युग में भी श्रीकृष्ण के प्रकट होने पर यही नक्षत्र व राशि का संचरण था।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी में की जाने वाली व्रत पूजा अनंत पुण्य फलदायी मानी जा रही है। देखा जाए तो श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की यह प्रथा द्वापर युग से प्रारंभ है जो आज तक अनवरत जारी है श्री कृष्ण के चरित्र और महिमा का वर्णन भारतीय सनातन धर्म के विभिन्न शास्त्रों में विशेष उल्लेख है जैसे भागवत महापुराण, गीता महाभारत, गर्गसंहिता आदि शास्त्रों में काफी उल्लेख है श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में बुधवार रोहिणी नक्षत्र भादो मांस कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माना जाता है जहां हिंदू सनातन धर्म के विभिन्न संप्रदाय के लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाते है श्री कृष्ण जन्मोत्सव का उत्सव रात 12:00 बजे मनाया जाता हैक्योंकि श्री कृष्ण का जन्म रात में 12 बजे हुआ जबकि वास्तविकता यह है कि श्री कृष्ण का जन्म नहीं बल्कि वो प्रगट हुए इनकी माता देवकी और पिता वासुदेव थे इनके माता पिता को उनके मामा कंस ने कारागार में डाल दिया था और कारागार में ही विष्णु के आठवें अवतार के रूप पर श्री कृष्ण पृथ्वी लोक पर प्रकट हुए थे।
द्वापर युग में मनाई गई थी प्रथम जन्माष्टमी।
प्रथम कृष्ण जन्माष्टमी माता देवकी तथा पिता वासुदेव द्वारा मनाई गई इसके बाद नंद बाबा यशोदा माता द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती थी क्योंकि जिस समय पर श्री कृष्ण का जन्म हुआ पृथ्वी लोक पर कंस द्वारा मानव के ऊपर तथा धर्म के ऊपर दमन किया जा रहा था वासुदेव ने श्री कृष्ण को माता यशोदा के पास ले जाकर छोड़ दिए जहां माता यशोदा तथा नंद बाबा द्वारा इनका पूर्ण रूपेण देखभाल की गई प्रतिभा श्री कृष्ण की 5 साल की उम्र में ही दिखना शुरू हो गई थी जिसके कारण घर और समाज के लोग इनकी बात मानना शुरू कर दिए जहां श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा रोकते हुए पर्वत की पूजा का विधान बताएं जहां जहां इनकी कार्यों की चर्चा पड़ोस तथा पूरे गांव के बाद देश और धर्म में पहुंची तो लोगो की आस्था और विश्वास श्री कृष्ण के प्रति बढ़ा और लोगो को पता चला कि यह मनुष्य नहीं यह ईश्वरी अवतार हैं इसी तरह से पूरे सनातन धर्म अनुयाई उसी समय पर उनके जन्म उत्सव मनाना शुरू किए कल कालांतर में धीरे-धीरे सनातन धर्म विभिन्न वर्गों पर बढ़ता गया किंतु जितने भी वर्ग बने सभी ने श्री कृष्ण को मानने लगें थे दूसरी ओर जानकारो का कहना है कि श्री कृष्णा का अवतार के पूर्व विष्णु चतुर्भुज रूप में आकर माता देवकी और वासुदेव को यह बताया कि विष्णु जी आपके यहां प्रकट होने वाले हैं और इस पृथ्वी लोक पर अपनी लीला करेंगे कई मान्यताएं हैं जहां साधु संत के साथ ही गृहस्थ व्यक्ति भी कृष्ण जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाते है भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में जहां भी हिंदू और सनातन धर्म के साथ ही श्री कृष्ण भक्त हैं जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है श्री कृष्ण का अवतार मथुरा में माना जाता है मथुरा से रातों-रात गोकुल इनके पिता वासुदेव जी ने पहुंचाया मथुरा और गोकुल में आज भी विश्व का सबसे बड़ा जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है।
आधुनिक युग में बढ़ा जन्माष्टमी का महत्व।
जन्माष्टमी पर्व द्वापर युग से आज तक भक्ति भावना के साथ श्री कृष्ण की भक्ति पर लोग लीन रहते हैं भादो कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है कल कालांतर से जन्मोत्सव को मनाने का सिलसिला का स्वरूप आज दूसरा रूप भी पकड़ चुका है आज भगवान के जन्म दिवस के रूप पर मनाया जाने वाला जन्मदिन की तरह ही बड़े महापुरुष और राजनेताओं का जन्मदिन भी मनाया जाने लगा जैसे भारत देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू इंदिरा गांधी डॉ राधाकृष्णन के साथ ही वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक राष्ट्रीय स्तर पर जन्मदिन मनाया जाता है तो वही मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्र में रीवा जिले में पंडित श्रीनिवास तिवारी और वर्तमान में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का जन्मदिन मनाया जा रहा है इस विज्ञान के युग में जो जिस व्यक्ति को अपना आदर्श मानते हैं उसका जन्मोत्सव मनाते हैं देखने में आ रहा है कि युग जितना बदल रहा है जन्माष्टमी का त्योहार उतना ही और बृहद रूप से मनाया जाने लगा है।
द्वापर युग में भी कंस भक्त नहीं मानते थे जन्माष्टमी।
द्वापर युग में भी कंस भक्तों द्वारा श्री कृष्ण का जन्म उत्सव नहीं मनाया जाता था कंस भक्त श्री कृष्ण को देवता नहीं मानते थे इसी तरह से कल कालांतर में समाज में कई परिवर्तन कई नियम कई धार्मिक संगठन समय-समय अनुसार परिवर्तन करते गए किंतु आज भी श्री कृष्ण की महिमा और अस्तित्व को कोई भी हजारों हजारों वर्ष में नहीं प्राप्त कर सका आज भी लोगों की मान्यता है कि श्री कृष्णा अपने भक्तों के दुःख विपदा और अन्य संकटों का हरण करते हैं यही आस्था आज श्री कृष्ण के जन्मोत्सव में लीन रहती है साधु संत भी इसी भक्ति में लीन रहते हैं।
धरती में जन्म लेते रहे हैं देवी देवता।
परिवर्तन सृष्टि का विधान है धरती में त्रेता और द्वापर युग देवी देवताओं ने जन्म लिया माना जाता है कि जब-जब इस पृथ्वी लोक पर अन्याय हुआ है यह माना जाता है देव रूप पर ब्रह्मा विष्णु महेश तथा आदिशक्तियों का किसी न किसी रूप में जन्म लेती है या फिर इनका अवतार होता है कृष्णा जन्माष्टमी के अतिरिक्त श्री कृष्ण की महिमा का बखान भागवत पुराणों में हमेशा से लोग श्रवण करते रहते हैं और यह मानते हैं कि इस मानव जन्म से मोक्ष का प्रमुख साधन है गोवर्धन पहाड़ की पूजा और एक छोटी अंगुली में उठाने का प्रमाण भी मिलता है।