MP news:ये कैसे कानून बनाए हैं सरकार ने? करोड़ों – अरबों रुपये फीस के रूप में वसूलने वाले प्राइवेट स्कूलों पर कोई टैक्स नहीं है!?

MP news:ये कैसे कानून बनाए हैं सरकार ने? करोड़ों – अरबों रुपये फीस के रूप में वसूलने वाले प्राइवेट स्कूलों पर कोई टैक्स नहीं है!?
कानून न्यायालय में बैठा जज नहीं बनाता है! कानून बनाती है सरकार जिसे देश और प्रदेश की जनता विधायकों और सांसदों के माध्यम से चुनती है!
हमारे द्वारा चुने गए विधायकों और सांसदों के बहुमत से बनी सरकारों ने ऐसे कानून बनाए हैं कि समाज के धनाढ्य और बड़े व्यवसायिक घराने ज्यादा से ज्यादा समाज के निम्न और मध्यम वर्गीय वर्ग का आर्थिक रूप से शोषण कर सके! देश और प्रदेश की संपत्ति का ज्यादा से ज्यादा व्यवसायिक दोहन कर सके!
जहां एक तरफ निजी स्कूलों की फीस और घोर व्यवसायिक रवैये से जहाँ शहर का आम नागरिक कराह रहा है! वही दूसरी तरफ सरकार इन्हें सब तरह के करो से छूट के कानूनो को न तो खत्म कर रही है और न ही उन कानूनो में दी गई छूट के बदले इन स्कूलों की फीस मे लगाम लगाने का कोई कानूनी प्रावधान कर रही है!?
मध्यप्रदेश नगर निगम अधिनियम 1956 कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों को नगर निगम के संपत्ति कर, शिक्षा कर (education cess) और नगरीय विकास (urban development tax) से छूट है! उन्हें नगर निगम के ये टैक्स नहीं भरना है!
यह कानून इसलिए बनाया गया था कि समाज के धनाढ्य और कारोबारी वर्ग बच्चों की शिक्षा के लिए, बिना लाभ – हानि के निजी स्कूल सोसाइटी, ट्रस्ट या कारोबारी संगठन के नाम पर संस्था बनाकर देश के भविष्य को शिक्षित कर, एक सभ्य, शिक्षित और संस्कारी समाज व देश का निर्माण करेंगे *समाज और देश के विकास में धनाढ्य और कारोबारी व्यवसाइयों का यह एक योगदान होगा!
लेकिन पिछले मात्र दो तीन दशकों में तकरीबन शहर के उच्च धनाढ्य वर्ग और बड़े व्यवसायीयों ने समाज को शिक्षा का महादान देने की जगह इसे मुनाफे का ऐसा धंधा बना दिया है कि इस शिक्षा के धंधे के मुनाफे के सामने सारे परंपरागत धंधे और उद्योग फेल हो गए!?
रियल एस्टेट, सरकारी ठेकेदार, कोयला व्यापारी, शराब माफिया, नेता, बड़े मीडिया हाउस के मालिक जिसको देखो वो अब शिक्षा के इस धंधे में हर साल करोड़ों – अरबों रुपए का मुनाफा अर्जित कर रहा है! सब ने स्कूल डालने का धंधा शुरू कर दिया है!