Rews MP: सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग की दिल्ली से रीवा आई CRM टीम की विजिट, रही सैर-सपाटा तक सीमित।

Rews MP: सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग की दिल्ली से रीवा आई सीआरएम टीम की विजिट, रही सैर-सपाटा तक सीमित।
मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म के बाबूजी जैसे हालात रातों-रात चमक उठी स्वास्थ्य विभाग की सोई हुई किस्मत।
रीवा जिले में स्वास्थ्य विभाग की जमीनी हकीकत व्यवस्थाओं का भौतिक मूल्यांकन करने दिल्ली से पहली बार रीवा आई 13 सदस्यों वाली सीआरएम टीम 20 नवंबर से रीवा में डेरा डाले हुए हैं दो दिनों में दो सीएससी केन्द्रों और जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया है और 22 नवंबर को शहरी क्षेत्र में जहां स्वास्थ्य विभाग के भवन नहीं है वहां विजिट कराने की तैयारी है और दोपहर बाद रीवा कलेक्ट्रेट में सीआरएम टीम पहुंचेगी जहां कलेक्टर से जानकारी साझा करेंगे, टीम के आने से पहले काफी चर्चा थी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंची थी सीआरएम टीम का पहले 18 नवंबर को रीवा आना बताया गया था जबकि दो दिन बाद 20 नवंबर को सीआरएम टीम भोपाल से रीवा पहुंची टीम के आने से पहले रीवा जिले का स्वास्थ्य महकमा काफी दहशत में था बदहाल पड़ी स्वास्थ्य विभाग की कुछ अस्पतालों की रंगाई पुताई बैनर पोस्टर फर्नीचर और प्रिंटेड रजिस्टरों सहित सभी अभिलेखों का संधारण किया गया रिक्त पदों पर कर्मचारियों की पदस्थापना की गई दवाइयां और अस्पतालों में बंद पड़ी मशीनों को रेडी किया गया सभी तरह से व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया गया जिस गति से अस्पतालों का कायाकल्प हुआ है देखते बनता था लोगों को हैरानी हो रही थी कि अस्पतालों की सोई हुई किस्मत कैसे अचानक जाग उठी कुछ न कुछ बड़ी बात जरूर है क्योंकि ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला।
दिल्ली की सीआरएम टीम सैर-सपाटा तक सीमित।
प्रथम दृष्टया दिल्ली से स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था देखने रीवा आई सीआरएम टीम सैर-सपाटा पिकनिक तक सीमित नजर आ रही है
टीम ने दो दिनों में महज 2 सीएससी केन्द्रों और जिला अस्पताल का निरीक्षण किया है जबकि रीवा और मऊगंज जिले में कुल नौ सीएससी केन्द्र संचालित है और उसके कमांड एरिया में कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित है जहां भ्रमण करने की आवश्यकता है लेकिन जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाए गए रूट प्लान के मुताबिक उन्हीं अस्पतालों में टीम की विजिट कराई जा रही है जहां का कायाकल्प महज़ 10 दिनों के अंदर किया गया है और आगे भी वही दिखाएंगे जहां किराए के भवन में अस्पताल चल रही है अगर टीम द्वारा सभी अस्पतालों खासकर सुदूर इलाकों में जहां स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल भवन हैं तब निरीक्षण का मतलब निकलता अगर सभी अस्पतालों का निरीक्षण नहीं किया जाता तब यही मायने निकाले जाएंगे की सीआरएम टीम विजिट की खानापूर्ति करने आई है न कि उन उद्देश्यों का पालन किया है जिसके लिए दिल्ली से रीवा भेजे गए हैं।
कहां जा रहा करोड़ों का बजट-?
स्वास्थ्य विभाग की सभी अस्पतालों खासकर ग्रामीण क्षेत्रों सुदूर इलाकों की अस्पतालों मे सुचारू रूप से जनता को उपचार की व्यवस्था देने एनएचएम द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं 1 वर्ष में दो बार जनवरी और जुलाई माह में बजट आता है लेकिन यह बजट कहां जाता है और जनता को इससे कितना लाभ हुआ है इसका मूल्यांकन प्रतिवर्ष करना चाहिए हालांकि देर आए दुरुस्त आए दिल्ली की सीआरएम टीम आई जरूर है लेकिन उनके निरीक्षण और रीवा आने का कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है 10 दिन के अंदर तैयार किए गए चका चौंध को दिखाकर रीवा जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपने मकसद में कामयाब होते नजर आ रहे हैं हमारे द्वारा स्वास्थ्य विभाग की अस्पतालों के क्या हालत है कई बार दिखाया जा चुका है उन लाइव खबरों को देखकर ही समझ में आता है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था के हालात कितने बदहाल हैं माना जा रहा है कि महज दो चार अस्पतालों का ड्राफ्ट तैयार कर जिले भर की अस्पतालों का ऑब्जरवेशन किया जाएगा जो न्याय संगत बिल्कुल नहीं कहा जा सकता।
मीडिया से बचते रहे जांच टीम के अधिकारी।
21 नवंबर को जिला अस्पताल में सीआरएम टीम विजिट कर रही थी इस दौरान मीडिया कर्मियों ने टीम से यह जानकारी चाही कि अभी तक कहां कहां विजिट किया गया इसके साथ और भी कई सवाल थे लेकिन टीम के लोगों ने मीडिया कर्मियों को दो-टूक जवाब दिया कि हम अपनी जानकारी मीडिया से किसी भी रूप में सझा नहीं करेंगे जो भी जानकारी चाहिए रीवा जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों से लीजिए, साहब लोग यह भी सुनने को तैयार नहीं थे कि स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी कुछ बातों को मीडिया कर्मी भी उनके साथ साझा करना चाहते हैं क्योंकि यही मीडिया कर्मी स्वास्थ्य विभाग की लगभग सभी खबरों का संकलन करते हैं मीडिया से रूबरू न होने के पीछे उनका चाहे जो भी मकसद रहा हो लेकिन मीडिया सवाल तो उठाएगा ही क्योंकि जनता के टैक्स का पैसा है जिसे सरकार जनता के कल्याण के लिए खर्च करती है।
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ये मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता है जो मऊगंज जिले के निवासी हैं इन्होंने जो लिखा है वही सच्चाई है।