रीवा और मऊगंज जिले में सक्रिय है UP से धान की अवैध भंडारण और बिक्री का संगठित रैकेट, देखिए सटीक खबर।

रीवा और मऊगंज जिले में सक्रिय है UP से धान की अवैध भंडारण और बिक्री का संगठित रैकेट, देखिए सटीक खबर।
रीवा और मऊगंज जिला, उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने से धान की खरीदी और बिक्री का एक संगठित रैकेट के सक्रियता की खबरें सामने आ रही है, जिसमें बिचौलिये और व्यापारी बड़ी मात्रा में अवैध तरीके से धान का भंडारण और बिक्री कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो इसमें केवल स्थानीय किसानों और व्यापारियों का ही नहीं बल्कि इस कारोबार में प्रभावशाली व्यक्तियों की भी संलिप्तता रहती है रीवा और मऊगंज जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में धान की अवैध भंडारण और बिक्री के मामले गंभीर होते जा रहे हैं शासन प्रशासन द्वारा यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो इस व्यापार से न केवल किसानों को नुकसान होगा, बल्कि राज्य की कृषि व्यवस्था और अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि इस रैकेट पर रोक लगाई जा सके और किसानों के अधिकारों और सरकार के अर्थव्यवस्था की रक्षा हो सके।
विचौलिए इस तरह से करते हैं खेल।
रीवा और मऊगंज जिले के उत्तर प्रदेश से सटे क्षेत्रों में बिचौलिये उत्तर प्रदेश के व्यापारियों से संपर्क करके 1600 से 1700 रुपये प्रति कुंटल की दर से वे धान की खरीदी करते हैं और उसे योजनाबद्ध तरीके से पंजीकृत किसानों के नाम पर बेचने के लिए भंडारण करते हैं, यह भंडारण खरीदी के सीजन से पहले ही शुरू हो जाता है ताकि अधिकारियों की जांच से बचा जा सके, बिचौलियों द्वारा पंजीकृत किसानों को चिन्हित किया जाता है और उनके नाम का इस्तेमाल कर अवैध धान की बिक्री की जाती हैं इस खेल में किसान केवल कागजों पर मौजूद होते हैं, जबकि असली लाभ व्यापारी और बिचौलिये उठा रहे होते हैं। बिचौलिये किसानों को लालच देकर एक तय रकम के बदले उनके नाम पर धान बेचने के लिए कहते हैं, लेकिन वास्तविक बिक्री से उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं होता।
बजन तौल में अंतर।
सूत्रों की माने तो बिचौलियों द्वारा तौलने की प्रणाली में भी धोखाधड़ी की जाती है। व्यापारी और बिचौलिये अपने द्वारा खरीदी गई धान की बोरियों का वजन हमेशा एक समान (40-42 किलो) रखते हैं, जबकि किसान जब अपने खेत से धान लेकर आते हैं, तो उनका वजन असमान होता है, किसानों के लिए यह सुनिश्चित करना मुश्किल होता है कि उनकी बोरियां कितनी सही तौल पर बेची जा रही हैं, व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश के बड़े व्यापारियों के साथ मजबूत संपर्क स्थापित कर लिया है। यह उन्हें आसानी से रीवा और मऊगंज जिलों में धान लाने और अवैध तरीके से व्यापार करने का अवसर प्रदान करता है, इन व्यापारियों के पास रीवा और मऊगंज जैसे सीमावर्ती इलाकों में अपने धान का भंडारण करने की सुविधा है, जिससे वे किसी भी जांच से बच सकते हैं।
प्रभावशाली लोगों के संपर्क में रहते हैं विचौलिए।
अभी तक रीवा और मऊगंज जिला प्रशासन इस पूरे मामले से अनजान बना हुआ है। आरोप है कि बिचौलियों और व्यापारियों को प्रभावशाली नेताओं और अधिकारियों का भी संरक्षण प्राप्त होता है, बिचौलिये स्थानीय प्रशासन और सत्ता के प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में अपनी अवैध गतिविधियाँ चलाते हैं, जिनका उद्देश्य अधिक लाभ कमाना होता है कुछ नेताओं के लेटर पैड और सिफारिशों का इस्तेमाल भी व्यापारियों द्वारा किया जाता है ताकि धान की अवैध बिक्री और भंडारण आसानी से हो सके।
किसानों के अधिकारों का हो रहा उलंघन।
किसान अपनी उपज को सरकारी मंडियों में बेचने के बजाय, बिचौलियों द्वारा चिन्हित होने पर उनका नाम फर्जी तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। किसानों को यह नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें इस अवैध व्यापार में कोई वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है, इस तरह से बिचौलिये न केवल किसानों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि पूरे राज्य की कृषि नीति को भी प्रभावित कर रहे हैं ऐसे में प्रशासन को गोदामों और भंडारण स्थलों की गोपनीय जांच करनी चाहिए ताकि इन स्थानों पर अवैध भंडारण और खरीद की गतिविधियों का खुलासा हो सके बिना पूर्व सूचना के इन स्थानों पर छापेमारी से बिचौलियों और व्यापारियों के कृत्य सामने आएंगे।
पंजीकृत किसानों के नाम पर बिक्री की होनी चाहिए जांच।
खरीदी केन्द्रों में जिन किसानों के नाम पर अवैध धान बिक्री हो रही है, उनकी सत्यता की जांच की जाए। साथ ही उनके बैंक खातों की जांच की जाए, ताकि यह पता चल सके कि उनका नाम किस उद्देश्य से इस्तेमाल किया जा रहा है, बिचौलियों द्वारा किसानों के नाम पर धान बेचने के बाद, बैंक खातों में तुरंत बड़ी राशि जमा हो रही है, जिसे कुछ ही दिनों में निकाल लिया जाता है। बैंक लेन-देन की निगरानी से इन गतिविधियों का पता भी लगाया जा सकता है, यह भी देखा जा सकता है कि किसानों के खातों से बाहर ट्रांसफर होने वाली राशि का उद्देश्य क्या है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए जाएं सख्त कदम।
प्रशासनिक अधिकारियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिन व्यापारियों और बिचौलियों के पास सरकारी सिफारिशें और प्रभावशाली नेताओं के लेटर पैड हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए केवल अधिकारियों की जांच से ही भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है, खरीदी सीजन से पहले संबंधित अधिकारियों द्वारा सभी भंडारण स्थलों की गहन और नियमित जांच की जानी चाहिए ताकि इन अवैध गतिविधियों को समय रहते रोका जा सके।
👉 विराट वसुंधरा समाचार द्वारा यह खबर जनहित और लोकहित में प्रकाशित की जा रही है (लेखक संजय पाण्डेय गढ़ पत्रकार) का उद्देश्य है कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का सही इस्तेमाल हो जिससे कि जनता का कल्याण और शासन को आर्थिक क्षति से बचाया जा सके।
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