अभय मिश्रा क्या कर पाएंगे सेमरिया में खेला? कांग्रेसी नेताओं के विरोध का क्या?

अभय मिश्रा क्या कर पाएंगे सेमरिया में खेला? कांग्रेसी नेताओं के विरोध का क्या?

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अभय मिश्रा क्या कर पाएंगे सेमरिया में खेला? कांग्रेसी नेताओं के विरोध का क्या?

 

राजनीति जो इस समय अपने चरम पर है। राजनीति जो इस समय अपने निम्न स्तर पर है। राजनीति जिसके नाम पर नेता खेला कर रहे हैं। राजनीति और जनसेवा जिसके नाम पर नेताजी लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति कर रहे हैं। सत्ता सुख की लोलुप्ता में घुंघरू की तरह कभी इस पग तो कभी उस पग में बंध रहे हैं,
मानो राजनीति ना हो गई कोई खेल हो गया। जब मन किया इस दिल में, जब मन किया उस दल में। नेता सिर्फ अपने निजी स्वार्थ के लिए पार्टी बदल रहे हैं जबकि कट्टर समर्थक, पार्टियों के कार्यकर्ता इन नेताओं के दल बदलने से परेशान है। 24 घंटे भी नहीं बीतने पाते कि यह एक खेमे से दूसरे खेमे में आ जाते हैं। आलम यह है कि इनके रंग बदलने से गिरगिट भी शर्मसार है। अरे लोग तो यह कह रहे कि इतना जल्दी तो क्रिकेट के खेल में ओवर भी नहीं बदलता जितना जल्दी यह दल बदलते हैं। हम बात कर रहे हैं रीवा जी हा जिला रीवा की जिसके अंतर्गत अब छह विधानसभा आ रही है जबकि नवनिर्मित मऊगंज में दो विधानसभा स्थानांतरित हो गई है।

रीवा जिले की यूं तो हर विधानसभा में कुछ ना कुछ खास है, कुछ ना कुछ अपवाद है, परंतु इस समय दो विधानसभा और उनसे जुड़े नेताओं के चर्चे कुछ ज्यादा ही है। सेमरिया विधानसभा और त्यौंथर विधानसभा इस समय हॉटस्पॉट बने हैं। बात करें सिमरिया विधानसभा की तो भारतीय जनता पार्टी से केपी त्रिपाठी का टिकट तय माना जा रहा है तो वही कांग्रेस की बात करें तो अभी कांग्रेस ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की है जिसमें सिमरिया से अभय मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है। खास बात इसमें यह है कि अभी महज 2 दिन पहले अभय मिश्रा ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दिया, इस्तीफा देने के बाद एक पत्र और वायरल हुआ जिसमें सिमरिया के आठ दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने पीसीसी चीफ़ कमलनाथ को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने गुजारिश की की अभय मिश्रा को कांग्रेस की सदस्यता ना दिलाई जाए साथी उन पर कई प्रकार के आरोप प्रत्यारोप लगाए जो की काफी गंभीर है परंतु यह पत्र वायरल होने के कुछ ही घंटे के अंदर कांग्रेस की दूसरी सूची जारी हुई जिसमें सेमरिया से अभय मिश्रा को टिकट दे दिया गया। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि सेमरिया के आठ दिग्गज कांग्रेसी नेता और विभिन्न ब्लॉक अध्यक्षों ने जो पत्र कमलनाथ को लिखा था उसे पत्र का क्या औचित्य रह गया, क्या महत्व रह गया।

राजनीतिक विश्लेशको का कहना है कि इससे क्या यह मान लिया जाए की कांग्रेस आलाकमान को इस बात की कतई चिंता नहीं की सेमरिया के दिग्गज नेताओं ने सामूहिक रूप से जो अभय मिश्रा का विरोध किया था, उस विरोध का क्या। क्या कांग्रेसी आला कमान को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। खास बात यह भी की अभी अभय मिश्रा की कांग्रेस में सदस्यता लेने की कोई खबर नहीं आई है। लेकिन कांग्रेस आला कमान ने अपनी दूसरी सूची में उनको टिकट दे दिया। लोग सवाल उठा रहे हैं की टिकट देने की इतनी भी क्या जल्दी थी।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अपनी ही पार्टी के दिग्गत क्षेत्रिय नेताओं के विरोध और अंतर्कलह के बावजूद अभय मिश्रा सेमरिया में कांग्रेस पार्टी को और खुद को जीत दिला पाएंगे। क्या अभय मिश्रा कांग्रेस के क्षेत्रीय दिग्गज नेताओं को मना पाएंगे। यह सारे सवाल हैं जिन सवालों के जवाब समय के गर्भ में सुरक्षित है , परंतु इतना जरूर है कि आने वाले दिनों में सेमरिया हॉटस्पॉट बना रहने वाला है और राजनीतिक हलचलें तेज होने वाली है।

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