Singrauli News: केन्द्रीय कोयला मंत्रालय ने लिया संज्ञान

आउटसोर्सिंग का मामला गरमाया, बैठायी गयी जाँच
Singrauli News: एनसीएल की परिेायजनाओं में कोयले पर से मिट्टी की परत हटाने का काम कर रही आउटसोर्सिंग कंपनी की गतिविधियों को केन्द्रीय कोयला मंत्रालय ने संज्ञान में ले लिया है। शिकायत की गयी थी कि एनसीएल की खड़िया, अमलोरी एवं झिगुरदह परियेाजनाओं में ओवर वर्डेन के निस्तारण का कार्य कर रही आउटसोर्सिंग कंपनी कलिंगा कमर्शियल कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा सारी प्रक्रियाओं में मापदण्डों को दरकिनार करके प्रक्रिया अपनायी जा रही है। जिससे केन्द्र व राज्य सरकारों को भारी नुकसान पहुंच रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुये, मामले की जांच को कोयला मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डा. मानिक चन्द्र पंडित को सौंपी गयी है। उक्त आउटसोर्सिंग कंपनी पर दूसरे राज्यों में पंजीकृत मशीनों, वाहनों के परिचालन का आरोप लगाया जा रहा है जो कि कथित रूप से अवैध है। आरोप लगा है कि कथित रूप से अन्य राज्यों में पंजीकृत हैवी माइनिंग इक्यूपमेंट(एचइएम)बिना परमिट एवं समुचित दस्तावेजों के ही काम किया जा रहा है।
सुविज्ञ सूत्र बताते हैं कि कलिंगा कामर्शियल कारपोरेशन लिमिटेड झिंगुरदह में सौ उच्च भार परिवहन क्षमता वाले वोल्वो डंपर, १५ उच्च क्षमता वाले पोकलेन मशीन, एक लोडर, तीन ग्रेडर, छ: डोजार एवं बसों का संचालन करती है। इसी तरह अमलोरी परियोजना क्षेत्र में १५० वोल्वो डंपर, ३४ पोकलेन मशीन, तीन ग्रेडर, छ: डोजर तथा खड़िया कोयला परियोजना क्षेत्र(Kharia Coal Project Area) में लगभग पचास वोल्वो डम्पर, पाँच पीसी मशीन, डोजर, ग्रेडर एवं अन्य उपकरण संचालित किये जा रहे हैं।
एनसीएल की परियोजनाओ(NCL Projects) में वाहनों एवं मशीनों के संचालन में अन्य मापदण्डों का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। जैसे निर्धारत क्षमता के तहत ही बारूदी विस्फोट करना। निर्धारित क्षमता के अंतर्गत ही वाहनों को लोड करना, तथा प्रदूषण नियंत्रण के जितने भी संसाधन शर्तों में निहीत है उनके पालन में भी मनमानी की जा रही है। उक्त कंपनी के डम्पर क्षमता से ज्यादा लोड लेकर निर्धारित गति को ध्यान में न रखते हुये ट्रिप लगाते हैं जिससे कि तेजी से प्रदूषण हो रहा है। हाल रोड पर समुचित जल छिड़काव भी नहीं किया जा रहा है जिससे पूरा क्षेत्र प्रदूषण की विभीषिका में नहा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(pollution control board) भी कर्तव्यच्युत होकर चैन की नींद सो रहा है। मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश की सीमाओं(boundaries of uttar pradesh0) में अवस्थित उक्त खदानों में दो जिलों के प्रशासन(Administration) के जिम्मेदारों की जिम्मेदारी बनती है। लेकिन यदि देखा जाये तो प्रशासनिक स्तर पर कुछ भी ऐसा नहीं किया जा रहा है जिससे कि कंपनी की सेहत पर कोई असर पड़ सके।
इतना ही नहीं कंपनी ने स्थानीय लोगों की भर्ती में लाखों रूपये की दलाली भी ज्वलंत मुद्दा बनकर के क्षेत्र में उभरा है। कंपनी(company) के जिम्मेदार लोग दलालों से मिलकर बेरोजगारों, अनपढ़ों तथा ग्रामीण युवओं से जिस तरह की वसूली कर रहे हैं यह भी जाँच का विषय है।
Kalinga पर लगे आरोप जाँच का विषय हैं और जाँच बैठायी जा चुकी है। अब देखना यह है कि जाँचकर्ता को जाँच में क्या मिलता है या औपचारिक लीपापोती के बाद मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है।