ठंड से बचने कर रहे हैं हीटर, ब्लोअर और अंगीठी स्तेमाल तो हो जाएं सावधान यह हो सकता है जानलेवा।

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ठंड से बचने कर रहे हैं हीटर, ब्लोअर और अंगीठी स्तेमाल तो हो जाएं सावधान यह हो सकता है जानलेवा।

देश भर में नवंबर से जनवरी तक हो रही 6 लाख से अधिक मौतें और फरवरी से अक्टूबर तक लगभग 86 हजार मौतें।

 

इन दिनों सर्दियों का मौसम चल रहा है और ऐसे में ठंड से बचने के लिए लोग हीटर ब्लोअर और अंगीठी का इस्तेमाल कर रहे हैं प्रायः देखा जा रहा है कि ठंड के मौसम में हृदय रोगियों की संख्या काफी बढ़ जाती है और हृदय रोग से मरने वालों की संख्या सर्दियों में अत्यधिक होती है हृदय रोग के कई कारण हो सकते हैं लेकिन उसमें से एक कारण यह भी हो सकता है कि आप बंद कमरे में हीटर ब्लोअर और अंगीठी जैसे उपकरणों का ठंड के बचाव में गलत तरीके से प्रयोग कर रहे हैं जो जानलेवा साबित हो सकता है हीटर या अंगीठी ठंड से बचाव करते हैं और ठंड से बचने के लिए अंगीठी का इस्तेमाल वर्षों से हो रहा है। इसमें लगातार लकड़ी डालने की ज़रूरत पड़ती है। साथ ही धुंआ भी काफी होता है। शहरों में आजकल अंगीठी कम और हीटर का उपयोग ज़्यादा होता है। इसका इस्तेमाल आसान भी है। हीटर और अंगीठी आपको गर्म रखना का काम ज़रूर करते हैं, लेकिन इसका सही तरीके से उपयोग करना ज़रूरी है। हम जिस तरह इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, वो जानलेवा साबित हो रहा है।

हीटर ब्लोअर और अंगीठी से होने वाले नुकसान।

अधिक ठंड का मौसम में खुद को गर्म रखने के लिए कई बार गर्म कपड़े काफी नहीं होते। इसके साथ हीटर, अंगीठी या फिर ब्लोअर का इस्तेमाल भी लोगों को करना पड़ता है। सर्दी के मौसम में ज़्यादातर लोग इन चीज़ों का उपयोग अत्यधिक करते हैं इस दौरान कार्बन मोनोऑक्साइड के कारण मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता है। तो ऐसे में इन चीज़ों का सही तरीके से इस्तेमाल के बारे में जानना ज़रूरी है लकड़ी या फिर कोयला पत्थर और लकड़ी के कोयले से जलाई जाने वाली अंगीठी और रूम हीटर का गलत तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए खासकर कभी भी बंद कमरे में नहीं चलाना चाहिए। इससे कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है। कार्बन मोनोऑक्साइड को सांस के ज़रिए शरीर के अंदर ले लेने से इंसान की मौत हो सकती है। सर्दी में अंगीठी, ब्लोअर और हीटर तीनों चीज़ें ऑक्सीन के स्तर को कम करती हैं। जिससे सांस से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

बंद कमरे में न करें ऐसी ग़लती।

ठंड से बचने हीटर या अंगीठी का इस्तेमाल वर्षों से हो रहा है। अंगीठी में लगातार लकड़ी डालने की ज़रूरत पड़ती है। साथ ही धुंआ भी काफी होता है। शहरों में आजकल अंगीठी कम और हीटर तथा ब्लोअर का उपयोग अधिक होता है। इसका इस्तेमाल आसान भी है पक्के मकान में लगभग अंगीठी का उपयोग बहुत कम हो गया है और अब शहर ही नहीं गांव में भी पक्के मकान अधिकांश बन गए हैं ठंड से बचने के लिए लोग कमरे के खिड़की दरवाजे भी बंद कर लेते हैं और हीटर का इस्तेमाल करते हैं अगर यह इस्तेमाल लगातार कर रहे हैं और अत्यधिक समय के लिए कर रहे हैं तो यह जानलेवा साबित हो सकता है अंगीठी या फिर हीटर को कभी भी बंद कमरे में नहीं चलाना चाहिए। इससे कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है। कार्बन मोनोऑक्साइड को सांस के ज़रिए शरीर के अंदर ले लेने से इंसान की मौत हो सकती है। सर्दी में अंगीठी, ब्लोअर और हीटर तीनों चीज़ें ऑक्सीन के स्तर को कम करती हैं। जिससे सांस से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं‌ इसके साथ ही दिल के मरीजों की संख्या बढ़ती है और हार्ट अटैक की भी संभावना बढ़ जाती है।

कच्चे मकानों में नहीं है अधिक खतरा।

हीटर ब्लोअर और अंगीठी का इस्तेमाल अगर कच्चे खपड़ैल मकान में किया जाता है तो इससे खतरा कम होता है क्योंकि घर के बाहर से किसी न किसी तरह ऑक्सीजन घर के अंदर प्रवेश करता रहता है और कार्बन मोनोऑक्साइड अधिक नहीं बन पाती लेकिन अब शहर के साथ गांव में भी पक्के मकान बन गए हैं बंद कमरों में गांव में भी ठंड से बचने के लिए लोग हीटर और अंगूठी जैसे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो खतरनाक साबित हो सकता है अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रतिष्ठित डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के बताए अनुसार देश भर में जहां फरवरी से अक्टूबर तक 86 हजार लोगों की मौत हो रही है तो वहीं नवंबर से जनवरी तक लगभग 6 लाख लोगों की मौत का आंकड़ा पहुंच जाता है ऐसा नहीं है कि सर्दी के मौसम में अत्यधिक हो रही मौतों का कारण हीटर और अंगीठी ही है अत्यधिक मौत बीमारी या अन्य कारणों से भी हो रही हैं।

 

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