सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से राजनीतिक दलों की खुलेगी पोल आतंकवादियों, माफिया, उद्योगपतियों से मिलने वाले चंदे का होगा खुलासा: एड प्रवीण पांडेय।

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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से राजनीतिक दलों की खुलेगी पोल
आतंकवादियों,माफिया, उद्योगपतियों से मिलने वाले चंदे का होगा खुलासा: एड प्रवीण पांडेय।

राजनीतिक दलों के चंदे पर सर्वोच्च न्यायालय की चली चाबुक वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण पांडेय ने बताया सही, चुनाव प्रक्रिया में सुधार होने की कहीं बात।

जबलपुर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण पाण्डेय ने कहा है कि बीते सप्ताह देश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से पूरे देश में खुशी का माहौल है मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए एडवोकेट प्रवीण पांडेय ने कहा कि देश की सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी चंदे इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताया है और इस पॉलिसी को रद्द कर दिया है क्योंकि चुनाव बॉन्ड की योजना सूचना के अधिकार कानून (RTI) के खिलाफ है अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग को 2019 से अब तक की जानकारी तलब करनी होगी और बॉन्ड जारी करने वाले एसबीआई को भी यह जानकारी देनी होगी कि अप्रैल 2019 से लेकर अब तक कितने लोगों ने कितने-कितने रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं अब राजनीतिक दलों की फंडिंग में शामिल ब्लैक मनी काला धन सामने आएगा।

राजनीति में काला धन का होगा खुलासा।

राजनीतिक दलों द्वारा गलत तरीके से धन एकत्रित किया जाता था यह धन कहां से आया किसने दिया आतंकी संगठनों ने दिया या फिर माफिया और उद्योगपतियों ने दिया अब इसके बाद सभी तरह के राजनीतिक दलों के आय के स्रोत सार्वजनिक होंगे जिससे कि यह तय होगा कि सत्ता में काबिज होने के बाद राजनीतिक दलों ने कहीं ऐसा तो नहीं है कि चंदे से मिली राशि से प्रभावित होकर सरकार में बैठे नेता नाजायज लाभ ले रहे हैं श्री पांडेय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत ही अच्छा निर्णय दिया इस निर्णय से अधिवक्ता गण ही नहीं पूरे देश की जनता का विश्वास सर्वोच्च न्यायालय पर बढ़ा है आने वाले समय में चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी होगी और चुनावी खर्चे की राशि भी पारदर्शी होगी अभी तक ऐसा होता आया है कि शासन चुनावी खर्चे में एक सीमा तय करके रखती थी लेकिन उस सीमा को लांघते हुए राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अनाप-शनाप तरीके से धन खर्च करके वोट खरीदने का काम करते थे राजनीतिक दलों द्वारा अब आमदनी और खर्च का लेखा-जोखा देना होगा जिससे चुनाव प्रक्रिया में सुधार आएगा।

चुनाव आयोग के सिस्टम पर सवाल।

श्री पांडेय ने वर्तमान राजनीतिक हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब चुनाव बहुत महंगा हो गया है आम आदमी चुनाव नहीं लड़ सकता जिसके कारण जनता को सही जन प्रतिनिधि नहीं मिलता सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से अब चुनाव प्रक्रिया में कुछ बेहतर सुधार होने की गुंजाइश बढ़ी है हालांकि सरकार पहले से ही चुनावी खर्चों का दायरा तय करके रखती थी बावजूद इसके प्रत्याशियों द्वारा गलत तरीके से अवैध रूपए खर्च करके चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया जाता रहा है क्योंकि चुनाव आयोग भी राजनीतिक दलों की द्वारा ही गठन किया जाता है इसलिए चुनाव आयोग के अधिकारी राजनीतिक दलों के दबाव में काम करते हैं।

धन लगाओ धन कमाओ की राजनीति।

श्री पांडेय ने कहा कि वर्तमान समय में जो राजनीति चल रही है उसमें धन लगाओ धन कमाओ चल रहा है सेवा भाव से राजनीति नहीं की जा रही बल्कि राजनीति धन कमाने की कुंजी बना दी गई है सरकार में बैठे लोग कोई भी घोषणा कर देते हैं उस पर अमल नहीं करते कोरोना के समय अनाथ हुए बच्चों को ₹4000 महीने देने का सरकार ने वादा किया था लेकिन उन अनाथ बच्चों को अभी तक सरकार ने कुछ नहीं दिया और अनाथ गरीब बच्चे मजदूरी करने के लिए विवश है राजनीति के इस स्वरूप के लिए राजनीतिक दल के नेता ही नहीं जनता भी जिम्मेदार है क्योंकि जनता ही गलत लोगों का चुनाव करती है राजनीति में इस समय व्यापार से जुड़े लोग शामिल हो रहे हैं सरकार के पदों में रहते भ्रष्टाचार करने वाले नौकरी छोड़कर या फिर रिटायर होकर राजनीतिक दलों की शरण में जाते हैं चुनाव लड़ते हैं इसके साथ ही गुंडे माफियाओं के लिए भी राजनीति सबसे सुरक्षित जगह बन गई है ऐसे में जनता को समझना होगा कि किस तरह का जनप्रतिनिधि चुनना चाहिए।

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