रीवा

Rewa news, कंक्रीट का रीवा बनाने में माहिर गिट्टी बाबू ने वृक्षों का कराया दोहन: शिव सिंह।

Rewa news, कंक्रीट का रीवा बनाने में माहिर (गिट्टी बाबू) ने वृक्षों का कराया दोहन: एड. शिव सिंह।

रीवा। भारत की जलवायु पर्यावरण को स्वस्थ एवं दुरुस्त रखने काफी अर्से से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार एवं बुजुर्गों का एक नारा था कि एक वृक्ष 10 पुत्र समान लेकिन आज के सफेद पोश नेताओं ने सरकार में बैठकर धन कमाने के चक्कर में उस नारे की अहमियत को ही भूल गए जिसका खामियाजा हम सबको आज भुगतना पड़ रहा है भीषण बढ़ते तापमान के चलते आदमी जानवर पशु पक्षी कीड़े मकोड़े कोई सुरक्षित नहीं है जब इस धरती में जीव ही नहीं रहेगा तो फिर यह धरती किस काम की उक्त महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर विंध्य प्रदेश की हरी भरी राजधानी रही रीवा के संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव सिंह एडवोकेट ने कहा कि एक समय था जब रीवा का हर एक इलाका वृक्षों की हरियाली से हरा भरा था जिससे यहां का पर्यावरण एवं जलवायु काफी बेहतर थी लेकिन विगत 15 वर्षों से वृक्षों का जो दोहन मध्य प्रदेश के रीवा जिले में हुआ है वह कहीं नहीं हुआ।

श्री सिंह ने कहा कि यहां सरकार के जो भी मंत्री विधायक रहे उन्होंने अपने खानदानी पसंद के काम करना शुरू किए चाहे वह सड़कों का निर्माण हो चाहे पुल पुलिया चाहे फ्लाईओवर चाहे पूंजीपतियों उद्योगपतियों को समर्पित बड़ी-बड़ी व्यवसायिक इमारतें रही हों या शासकीय इमारतें इन सभी के निर्माण में जो जो भी रोड़ा बने चाहे वह 100 से 200 साल पुराने फलदार इमारती छायादार वृक्ष रहे हो या कोई इंसानी ताकत रही हो सबको जमीदोज करके धन भी कमाए व अपने आप को महिमा मंडित भी किए ऐसे गिट्टीकारण के विकास में जो भी वृक्ष काटे गए थे उन काटे गए वृक्षों के बदले सरकार की गाइडलाइन मुताबिक प्रत्येक वृक्ष के बदले उसी प्रजाति के 10 वृक्ष लगाने थे और वृक्ष का रूप लेने तक उसकी परवरिश भी करना था लेकिन आज तक सरकार की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया।

 

श्री सिंह ने कहा कि जहां भी वृक्ष काटे गए वहां सिर्फ कनेर के पौधे दिखाई दे रहे हैं और रही बात रीवा शहर के अंदर की जहां प्रत्येक वर्ष सरकार की जारी वृक्षारोपण की अलग-अलग योजनाओं के मुताबिक विगत 15 वर्षों में लाखों वृक्ष लगाए जाते रहे प्रत्येक वर्ष करोड़ों का बजट आता रहा आज भी वृक्षारोपण पखवाड़ा चल रहा है लेकिन उन लगाए गए वृक्षों का एक भी आंकड़ा जमीन पर नजर नहीं आ रहा है सिर्फ दस्तावेजों तक सीमित है मतलब सरकार के लोग गिट्टी बाबू बनकर रीवा जिले को कंक्रीट का रीवा बनाने का काम किए और बड़े स्तर पर वृक्षारोपण का दोहन कराए जिसका खामियाजा आज हम सबको भुगतना पड़ रहा है इसलिए पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए हम सबको मिलकर अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की जरूरत है।

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