शहडोल-मैहर बार्डर पर हाथियों की चहलकदमी ,पैपखरा और बासी में मिले झुण्ड के फुट प्रिंट
सतना . हाथियों के दल का शहडोल की सीमा से भाग कर मैहर क्षेत्र में पहुंचने की घटना को सप्ताह भर होने जा रहा है. लेकिन तब से लेकर अब तक हाथियों का मूवमेंट दोनों जिले के सीमा से सटे गावों में बना हुआ है. लेकिन इसके बावजूद भी वन अमला हाथियों के झुण्ड तक पहुंचने और उन्हें वापस लौटाने में नाकाम साबित होता दिखाई दे रहा है.
शहडोल और मैहर जिले की सीमा पर मौजूद गांव बासी से होते हुए जरउहा, पैपखरा और डढिय़ा में हाथियों के झुण्ड के गुजरने के निशान स्पष्ट तौर पर देखे गए. ग्रामीणों ने बताया कि मंगलवार की रात 11 बजे के लगभग हाथियों का झुण्ड इस क्षेत्र में विचरण कर रहा था. खेतों से विचरण करने के दौरान हाथियों ने वहां पर लगी एक मोटर को पानी से भरी कच्ची नाली में ढकेल दिया. हाथियों के झुण्ड का खेतों और आस पास के क्षेत्र में विचरण करने के चलते एक ओर जहां फसालों को नुकसान पहुंचा वहीं दूसरी ओर आस पास के रहवासी अपनी सुरक्षा को लेकर खासे चिंतित भी हो गए. जिसे देखते हुए ग्रामीणों द्वारा एकत्रित होकर विशेष सतर्कता बरतनी शुरु कर दी है. ग्रामीणों के अनुसार हाथियों के झुण्ड के विचरण को लगभग सप्ताह भर पूरा होने जा रहा है. लेकिन समय समय पर सूचना उपलब्ध कराए जाने के बावजूद भी जिम्मेदार वन अमला अब तक हाथियों के झुण्ड को वापस भेज पाने में नाकाम साबित हुआ है.
गौरतलब है कि शहडोल जिले के कुमिया, रमपुरवा और सुखाड़ा गावों में 28 नवंबर की रात हाथियों का मूवमेंट देखा गया था. जिसके चलते वहां के ग्रामीणों द्वारा पटाखे फोड़कर हाथियों को खदेड़ दिया गया था. वहां से खदेड़े जाने के बाद हाथियों का झुण्ड भागकर मैहर जिले के रामनगर परिक्षेत्र अंतर्गत हरियरी गांव में आ गया था. इसी दौरान झुण्ड से अलग हुआ अर्ध वयस्क हाथी भटकते हुए रामनगर परिक्षेत्र की जिगना बीट अंतर्गत मचटोलवा पहुंच गया. जहां पर संतोष द्विवेदी के खेत के ऊपर लटक रही 11 केवी की विद्युत लाइन की चपेट में आने से उसकी दु:खद मौत हो गई थी. उक्त घटना के बाद से वन अमले द्वारा हाथियों के झुण्ड तक पहुंचने का लगातार प्रयास किया जा रहा है.