Bhopal news:आयुष्मान से पैसा डकार रहे अस्पतालों पर कसेंगे नकेल!
ऑनलाइन मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर से पकड़ेंगे योजना में होने वाली गड़बड़ियां
06 माह में सॉफ्टवेयर के तैयार होने की संभावना, काम शुरू
भोपाल. आयुष्मान योजना में गड़बड़ियां करने वाले अस्पतालों पर नकेल कसने की तैयारी है। प्रदेश का आयुष्मान कार्यालय इसकी ऑनलाइन मॉनीटरिंग की व्यवस्था करने जा रहा है। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर बनवाया जा रहा है। इसमें मरीजों के भर्ती होने के बाद से अस्पताल से तय फॉर्मेट में ऑनलाइन जानकारियां ली जाएंगी। इनका सॉफ्टवेयर से एनालिसिस होगा। नियमों से इतर कुछ भी फैक्ट पकड़ में आने पर संबंधित अस्पताल को नोटिस जारी किया जाएगा। इसके बाद नियमानुसार कार्रवाई होगी। यह इनोवेशन करने वाला मप्र पहला राज्य होगा। यह सॉफ्टवेयर 6 माह में तैयार होने की संभावना है। गौरतलब है कि अभी आयुष्मान योजना में कार्ड बनवाने से लेकर मरीजों के इलाज में कई तरह की गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही हैं। इनकी जांच कराई जाती है लेकिन इसमें काफी समय लग जाता है। इसलिए आयुष्मान के प्रदेश कार्यालय ने ऑनलाइन गड़बड़ियां पकड़ने की योजना तैयार की है। इस पर काम शुरू भी शुरू हो गया है।
इस तरह पकड़ेंगे गड़बड़ियां
आयुष्मान भारत योजना मप्र के सीईओ डॉ. योगेश भरसट ने बताया कि हम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन गड़बड़ियां पकड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसमें अस्पतालों से जो जानकारियां, फोटो, वीडियो आदि लिए जाएंगे उसी से सॉफ्टवेयर खुद ही गड़बड़ी पकड़ लेगा। इससे अभी जो गड़बड़ियां हो रही हैं उन्हें कम करने में मदद मिलेगी। जो निजी अस्पताल गड़बड़ी करते पाए जाते हैं, उनके खिलाफ चार प्रकार की सजा है। इसमें उनकी संबद्धता का निलंबन, पेनाल्टी, एफआइआर और योजना से संबद्धता खत्म करना शामिल है। अधिकारियों के अनुसार सॉफ्टवेयर में निजी अस्पतालों को भर्ती मरीज का पूरा डिटेल डालने के साथ उसके फोटो और वीडियो भी लोकेशन टैग कर डालना होंगे। कॉल सेंटर के माध्यम से भी मरीजों और उनके परिजनों से बात की जाएगी। यह देखा जाएगा कि केस शीट में जो बीमारी बताई गई है उसके लिए भर्ती करने की जरूरत थी या मरीज घर में ही दवाओं से ठीक हो सकता था। मरीज को बिना अनुमति पैकेज में तय समय से ज्यादा दिन भर्ती रखने पर सॉफ्टवेयर अलर्ट करेगा। आइसीयू में यदि तय प्रोटोकॉल पूरा किए बिना भर्ती किया जाता है तो भी अलर्ट आ जाएगा।
ऐंठ रहे रुपए
पिछले साल जब इंदौर के कुछ अस्पतालों की जांच की गई तो पाया गया था कि भर्ती के लिए जितने मरीजों का पंजीयन पोर्टल पर दिखाया था, उतने मरीज ही नहीं थे। यानी फर्जी मरीज भर्ती दिखाकर आयुष्मान का पैसा लिया जा रहा था।
मरीजों को पैकेज में तय दिनों से ज्यादा समय के लिए भर्ती दिखाया जाता है।
फर्जी दस्तावेजों से आयुष्मान कार्ड बनवाने की काफी शिकायतें आती हैं।
मरीजों की अनावश्यक महंगी जांचें कराकर उनके पैकेज के पैसों को जल्दी खत्म कर दिया जाता है।
कई बार पैकेज में कम राशि शेष होने पर भर्ती ही नहीं किया जाता है।
पैकेज के अनुसार इलाज न कर महंगी प्रोसीजर से इलाज किया जाता है।
जरूरत नहीं होने पर भी आइसीयू में रखा जाता है और ऑक्सीजन दी जाती है।