जबलपुर हाईकोर्ट का एतिहासिक निर्णय, गैंगरेप मामले में पुलिस की चार्जशीट हुई निरस्त।
विराट वसुंधरा
जबलपुर। महिला सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा कई तरह के कानून बनाए गए हैं महिलाओं पर होने वाले अत्याचार गंभीर अपराध की श्रेणी में आते है लेकिन अपराध का स्वरूप, पीड़िता के बयान, अभियोजन की कहानी और पुलिस की चार्ज शीट तथा लगाए गए आरोप ही न्याय के लिए महत्वपूर्ण कड़ी होती है तो वहीं कुछ ऐसे भी मामले होते हैं जहां ईर्ष्या द्वेष और बदले की भावना से भी पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा दी जाती है ऐसे मामलों में अपने बचाव के लिए आरोपीगण अपील के माध्यम से उच्च न्यायालय की शरण लेते हैं ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर एकल पीठ ने एक दुष्कर्म के मामले में लंबित आपराधिक प्रक्रिया और पुलिस द्वारा पेश की गई चार्जशीट को निरस्त कर दिया है यह निर्णय पीड़िता के बयान के आधार पर लिया गया है इस मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि लड़की अपनी मर्जी से उस युवक के साथ गई थी, और युवक के साथ युवती का चार वर्षों से संबंध था इसके साथ ही पीड़िता के उस बयान को भी हाईकोर्ट ने आधार मानकर ऐतिहासिक निर्णय दिया है जिसमें कहा गया था कि पीड़िता ने अपने स्वजनों की इच्छा के विरुद्ध उसकी शादी किसी अन्य युवक से कराई गई थी।
यह था मामला।
घटना मध्यप्रदेश के देवास की है जहां जबलपुर हाई कोर्ट ने पीड़िता के दिए गए बयान के आधार पर ही दुष्कर्म के मामले में लंबित आपराधिक प्रक्रिया और पुलिस द्वारा पेश की गई चार्जशीट को निरस्त कर दिया है इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर की एकलपीठ ने ऐतिहासिक निर्णय करते हुए कहा कि पीड़िता के बयान से स्पष्ट है कि वह अपनी मर्जी से उस युवक के साथ गई थी, और वह पिछले चार वर्ष से रिलेशनशिप में युवक के साथ रही थी। पीड़िता ने पुलिस को दिए अपने बयान में यह बताया था कि उसके इच्छा के विरुद्ध उसकी शादी परिजनों ने दूसरे युवक से
कराई थी।
अपीलार्थियों की ओर से इन्होंने की पैरवी।
पुलिस द्वारा बनाए गए आरोपी देवास निवासी दिनेश परमार, राजेश परमार, ओम प्रकाश, विकास परमार व पवन परमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण कुमार पाण्डेय और वैभव पाण्डेय ने हाईकोर्ट में अपीलार्थियों का पक्ष रखा। अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह दलील दी थी कि पुलिस थाना आष्टा में अपीलार्थियों के विरुद्ध दुष्कर्म व अन्य धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। आरोप है कि राहुल ने अपने अन्य दोस्तों के साथ पीड़िता को अगवा किया और अलग-अलग जगहों पर ले जाकर दुष्कर्म किया था। आरोपियों के चंगुल से छूटकर अपहरण की घटना के एक माह बाद जब पीड़िता पुलिस से मिली तब उसने पुलिस को अपना बयान दर्ज कराया और फिर तीन माह बाद पीड़िता ने परिवार के दबाव में अपना बयान भी बदल दिया और आरोपी युवक के साथियों पर भी दुष्कर्म के आरोप लगाए गए गए थे।
पुलिस ने पीड़िता के बयान पर दर्ज किया था मामला।
पीड़िता द्वारा पुलिस को दिए गए बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध दुष्कर्म की धारा सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सीहोर की अदालत में चार्जशीट पेश की थी। जिला सत्र न्यायालय में चल रहे प्रकरण को आरोपित युवकों देवास निवासी दिनेश परमार, राजेश परमार, ओम प्रकाश, विकास परमार व पवन परमार ने अपने अधिवक्ता प्रवीण कुमार पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट जबलपुर में चुनौती देते हुए हाई कोर्ट जबलपुर मे आपराधिक प्रक्रिया तथा पुलिस थाना आष्टा द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट को निरस्त करने हेतु याचिका प्रस्तुत की थी जिस पर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर की एकलपीठ द्वारा पीड़िता के पुलिस को दिए गए बयान तथा पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों चार्जशीट के आधार पर ही आपराधिक प्रक्रिया तथा पुलिस चार्जशीट को निरस्त कर दिया है।