रजिस्ट्रार कार्यालय रीवा में मुर्दा करा रहे रजिस्ट्री।
40 साल पहले मर चुके व्यक्ति ने भूमि की करा दी रजिस्ट्री।
मरे हुए व्यक्ति शिव प्रसाद को कथित तौर पर जिंदा दिखाकर कर दी गई अवैध रूप से रजिस्ट्री।
यज्ञ प्रताप सिंह
रीवा। सुनने में बड़ा आश्चर्य लगता है कि भला एक मृतक व्यक्ति जिंदा कैसे हो सकता है लेकिन यह आश्चर्यजनक कारनामा रीवा के रजिस्ट्रार कार्यालय ने कर दिखाया गया है इस मामले को लेकर भारतीय सेना से 32 साल की सेवा के बाद रिटायर हुए एक जवान की जमीन भूमाफियाओं ने कब्जा कर ली है और प्रशासन, राजस्व विभाग, तथा पुलिस प्रशासन खामोश बने हुए हैं पूर्व सैनिक द्वारा बताया गया कि भूमाफिया आदर्श पाठक ने इस साजिश को अंजाम दिया जहां रजिस्ट्री के दस्तावेजों में शिव प्रसाद को जिंदा दिखाया गया, जबकि उनकी मृत्यु 40 साल पहले हो चुकी थी। बताया गया है कि जब शिव प्रसाद की मौत हुई तब उनकी उम्र 80 वर्ष थी, उनके मौत के चालीस साल बाद भूमि रजिस्ट्री करने के लिए भू माफिया द्वारा 35 वर्षीय रत्नेश तिवारी नामक व्यक्ति को रजिस्ट्रार के सामने पेश किया गया था और फर्जी बड़ा करते हुए शिव प्रसाद कहार बताकर जाली रजिस्ट्री कर दी गई।
पूर्व सैनिक ने बताया कि रत्नेश तिवारी और आदर्श पाठक दोनों सगे रिश्तेदार हैं, और इन्हीं दोनों ने मिलकर यह साजिश रची है जब रजिस्ट्री कराई गई उसे दौरान उम्र के हिसाब से शिव प्रसाद कहार की उम्र 120 वर्ष होती, क्योंकि वह 40 वर्ष पहले मृतक हो चुके हैं ऐसे में यहां सवाल यह उठता है कि क्या रजिस्ट्रार ने 120 साल के व्यक्ति को पहचानने में गलती की, या फिर यह किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा बनकर रजिस्ट्री कर दिये है? पूर्व सैनिक ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में रजिस्ट्रार की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। या तो उनकी आंखों की रोशनी कमजोर थी, या फिर उनकी नीयत में खोट था। यह कहना मुश्किल है कि यह गलती थी या जानबूझकर किया गया भ्रष्टाचार, लेकिन इस मामले में प्रशासन की चुप्पी लोगों के बीच सवाल खड़े कर रही है।
रजिस्ट्री की यह प्रक्रिया एक गंभीर प्रशासनिक चूक के साथ-साथ भूमाफियाओं की साजिश का भी संकेत देती है। इस घटना ने जिले में न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं और रिटायर जवान अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर है। प्रशासन की निष्क्रियता और भूमाफियाओं की बढ़ती ताकत से लोगों में आक्रोश है, और इस मामले को लेकर न्याय की मांग जोर पकड़ रही है ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन क्या कदम उठाता है और दोषियों के खिलाफ कब कार्रवाई होती है।