Rewa news, सिरमौर सिविल अस्पताल BMO के भतीजे ने
सिविल अस्पताल सिरमौर के ड्रेसर को पीटा पुलिस नहीं दर्ज कर रही प्रकरण।
सिविल अस्पताल सिरमौर के प्रभारी लेखपाल द्वारा पीड़ित ड्रेसर का नही लिया गया आवेदन, सिरमौर थाना पुलिस भी नहीं दर्ज कर रही fir
विराट वसुंधरा/ महेंद्र तिवारी
रीवा। सिरमौर/ मिली जानकारी के अनुसार बीते दिनांक 01 अक्टूबर 2024 को दोपहर तकरीबन 2:30 से 3 बजे के बीच आउट सोर्सेज सिक्योरटी गार्ड निखिल शुक्ला जो सिविल अस्पताल सिरमौर बीएमओ का भतीजा है किसी काम को लेकर ड्रेसर राकेश प्रजापति के पास गया था और काम करने को कहता है तब राकेश प्रजापति ने कहा कि पर्ची कटवा लो या डाक्टर से लिखावा लाओ तो काम करूंगा इसी बात को लेकर निखिल शुक्ला आग बबूला हो गए और जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गालियां दी और लात घूंसों से पीटना शुरू कर दिया मारपीट करने के बाद ड्रेसर को उसने धमकी दिया कि मेरे चाचा बीएमओ है सारा काम मैं देखता हूं और तू मेरी बात नहीं सुनता मैं तुझे नौकरी से निकलवा दूंगा, घटना के बाद पीड़ित ड्रेसर सिरमौर थाने गया और मारपीट व जाति सूचक गाली गलौज करने पर कार्यवाही हेतु आवेदन दिया गया लेकिन थाने में रिपोर्ट नही लिखी गयी और न ही आवेदन लिया गया। बल्कि ये कहा गया कि तुम पहले बीएमओ को बताओ, पीड़ित द्वारा कई बार बीएमओ को फोन लगाया गया लेकिन वो फोन नही उठाये, जबकि घटना के तुरंत बाद बीएमओ डॉ प्रशांत शुक्ला को फोन पर पीड़ित द्वारा सबकुछ बताया गया था, राकेश प्रजापति ने आवक जावक में जाकर प्रभारी लेखपाल बुद्धसेन साकेत को सारी बाते बता कर आवेदन दिए परंतु निखिल शुक्ला के डर से लेखापाल द्वारा पीड़ित का आवेदन नही लिया गया बताया जाता है कि घटना के बाद से ड्रेसर काफी डरा हुआ है अपनी फरियाद लेकर थाना सिरमौर और बीएमओ सिरमौर का चक्कर काट रहा है कोई सुनने वाला नहीं है। बताया यह भी जाता है कि थाना प्रभारी सिरमौर अवकाश में हैं इस कारण थाना के अन्य जिम्मेदार पुलिस अधिकारी इस मामले में हांथ नहीं लगाना चाहते।
बीएमओ के चलते हैं अपने नियम।
जिले के सिरमौर सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ प्रशांत शुक्ला शासन के नियम निर्देश पर भारी पड़ जाते हैं बीते वर्ष उन्होंने सिरमौर के तत्कालीन एसडीएम को भी चुनौती दे डाली थी वो स्थानीय भी हैं सिविल अस्पताल को अपने हिसाब से चलाते हैं यहां स्वास्थ्य विभाग का नियम और आदेश रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है और मनमाने तरीके से बीएमओ का सिस्टम काम करता है फिर चाहे झूठी जानकारी देकर शासन प्रशासन को गुमराह करके दोषी कर्मचारियों को बचाना हो या फिर अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टरों और कर्मचारियों को घर बैठाकर वेतन देने के मामले हों कूटरचित जांच रिपोर्ट बनाने में तो बीएमओ ने पीएचडी कर रखी है जो उप स्वास्थ्य केन्द्र पड़री के मामले में प्रस्तुत जांच रिपोर्ट से साबित हो चुका है गांव के दर्जनों लोगों ने कहा कि अस्पताल बंद रहती है लेकिन बीएमओ ने ग्रामीणों के कथनों लाइव बनाई गई खबरों को झूठा साबित कर दिया इस मामले में संबंधित कर्मचारियों की काल डिटेल और लोकेशन आने से इस झूठी रिपोर्ट का भी आने वाले समय में पर्दाफाश हो जाएगा।
बीएमओ के भतीजे के हवाले सिविल अस्पताल सिरमौर।
सिक्योरटी गार्ड निखिल शुक्ला जो सिविल अस्पताल सिरमौर बीएमओ प्रसांत शुक्ला का भतीजा है अस्पताल से जुड़े सभी सरकारी कामकाज में मालिकाना हक जताते इसके लिए बीएमओ डॉ प्रशांत शुक्ला ने खुली छूट दे रखी है बात सही भी है सैयां हैं कोतवाल तो डर काहे का, कुछ दिन पहले इन्ही सिक्योरिटी गार्ड को मीडिया भी अपने कैमरे में धौंस जमाते कैद किया और खबर चलाई गई थी देखा जाए तो मरीजों के लिए बनाई गई अस्पताल आज गुण्डो, मावलियों, एसोआराम का अड्डा बन चुकी है दवाई के नाम पर खोली गई अस्पतालों में हमेशा ताला सोभायमान रहता है और जो अस्पताल खुलती हैं उसमे गुंडाराज ही देखने को मिलता है जो रोगियों को रोग मुक्त करने के बजाय और रोगी बनाती है जनता के स्वास्थ्य की व्यवस्था झोला छाप डॉक्टरों पर आश्रित है सरकारी अस्पताल में पदस्थ सीएचओ खुलेआम अवैध क्लिनिक चला रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अंधे गूंगे बहरे बनकर स्वास्थ्य विभाग के नियम निर्देश का पालन कराने में असमर्थ हैं हालत यह है कि ड्रेसर के साथ मारपीट करने वाले आरोपी के खिलाफ ना तो पुलिस कार्यवाही कर रही है और ना ही विभाग से पीड़ित को संरक्षण प्राप्त हो रहा है बल्कि घटना पर पर्दा डालने के लिए पीड़ित व्यक्ति पर दवाब बनाकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जा रहा है।