Rewa news, शारदीय नवरात्रि: शक्ति, भक्ति और आस्था का पर्व, यहां लगता है चौरा जहां होता है चमत्कार, माता की विशेष पूजा।
नईगढ़ी, मऊगंज (रीवा): सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, जो देवी दुर्गा की शक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक है। हर वर्ष शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। इस पर्व को रीवा क्षेत्र में “कुमार” नाम से भी जाना जाता है। यह नौ दिवसीय उत्सव देवी के नौ रूपों की पूजा और आराधना के रूप में मनाया जाता है, जिसमें शक्ति के विभिन्न स्वरूपों का स्मरण कर धर्म की रक्षा और असुरों के विनाश की कथा का विशेष उल्लेख मिलता है। जिसका लेख देवी भागवत महा पुराण में मिलता है। जिसके रचाईता वेद व्यास है।
मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा।
नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूप—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री—की विशेष पूजा की जाती है। इन दिनों में भक्त अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं और मां की प्रतिमा की स्थापना कर प्रतिदिन विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि का समापन नौवें दिन कन्या पूजन और माता की प्रतिमा के विसर्जन के साथ होता है। भक्तजन विशेष रूप से कन्याओं को भोजन कराते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिसे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अत्यधिक फलदायी माना गया है नवरात्रि के अवसर पर सात और नौ की संख्या में कन्याओं को भोजन कराया जाता है इसके साथ ही एक बालक बटुक के रूप में कन्या भोजन के साथ ही भोजन कराने के लिए कन्याओं के साथ बैठाया जाता है भोजन करने वाली कन्या की जिस तरह से पूजन की जाती है उसी प्रकार बटुक का पूजन करने का विधान है माना जाता है कि कन्या भोजन करने का फल तभी प्राप्त होता है जब बटुक को भी भोजन कराया जाता है।
जोरोट ग्राम में माता के चौरा की महिमा।
मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले के नईगढ़ी तहसील के अंतर्गत स्थित ग्राम जोरोट में स्थित माता का “चौरा” (मंदिर) दूर-दूर तक अपनी आस्था और श्रद्धा के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थल माता दुर्गा के प्रति अटूट विश्वास और आस्था का प्रतीक बन चुका है। महंत पूज्य श्री तनुज सिंह पिछले 15 वर्षों से यहां माता की सेवा कर रहे हैं। महंत जी के अनुसार, यहां भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और माता की कृपा से उनकी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। मनोकामना पूर्ण होने के बाद भक्तजन माता के दरबार में चुनरी, नारियल, और अगरबत्ती चढ़ाकर आभार प्रकट करते हैं, हाल ही में मुंबई से भारत वैभव पार्टी के अध्यक्ष श्री राजरतन सिंह, सीधी जिले से जान्हवी प्रताप सिंह और प्रियंका सिंह, प्रयागराज से संतोष कुमार सिंह सहित कई प्रमुख भक्त माता के दरबार में पहुंचे। उन्होंने माता के चौरा की महिमा और अपनी गहरी आस्था के बारे में बताया।
स्थानीय मान्यता और भक्ति का केंद्र।
जोरोट ग्राम का यह चौरा न केवल रीवा जिले में, बल्कि देशभर के कोने-कोने से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि माता की आराधना में शुद्धता का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि पूजा में किसी भी प्रकार की अशुद्धि होने पर भक्तों को मां के कोप का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए भक्त पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं।
यहां माता की आराधना करने वाले भक्त अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना लेकर आते हैं। जोरोट ग्राम में स्थित यह चौरा एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है, जहां भक्तों की आस्था और विश्वास के अद्वितीय रंग देखने को मिलते हैं। माता के इस पवित्र स्थल पर लोग अपनी झोली में खुशियां लेकर लौटते हैं, और इस स्थल की मान्यता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
मंदिर में भक्तों का आगमन।
नवरात्रि के अवसर पर इस चौरा पर भक्तों का भारी संख्या में आगमन होता है। आसपास के गांवों से लेकर दूर-दराज के क्षेत्रों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। माता के इस पवित्र स्थल पर नवरात्रि के दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
जोरोट ग्राम का यह चौरा नवरात्रि के अवसर पर एक खास स्थान रखता है, जहां माता की कृपा से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यह लेख, संजय पाण्डेय, गढ़ जिला रीवा द्वारा धार्मिक मान्यताओं और धार्मिक आस्था, पंडित, पुरोहितों और श्रद्धालुओं के बताए अनुसार लिखा गया है जो त्योहारों की महत्ता और स्थानीय श्रद्धा का गहन विवरण प्रस्तुत कराता है।