रीवा में सर चढ़कर बोल रही पुलिस की गुंडागर्दी, पत्रकार के साथ टीआई ने की अभद्रता धरने पर बैठे पत्रकार।
रीवा (सिविल लाइन): जिले में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए, सिविल लाइन थाना प्रभारी कमलेश साहू और प्रधान आरक्षक सतेंद्र तिवारी द्वारा वरिष्ठ छायाकार एवं पत्रकार संदीप जाडिया के साथ अभद्रता और हाथापाई की गई है घटना तब हुई जब पुलिस द्वारा रीवा शहर की कबाड़ी मोहल्ला में काफी संख्या में पुलिस मौजूद थी पत्रकार होने के नाते संदीप जड़िया भीड़ में पहुंच गए और फोटो खींचने लगे तभी उनके साथ टी सिविल लाइन और प्रधान आरक्षक ने बदसलूकी करते हुए कैमरा छुड़ा लिया छीना झपटी की और एनडीपीएस एक्ट में फंसने की धमकी दिए पत्रकारों का आरोप है कि कवरेज के दौरान पुलिस ने न केवल दुर्व्यवहार किया, बल्कि उन्हें एनडीपीएस (मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम) के मामले में फंसाने की धमकी भी दी है घटना के बाद काफी संख्या में पत्रकार एकत्रित होकर सिविल लाइन थाना के सामने धरने पर बैठ गए हालांकि पत्रकारों और पुलिस अधीक्षक के बीच हुई वार्तालाप बे नतीजा रही है इस संबंध में पत्रकार 10 अक्टूबर को दोपहर एकत्रित होकर आगे की रणनीति बनाएंगे।
तीन घंटे से अधिक समय तक धरने पर बैठे पत्रकार।
पत्रकार के साथ हुई अभद्रता के बाद इस घटना के विरोध में रीवा के सभी वरिष्ठ और युवा पत्रकार प्रिंट इलेक्ट्रानिक धरने पर बैठ गए हैं, और दोषी पुलिस अधिकारियों के निलंबन की मांग करने लगे लगभग 3 घंटे से अधिक समय तक पत्रकार सिविल लाइन थाना के सामने धरने पर बैठे रहे रात लगभग 9:30 बजे पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह मौके पर पहुंचे और उन्होंने पत्रकारों से घटना की जानकारी ली लेकिन दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करने को तैयार नहीं हुए। रीवा पुलिस के इस रवैया से यह समझ में आ गया कि पत्रकारों को लेकर पुलिस विभाग संवेदनशील नहीं है भरे बाजार पत्रकार की पुलिस इज्जत उतार रही है नाजायज तरीके से मुकदमा ठोकने का दम भर रही है यह पुलिस की गुंडागर्दी नहीं है तो फिर क्या है। देखा जाए तो ऐसे कई पत्रकार हैं जो निष्पक्ष लिखने के कारण माफियाओं गुन्डों के षड्यंत्र का शिकार पुलिस की शह पर हुए हैं और पत्रकारों के विरुद्ध फर्जी मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने पत्रकारिता का गला घोटने का काम किया है।
जनप्रतिनिधि भी असहाय।
आज दोपहर मऊगंज के भाजपा विधायक प्रदीप पटेल द्वारा एक पुलिस अधिकारी के चरणों में दंडवत होकर गुंडागर्दी के खिलाफ घुटने टिकने का वीडियो वायरल हो रहा है जो मौजूदा सरकार में जनप्रतिनिधियों की स्थिति पर सवाल खड़ा करता है विधायक के इस कदम से साफ होता है कि पुलिस का निरंकुश रवैया केवल आम जनता ही नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधियों के लिए भी चुनौती बन चुकी है जब विधायक ही अपनी सरकार रहते पुलिस के सामने पुलिस की करतूत का हवाला देकर दंडवत हो रहे हैं तो फिर भला पत्रकार तो कथित रूप से चौथा स्तंभ है।
वरिष्ठ अधिकारियों पर उठ रहे सवाल।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के क्षेत्र में पुलिस के इस बेलगाम रवैये ने स्थिति और भी चिंताजनक बना दी है। एक तरफ सरकार और खुद डिप्टी सीएम नशे के विरुद्ध कार्यवाही की जिस पुलिस से उम्मीद कर रहे हैं इसी पुलिस की जमीनी हकीकत यह है कि भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को वरिष्ठ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है आए दिन नशे के विरुद्ध कार्यवाही करके अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस जहां कार्यवाही करने गई थी वहां अवैध नशे का सबसे अधिक व्यापार होता है पत्रकार इसी उम्मीद से वहां पहुंचे थे कि पुलिस कार्यवाही कर रही है इसका कवरेज कर लिया जाए लेकिन पत्रकार को क्या पता कि यहां पर पुलिस की नाकामी से ही यह अवैध नशे का धंधा कई दशकों से चल रहा है।