Rewa news:जांच दल की रिपोर्ट आई सामने, विभाग के अधिकारियों की भूमिका बताई संदिग्ध!
जलजीवन मिशन में भ्रष्टाचार, 90 प्रतिशत काम का दावा निकला झूठा हितग्राहियों का ब्योरा दिए बिना भुगतान
रीवा. जलजीवन मिशन के तहत शहरी तर्ज पर गांवों में भी पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने की योजना में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। पूर्व में आई शिकायतों पर कलेक्टर की ओर से गठित जांच टीम की जांच पूरी हो चुकी है और इसकी रिपोर्ट भी सामने आई है। जांच दल ने माना है , लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी(पीएचई) विभाग के अधिकारियों ने योजना के क्रियान्वयन में उदासीन रवैया अपनाया और ठेका एजेंसी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कार्य किया है। इस पूरे भ्रष्टाचार में दर्जनभर अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए विधि समत कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। जांच दल ने दस्तावेजों का परीक्षण करने के साथ ही 250 गांवों में नल लगाने के कार्य में नमूना जांच के लिए 12 गांवों का सत्यापन किया। जिसमें करीब 90 प्रतिशत कार्य फर्जी पाए गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, मौके पर बिना कार्य कराए ही भुगतान करा दिया गया है। जांच में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए टीम ने जिले के अलग-अलग हिस्सों के गांवों का भ्रमण किया। जो दावे किए गए थे उन कार्यों का परीक्षण किया तो पाया गया कि कुछ जगह आंशिक रूप से कार्य हुआ है, शेष स्थान पर कोई कार्य ही नहीं हुआ है। इस जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है, जिसकी वजह से अब भोपाल मुयालय ने इस संबंध में कराई गई जांच और उस पर की गई कार्रवाई की जानकारी कलेक्टर से मांगी है। बीते साल सितंबर महीने में यह मामला सामने आया था। शिकायतों के बाद कलेक्टर ने तत्कालीन सहायक कलेक्टर सोनाली देव, कोषालय अधिकारी आरडी चौधरी, सहायक कोषालय अधिकारी पुष्पराज सिंह, सहायक ग्रेड दो सरदार राहुलभाई पटेल, कृष्णकांत वर्मा आदि की कमेटी गठित कर जांच के निर्देश दिए थे।
इनकी भूमिका पर सवाल, कार्रवाई की अनुशंसा
जांच टीम ने अपने अभिमत में कहा है, नियमों को दरकिनार करते हुए निविदाकार को अनियमितता पूर्वक भुगतान किया गया। जिससे योजना असफल हो रही है। इसमें तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शरद सिंह, सहायक यंत्री एसके श्रीवास्तव, आरके सिंह, एसके सिंह, केबी सिंह, उपयंत्री अतुल तिवारी, संजीव मरकाम, संभागीय लेखाधिकारी विकास कुमार एवं अन्य शामिल हैं। इसके अलावा दैनिक वेतनभोगी जयशंकर त्रिपाठी, राजीव श्रीवास्तव आदि के विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।
संस्थाओं को मिली थी यह जिमेदारी
जल जीवन मिशन के तहत पीएचई विभाग ने अनुपना एजुकेशन सोसायटी और ज्वाला ग्रामीण स्वरोजगार एंड विकास नाम की संस्थाओं को जिमेदारी सौंपी थी। जिसमें इन्हें योजना का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही ग्रामसभा, जनसभा, बेसलाइन सर्वे, प्रशिक्षण, पंपलेट्स, पोस्टर, नारा लेखन, रैली, नुक्कड़ नाटक के साथ अन्य गतिविधियों को करने की जिमेदारी दी गई थी। ज्वाला संस्था के कार्यों की जांच में पाया गया है, उक्त कार्य नहीं कराए गए और भुगतान कर दिया गया है। इस संस्था को 1.20 करोड़ के टेंडर में 44.09 लाख रुपए का भुगतान हुआ है, जिसके बदले कार्य का प्रमाण संस्था और विभाग नहीं दे पाए हैं। संस्था को 15 महीने में हर ब्लॉक के 50 गांवों में कार्य किया जाना था, जिसके बदले करीब 24 लाख रुपए का भुगतान किया जाना है। इसमें कई बिलों का भुगतान हो गया है लेकिन भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद भुगतान रोका गया है।
इन गांवों के सत्यापन मे मिला घोटाला
गांव हितग्राही लाभ का दावा जांच में लाभांवित
जनकहाई 906 700 शून्य
केचुआ 194 190 20
बराह 326 280 75
नष्टिगवां 292 290 शून्य
रमगढऱा 513 503 शून्य
दर्रहा 251 248 शून्य
गेदुहरा 311 290 शून्य
बदरांव तिवरियान 258 254 25
महरी 206 187 24
कोचरी 209 193 05
नोट : उक्त के साथ कोटवाखास, मदरी सहित अन्य कई गांवों के निरीक्षण
में एक से तीन किलोमीटर तक की पाइपलाइन मिली, जो बहुत कम है।
जांच में पाया गया है, योजना क्रियान्वयन सहायता संस्था (आईएसए) का दायित्व था कि चिन्हित गांवों में सर्वे कर घरों में कनेक्शन देने की जानकारी एकत्र करे। जिसमें गृह स्वामी का नाम, आधार कार्ड की छायाप्रति के साथ ही एक रजिस्टर भी तैयार किया जाए। जिसमें गृहस्वामी के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान लिए जाएंगे। उक्त ब्यौरे का सत्यापन कराने के बाद ही संबंधित संस्था को राशि का भुगतान किया जाना था , लेकिन जांच के दौरान उक्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा सके। इसके बिना भुगतान कराए जाने को भ्रष्टाचार माना गया है।
पहले कुछ मामला संज्ञान में आया था, जिस पर विभागीय स्तर पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई थी। नए जांच रिपोर्ट में अभी क्या आया है, इसकी जानकारी नहीं है। यदि रिपोर्ट में कार्रवाई की अनुशंसा है तो जरूर उसके अनुसार प्रक्रिया होगी। इसकी जानकारी संबंधित अधिकारी से लेंगे।
हरि सिंह गोंड, चीफ इंजीनियर पीएचई