Rewa news, शातिराना तरीके से चोरों ने चोरी की वारदात को दिया अंजाम नशेड़ियों द्वारा आए दिन की जाती है चोरी।
चोरी के संदेही आरोपियों पर सौदेबाजी का आरोप, दलालों का बढ़ता हस्तक्षेप चिंता का विषय।
रीवा, मध्य प्रदेश: के गढ़ थाना क्षेत्र अपराध का गढ़ माना जाता है खासकर चोरी की घटनाएं होना इस क्षेत्र की आम बात हो चुकी है हालांकि पूर्व थाना प्रभारी कपीस विकास द्वारा चोरी की घटनाओं में अंकुश लगाना और क्षेत्र में बेहतर कानून व्यवस्था का पालन कराने का पूरा प्रयास किया गया था अपराधों में कमी भी आई थी चोरी की घटनाओं का खुलासा भी होना शुरू हो गया था और लगभग चोरी की घटनाओं में कमी आ गई थी लेकिन अब फिर गढ़ थाना क्षेत्र में चोरी की घटनाएं सामने आ रही है एक चोरी की घटना के संबंध में हाल ही में पकड़े गए कई संदेही आरोपियों को लेकर क्षेत्र में चर्चा है कि थाने में दलालों के माध्यम से दिनभर सौदेबाजी होती रही। आरोप है कि चोरी के इन संदेहियों को सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक थाने में रखा गया, जहां दलालों ने पीड़ित पक्ष और पुलिस के बीच बातचीत कर समझौते की कोशिशें कीं है।
देखा जाए तो रीवा, मऊगंज और आस-पास के अन्य जिलों में दलालों के बढ़ते प्रभाव से सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि थानों, राजस्व कार्यालयों, भूमि पंजीयन कार्यालयों और अन्य सरकारी विभागों में दलालों की भूमिका इतनी गहरी हो गई है कि बिना उनके मध्यस्थता के आम जनता की बात अधिकारियों तक पहुंच पाना मुश्किल हो गया है। इस मामले में गढ़ थाना क्षेत्र की घटना ने इस समस्या को और अधिक उजागर किया है, जहां दलालों के हस्तक्षेप से संदेही आरोपियों को छोड़ने की कोशिशें की गईं हैं।
सूत्र बताते हैं कि गढ़ थाना क्षेत्र में रात्रि गश्त के दौरान पुलिस ने कुछ संदिग्धों को चोरी की एक बोरी मसूर बेचते हुए पकड़ा था। पूछताछ में आरोपियों ने कई चोरियों की वारदातें कबूलीं, जिससे क्षेत्र में बढ़ रही चोरी की घटनाओं का खुलासा हुआ। स्थानीय लोगों का आरोप है कि दलालों ने थाने के बाहर सौदेबाजी कर आरोपियों को छुड़ाने का प्रयास किया गया, जिससे थाने की गरिमा और कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है, सबसे बड़ी बात यह है कि गिरफ्तार आरोपियों ने यह स्वीकारा कि वे नशे की आदत के चलते चोरी करते थे और अपने गिरोह में जिम्मेदारियां बांट रखी थीं, जैसे कि दीवार काटना, घर में प्रवेश करना और बाहर निगरानी रखना। लेकिन दलालों के हस्तक्षेप के चलते लोगों को संदेह है कि इन मामलों की निष्पक्ष जांच हो पाएगी या नहीं एक तरफ जहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा अपराध पर नियंत्रण करने का अभियान चलाया जा रहा है तो वहीं थाना स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों के मुहिम को बिचौलिएपन से धक्का लग रहा है।
रीवा जोन के आईजी डीआईजी और पुलिस अधीक्षक द्वारा पुलिस की छवि सुधारने सहित अपराधों पर नियंत्रण करने अवैध नशा कारोबार पर लगाम लगाने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है अवैध नशे की विरुद्ध बड़ी-बड़ी कार्यवाही और गंभीर अपराधों के आरोपियों की गिरफ्तारियां इस बात का सबूत है लेकिन छोटे अपराधों से जुड़े मामलों में अभी भी थाना स्तर पर पुलिसिया कार्यवाही कुछ कमजोर नजर आ रही है कई वर्षों से थाना में पदस्थ पुलिस कर्मियों की और दलालों के साथ सांठगांठ के कारण पुलिस की गोपनीयता तो भंग होती ही है पुलिस की छवि भी खराब होती है देखा जाता है कि दलालों का प्रभाव पुलिस कार्यशैली को बाधित कर रहा है। नागरिकों ने मांग की है कि पकड़े गए संदेहियों को अन्य थाने में स्थानांतरित कर जांच को निष्पक्ष बनाया जाए। अगर आरोपित निर्दोष हैं, तो उन्हें छोड़ा जाए, परन्तु दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि क्षेत्र में कानून और व्यवस्था को कायम रखा जा सके।