Rews news, धान खरीदी केंद्रों पर बिचौलियों का कब्जा, ठगे जा रहे किसान।
मध्य प्रदेश के रीवा और मऊगंज जिलों में सरकारी धान खरीदी केंद्र, जिनका उद्देश्य किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य देना है, आज बिचौलियों के लूट के अड्डे बन गए हैं। सरकारी दर 2300 रुपये प्रति क्विंटल होने के बावजूद किसान अपनी धान बिचौलियों को 1600-1700 रुपये में बेचने को मजबूर हैं। ये बिचौलिए इस धान को फिर केंद्रों पर अधिक दामों पर बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम नहीं मिल पा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कई किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं, और सरकारी खरीदी में उनके कर्ज राशि की कटौती हो जाती है। कर्ज राशि अदायगी से बचने के लिए वे अपनी धान बिचौलियों को कम दाम पर बेचते हैं। इन बिचौलियों के माध्यम से उनकी धान सरकार तक पहुंचती है, और किसानों के हक का लाभ का बिचौलियों की जेब में चला जाता है।
खरीदी केन्द्रों का भ्रष्टाचार
सूत्र बताते हैं कि धान खरीदी केंद्रों पर हर स्तर पर रिश्वतखोरी फैली हुई है। हर अधिकारी से लेकर गोदाम तक, प्रत्येक व्यक्ति ने अपनी ‘सेवा’ का शुल्क तय कर रखा है। एक ट्रक माल लाने पर 2000 रुपये तक की रिश्वत देनी पड़ती है। कांटे में भी सेटिंग की जाती है, जिससे वजन में हेरफेर कर 4-6 क्विंटल तक की धान कम दिखाई जाती है। बिचौलियों की मिलीभगत से कम गुणवत्ता वाली धान भी आसानी से तौल ली जाती है।
प्रशासनिक दावे और सच्चाई
जिला प्रशासन हर साल व्यापारियों द्वारा धान की हेराफेरी रोकने के दावे किए जाते है, और निरीक्षण की औपचारिकताएं पूरी कर किसानों को लूटने के लिए छोड़ दिया जाता है
प्रशासनिक अधिकारियों की निगरानी नहीं होने से बिचौलियों को खुली छूट मिल जाती है सूत्र बताते हैं कि निरीक्षण के लिए नियुक्त टीमें भी अपनी हिस्सेदारी तय कर लेती हैं। ऐसे में किसानों के लिए कोई राहत नहीं होती, और वे इस भ्रष्ट व्यवस्था का शिकार बने रहते हैं।
आरोपों से घिरे लोगों को किया जाता है नियुक्त।
हर साल केंद्रों पर वही लोग नियुक्त हो जाते हैं जिन पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस साल प्रशासन ईमानदार अधिकारियों की नियुक्ति करेगा? या फिर वही भ्रष्टाचारी अपने पदों पर बने रहेंगे और किसानों के हक को हड़पते रहेंगे?
किसानों को कैसे मिले भ्रष्टाचार से मुक्ति।
हर साल किसानों की धान के नाम पर अरबों रुपये का खेल होता है, लेकिन अधिकांश धन बिचौलियों और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। किसानों को उनका हक दिलाने के लिए जिला प्रशासन को कठोर कदम उठाने होंगे। किसानों की मेहनत का पूरा मूल्य उन्हें मिल सके, इसके लिए इस भ्रष्ट तंत्र पर रोक लगानी होगी, किसान सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार उन्हें न्याय मिलेगा और बिचौलियों के इस खेल का अंत होगा तभी भ्रष्टाचार से किसानों को मुक्ति मिलेगी।
की जाए जवाबदेही तय।
सर्वेयर पद पर नागरिक आपूर्ति निगम को हर खरीदी केंद्र में अपना प्रतिनिधि रखना चाहिए क्योंकि भंडारण के दौरान यदि धान निरस्त हो जाती है तो किसानों का भुगतान रुक जाता है जिससे किसान प्रताड़ित होते हैं नागरिक आपूर्ति निगम और जिला प्रशासन ऐसी व्यवस्था करें कि हर खरीदी केंद्र में सर्व निर्धारित हो और यदि फेल होती है धान खरीदी हुई तो उसकी जवाब देही स्थानीय भंडारण सर्वे की होनी चाहिए।