Sidhi news:खनिज विभाग की सांठगांठ से चल रहा अवैध कारोबार खनिज खदानों में नियमों की उड़ रही धज्जियां!
माइनिंग प्लान की अनदेखी, अवैध उत्खनन पर रोक नही
सीधी।खनिज के मामले में अव्वल सीधी जिले में माइनिंग प्लान महज दिखावा बनकर रह गया है। यहां पर अवैध उत्खनन का सिलसिला लगातार जारी है। विडंबना यह है कि खनिज विभाग की सांठ गांठ व संरक्षण में ही अवैध उत्खनन का कार्य चल रहा है। यहां पर माइनिंग में स्वीकृत पत्थर खदानों में क्रेशर द्वारा कितने विस्फोटक का लायसेंस लेकर ब्लास्ट किया जाता है इसकी जांच करने की फुर्सत विभाग को नही है। खदानों में निर्धारित गहराई तक ही उत्खनन की मंजूरी दी जाती है। किंतु यहां पर शासन के नियम कानून को धता बताते हुये खनिज माफिया लगातार इस अवैध कारोबार को संचालित कर रहे हैं। माइनिंग प्लान को दरकिनार कर अवैध उत्खनन का कार्य किया जा रहा है। यही नही क्रेशर में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर दिशा निर्देश भी दिये गये हैं। किंतु नियमों के मुताबिक न कहीं बाउण्ड्रीवाल है न पानी का छिडक़ाव पेड़ पौधे व शौचालय इत्यादि का निर्माण किया गया है। कुल मिलाकर सफेद सोना के नाम से मशहूर सीधी जिले में रेत के साथ खदानों में पत्थरों के अवैध उत्खनन का कार्य बदस्तूर जारी है। नियम कानून को ताक में रखकर खनिज माफिया करोड़ों रूपये के राजस्व का चूना शासन को लगा रहे हैं। यहीं नहीं खनिज विभाग की देखरेख में ही यहां पर अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन एवं अवैध भण्डारण का काम चल रहा है। जानकारों का कहना है कि खनिज विभाग द्वारा प्रति वर्ष शासन से मिलने वाले राजस्व वसूली के लक्ष्य पूर्ति के लिए ही काम किया जाता है। लक्ष्य पूर्ति के बाद विभागीय अधिकारी अपनी पीठ थपथपाने लगते हैं। विभागीय राजस्व वसूली के लक्ष्य की पूर्ति काफी आसानी से हो जाती है। इसके लिए बड़े खनिज ठेकेदारों के साथ ही क्रेशर संचालकों पर दबाव बनाकर निर्धारित राजस्व की वसूली कर ली जाती है। इसके अलावा खदानों से मिलने वाले राजस्व से भी लक्ष्य पूर्ति में काफी आसानी होती है।
मिलीभगत में हैं हिस्सेदार
खनिज माफियाओं का हौसला सीधी में बुलंद है। इसके पीछे कारण कुछ और नहीं महज जिला प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत है। सूत्रों की मानें तो रेत यहां के लिये सफेद सोना है। सफेद सोना के नाम से मशहूर रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन व भण्डारण में नेता अधिकारी सभी लिप्त हैें। खनिज माफियाओं को संरक्षण मिल रहा है। जिसके चलते यहां पर रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन का काम अनवरत जारी है।
प्रदूषण नियंत्रण भी बेखबर
सीधी की खदानों में माइनिंग प्लान के विपरीत काम हो रहा है। विडंबना यह है कि जहां भी के्रशर लगे हैं वहां नियमित रूप से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच पड़ताल होनी चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मापदण्डों के खिलाफ क्रेशर चल रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी खनिज माफियाओं से सेवा शुल्क लेकर उन्हे खुली छूट दे रखी है जिसके चलते सीधी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी दिखावा बनकर रह गया है। कारण कोई भी जिम्मेदार जांच करने नहीं जाता।