रीवा जिले के पाली के गुलाब की खुशबू फैल रही है बेंगलौर तक, फूलों की खेती कर डिंपल की बदली किस्मत।
विराट वसुंधरा
रीवा। जिले के जनपद पंचायत सिरमौर के ग्राम पंचायत पाली की डिंपल कभी अपनी खेती की जमीन में गेंहू एवं दलहन की उपज लेकर 30-40 हजार रूपये की आय से गुजर-बसर कर लेती थी। उन्होंने बताया कि खेती से बहुत कम आय मिलती थी इससे पूरे परिवार का गुजर-बसर बमुश्किल हो पाता था। बड़ी कठिनाई में दिन बिताने पड़ते थे। डिंपल ने बताया कि मन में खेती के साथ ही कोई अन्य रोजगार भी करने की इच्छा थी लेकिन कोई मार्गदर्शन देने वाला नहीं था। इसी बीच आवश्यक कार्य से रीवा आना हुआ और उद्यान विभाग में अधिकारियों से मिलने पर उन्होंने फसल विविधीकरण एवं पाली हाउस तैयार कर पुष्प की खेती करने की सलाह दी।
डिंपल ने बताया कि पाली हाउस लगाने के लिए उद्यान विभाग द्वारा 33.76 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत किया गया साथ ही स्वीकृत ऋण में 16.88 लाख रूपये का अनुदान दिया। प्राप्त ऋण राशि से मैंने 4 हजार वर्ग मीटर में संरक्षित खेती करने के लिए पाली हाउस का निर्माण कराया तथा उपरोक्त भूमि में गुलाब की खेती प्रारंभ की। गुलाब के पौधे बड़े होने पर उनके फूलों को रीवा में विक्रय करने के लिए भेजा। मेरा गुलाब हाथों-हाथ बिक गया तथा उससे 60-70 हजार रूपये की आय हुई।
उद्यान विभाग के अधिकारियों ने सलाह दी की अपने द्वारा उत्पादित गुलाब के फूल कर्नाटक एवं दिल्ली तथा अन्य दूसरे महानगरों में भेजों उनकी सलाह पर मैंने गुलाब के फूल दिल्ली, बेंगलौर, आगरा एवं अन्य महानगरों में भेजा। जहां एक ओर गुलाब ने शहरों को अपने खुशबू से गमका दिया वहीं इससे प्राप्त लाखों रूपये की आय में मेरे जीवन को बदल दिया। डिंपल संरक्षित खेती करके काफी खुश एवं प्रसंन्न है। उसने कहा कि पारंपरिक खेती के स्थान पर फसल विविधीकरण एवं फूलों की खेती में अच्छा भविष्य है।