MP news- जिला अस्पताल रीवा में भगवान भरोसे मरीज वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था।
रीवा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था कागजों पर तो नजर आती है लेकिन वास्तविकता अस्पताल के अंदर कुछ और होती है हम बात कर रहे हैं कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल रीवा की जहां मरीजों को भगवान भरोसे ही रहना पड़ता है अस्पताल में पदस्थ डॉ कब आते हैं और कब चले जाते हैं कोई देखने वाला नहीं है बेलगाम हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था का संवाददाता आर्यन जायसवाल ने कवरेज किया जहां देखा गया कि जिला अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था खुद वेंटिलेटर में पड़ी है और कोई जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी मीडिया के सामने कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
कागजी घोड़े पर सवार स्वास्थ्य विभाग की प्रोग्रेस।
कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल रीवा विगत वर्षों में NSQA प्रोग्राम में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला अस्पताल बना हुआ है लेकिन अंदर की सच्चाई कुछ और ही है देखने में भव्य सभी सुविधाओं से लैस जिला अस्पताल में डाक्टरों के कक्ष खाली पड़े रहते हैं और इलाज कराने आने वाले मरीजों को मंदिर रूपी अस्पताल में डा रूपी भगवान के दर्शन नहीं होते चिकित्सीय व्यवस्था डॉक्टरों की अनुपस्थिति से बिगड़ी हुई है और मरीज़ दर दर भटकते देखे जाते हैं कहने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था 24 घंटे उपलब्ध है लेकिन साइन बोर्ड पर न कि ड्यूटी के रूप में जिला अस्पताल की प्रोग्रेस रिपोर्ट केवल कागजों तक सीमित रह गई है।
बंद पड़ी है मशीनें और जांच व्यवस्था।
जिला अस्पताल रीवा में मध्यप्रदेश शासन ने मरीजों को बेहतर इलाज के लिए योग्य चिकित्सक जांच उपकरण दवाइयां सभी तरह की व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई है लेकिन उस व्यवस्था को संचालित करने वाले ही बेलगाम हैं तो मरीज को सुविधा कैसे मिलेगी अस्पताल की हक़ीक़त यह है कि सोनोग्राफी का दरवाज़ा कभी खुलता ही नहीं और पैथालॉजी डॉ नाम मात्र के लिए पदस्थ हैं आपातकालीन स्थितिओ में भी मरीज़ को बाहर प्राइवेट सोनोग्राफी का ही सहारा लेना पड़ता है जहां से संबंधित डॉक्टर या जिम्मेदार का कमीशन सेट होता है।
ओपीडी के समय भी डा रहे नदारद।
सभी अस्पतालों का ओपीडी समय सुबह 9:00 बजे से दोपहर 1:30 और शाम 2:15 से 4:00 तक का है परंतु उसमें भी लापरवाही का नजारा देखने को मिलता है जिला अस्पताल में जब समाचार कवरेज किया गया तब ओपीडी का टाइम था लेकिन ओपीडी के समय भी डा ड्यूटी पर मौजूद नहीं देखे गए।
और मरीजों को इलाज कराने के लिए इधर-उधर भटकते देखा गया जाहिर सी बात है कि जिला अस्पताल में जब ओपीडी के समय चिकित्सक नहीं बैठते तो 24 घंटे मरीजों को सुविधाएं कैसे दे सकते हैं।