Rewa News, नर्सिंग महाविद्यालय की मान्यता खत्म होना महज़ तकनीकी प्रश्न बेटियों को पढ़ाने की जगह घर बैठाया जाना गैर जिम्मेदाराना कृत्य।
रीवा । शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय रीवा में अध्ययनरत सैकड़ों छात्राओं को प्रदेश सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैया के चलते उनके भविष्य के साथ क्रूर खिलवाड़ हो रहा है। नारी चेतना मंच ने कहा है कि ऐसी मनमानी हरकतों से शासन प्रशासन को बाज़ आना चाहिए। सीबीआई जांच-पड़ताल के चलते भवन और स्टाफ की कमी उजागर होने के बाद से संबंधित महाविद्यालय की मान्यता का संकट बना हुआ है। इस संबंध में शासन प्रशासन के द्वारा तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनाने से नर्सिंग छात्राओं की मुश्किलें बनी हुई हैं। मंगलवार को सैकड़ो छात्राओं ने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के निवास स्थान पर पहुंचकर अपना पक्ष रखना चाहा लेकिन वहां उनसे मुलाकात संभव नहीं हो पाई। इस दौरान पीड़ित छात्राओं की फरियाद सुनने की जगह उन पर दबाव बनाने काफी पुलिस बल बुला लिया गया। जिसके चलते छात्राओं को एक बार फिर रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल की ओर मुखातिब होकर ज्ञापन सौंपना पड़ा। लेकिन कोई हल सामने नहीं आया। शैक्षणिक सत्र 2020-21 और 2021-22 में दाखिला लेने वाली छात्राओं की परीक्षाएं अभी तक आयोजित नहीं की गईं हैं। अध्यनरत छात्राओं ने महाविद्यालय में प्रतियोगिता के आधार पर विधिवत प्रवेश लिया है। ऐसी स्थिति में भवन और स्टाफ की व्यवस्था देना शासन प्रशासन का काम है।
अध्ययनरत छात्राओं की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आए इसकी जवाबदेही मध्यप्रदेश सरकार की है। नर्सिंग प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद निर्धारित शुल्क जमा करने के बावजूद महाविद्यालय में दाखिला लेने वाली छात्राओं का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। नारी चेतना मंच ने कहा कि नया भवन बनाए जाने तक किसी अन्य स्थान पर व्यवस्था बनाई जा सकती है। सरकार प्रदेश में कई नए जिला बनाने की व्यवस्था बना सकती है लेकिन शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय के लिए समय रहते भवन और स्टाफ नहीं दे पाना बहुत भेदभावपूर्ण व्यवहार है। चुनाव के समय वोट बटोरने के लिए भाजपा सरकार लाड़ली बहना योजना के नाम पर रेवड़ी बांटकर मुफ्तखोरी को बढ़ावा दे रही है वहीं अपने खर्च पर पढ़ाई करने वाली नर्सिंग महाविद्यालय रीवा की सैकड़ों छात्राओं के साथ जो गलत व्यवहार हो रहा है , वह बेहद चिंताजनक आपत्तिजनक है। नारी चेतना मंच ने कहा है कि महाविद्यालय की मान्यता खत्म होना महज़ एक तकनीकी प्रश्न है। लेकिन इसके चलते छात्राओं को ना तो अपात्र घोषित किया जा सकता है और ना ही उनकी पढ़ाई में किसी तरह की दखलअंदाजी की जा सकती है।
नर्सिंग पढ़ाई स्वास्थ्य सेवाओं से सीधी जुड़ी हुई है जिसे नजर अंदाज किया जाना अत्यंत आपत्तिजनक जन विरोधी बात है। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं जो अब नर्सिंग छात्राओं के मामले में मज़ाक बन गया है। बेटियों को पढ़ाने की जगह , घर बैठाने की बात बहुत गैर जिम्मेदाराना आपत्तिजनक और निंदनीय है।