Rewa news, सफेद पोश एवं प्रबंधन पर एजी कालेज रीवा की दुर्दशा करने का लगा आरोप।
रीवा । जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर की स्थापना के पूर्व से ही कृषि विद्यालय के नाम से रीवा में कृषि शिक्षण की एक ब्रांच दरबार कॉलेज रीवा में संचालित होती थी सन 1952 में रीवा कृषि कॉलेज की स्थापना हुई बाद में जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के अधीन कर दिया गया प्रारंभिक दौर पर कॉलेज के निर्माण में स्थानीय लोगों का शारीरिक श्रमदान के साथ आर्थिक सहयोग रहा कॉलेज के अंदर अनुसंधान शिक्षण डेयरी एवं कृषि प्रक्षेत्र सहित कई शाखाएं बड़ी गति से कार्य करती रही संस्था को अनुसंधान क्षेत्र में आईसीएआर यानि भारतीय कृषि अनुसंधान नई दिल्ली एवं शिक्षण क्षेत्र के लिए मध्य प्रदेश शासन से प्रत्येक वर्ष काफी बजट आता रहता है दोनों बजट जबलपुर विश्वविद्यालय के माध्यम से कॉलेज प्रबंधन को भेजा जाता है जहां कॉलेज के अधिष्ठाता के माध्यम से बजट का उपयोग किया जाता है।
संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव सिंह एडवोकेट ने कॉलेज की वर्तमान दुर्दशा देख सफेद पोश नेताओं एवं कालेज प्रबंधन पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि विगत 10 वर्षों से जब से सफेद पोश नेताओं ने स्थानीय चहेतो को डीन जैसे पदों में बैठाने का काम किया तब से वह लोग लकड़ी में लगे घुन की तरह संस्था को खाने का काम किया इसके पहले कॉलेज का संचालन काफी कुछ बेहतर था अब तो शिक्षा डेयरी अनुसंधान कृषि प्रक्षेत्र सब खत्म हो गया कॉलेज में शिक्षकों की कमी दोनों हॉस्टलों की हालत दयनीय है जो कभी भी गिर सकते हैं पहले डेयरी में सैकड़ो गाये रहती थी जहां एक टाइम में 100 से 150 लीटर दूध का उत्पादन होता था अब 20 लीटर भी नहीं हो पा रहा है अब न तो पशु है न ही उनका खाना है।
कॉलेज की जमीन को भी बीज निगम सहित हाल ही में 2 एकड़ से अधिक जमीन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट को दे दी गई प्रत्येक वर्ष आया बजट हजम हो जाता है कर्मचारियों को वेतन पेंशनरों को पेंशन नहीं मिल पा रहा है आज भी 400 से अधिक मजदूर रजिस्टर्ड हैं जिनको काम नहीं है कृषि वैज्ञानिक खेतों में नहीं जाते कॉलेज की अधिकतर जमीन बंजर पड़ी है कुल मिलाकर सरकार की गिद्ध दृष्टि कॉलेज की भूमि पर भी लग चुकी है सरकार कहीं न कहीं कॉलेज परिसर को हटाकर एक सीमित एरिया में भेजना चाहती है इसलिए हम सब रीवा वासियों का कर्तव्य है कि हमें कॉलेज को बचाने आगे आना चाहिए