कांग्रेस ने रीवा में नीलम अभय मिश्रा को लोकसभा प्रत्याशी बनाकर विपक्ष को दे दिया परिवारवाद का मुद्दा।
कांग्रेस नेताओं की हुई गुप्त बैठक में हुए निर्णय की निकल गई हवा दूसरी बार अपनी ही पार्टी के नेताओं से जीते अभय मिश्रा।
विराट वसुंधरा
रीवा जिले में कांग्रेस पार्टी भले ही लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब ना हो लेकिन जिले के कांग्रेस नेताओं में एकता कभी-कभार देखने को मिलती रहती है लोकसभा चुनाव को लेकर रीवा में टिकट के कई दावेदार देखे जा रहे थे जिसमें अजय मिश्रा बाबा, सुखेंद्र सिंह बन्ना, त्रियुगीनारायण शुक्ला, कविता पांडे, विद्यावती पटेल राजेंद्र शर्मा जैसे नेताओं का नाम लिया जा रहा था इन दावेदारों का टिकट मांगना इनका अधिकार था लेकिन कांग्रेस पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने ऐसा निर्णय लिया जो कांग्रेस के लोकसभा टिकट के दावेदारों के लिए नागवार गुजरेगा जाहिर सी बात है कि जिस नेता ने कांग्रेस पार्टी के लिए वर्षों तक काम किया है टिकट का उसका पहला हक बनता है लेकिन रीवा की लोकसभा टिकट में ऐसा नहीं हुआ विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से कांग्रेस में आए अभय मिश्रा किस्मत के सहारे सेमरिया से विधायक बने उस दौरान भी सेमरिया विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अभय मिश्रा को टिकट दिए जाने का विरोध किया था कांग्रेस नेताओं का कहना था की रोज-रोज पार्टी बदलने वाले व्यक्ति को कांग्रेस में शामिल न किया जाए और ना टिकट दिया जाए लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने अभय मिश्रा को टिकट दिया और वह विधायक भी बन गए अभय मिश्रा को कांग्रेस में आने का विरोध करने वाले नेताओं की एक न चली अभय मिश्रा कांग्रेस नेताओं से भी जीते और विधानसभा चुनाव भी जीते ठीक उसी तरह से अब लोकसभा चुनाव की भी स्थिति बनी हुई है यहां भी टिकट के दावेदारों की कमी नहीं थी भले ही अब अभय मिश्रा का विरोध न करें लेकिन उनकी पत्नी नीलम मिश्रा को लेकर रीवा जिले की कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से सहमत नहीं थी इसका कारण यह है कि नीलम मिश्रा ना तो कांग्रेस पार्टी की राजनीति में सक्रिय रही है और ना ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली थी कांग्रेस नेता अभय मिश्रा के लिए लोकसभा का टिकट पर सहमत थे लेकिन अभय मिश्रा अपनी पत्नी के लिए टिकट लेकर आ गए।
विपक्ष को मिल गया बड़ा मुद्दा।
विदित है कि नीलम अभय मिश्रा भाजपा से विधायक रही हैं और उनके पति अब कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं एक नेता होने के नाते नीलम मिश्रा नहीं बल्कि अभय मिश्रा की पत्नी होने के नाते कांग्रेस पार्टी से टिकट पाने में सफल रही है नीलम मिश्रा द्वारा अभी तक कांग्रेस पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं किया गया है धरना प्रदर्शन और कांग्रेस पार्टी के अन्य सम्मेलन और कार्यक्रमों में कहीं भी नीलम मिश्रा नजर नहीं आती है जाहिर सी बात है की अभय मिश्रा की पत्नी होना ही उनके लोकसभा टिकट का मुख्य आधार है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को बैठे-बैठे एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया की कांग्रेस पार्टी में पैसे वालों टिकट दी जाती है और परिवारवाद हावी है परिवारवाद का मुद्दा कांग्रेस पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर घातक साबित हो चुका है ऐसे में इस मुद्दे को भाजपा के नेता हर हाल में भुनाना चाहेंगे परिवारवाद के मुद्दे पर आज भी कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर घिरी रहती है ऐसे में नीलम मिश्रा का कांग्रेस पार्टी से प्रत्याशी बनाया जाना कांग्रेस पार्टी के लिए कमजोर कड़ी साबित हो सकता है।
कांग्रेस नेताओं की गुप्त बैठक की निकल गई हवा।
23 मार्च को रीवा जिले के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की एक गुप्त बैठक हुई थी सोशल मीडिया में इस बैठक का मकसद होली मिलन बताया गया है लेकिन लोकसभा टिकट से पहले कांग्रेस पार्टी के दर्जनों बड़े नेताओं की बैठक रीवा लोकसभा प्रत्याशी किसे होना चाहिए इस पर विचार विमर्श किए जाने और शीर्ष नेतृत्व को अपना निर्णय बताने के लिए हुई थी इस बैठक में कई लोकसभा के टिकट के दावेदार भी मौजूद थे और अन्य बड़े नेता भी शामिल थे सूत्रों की माने तो कांग्रेस नेताओं ने एक राय होकर तय किया था कि टिकट उसे दिया जाए जो कांग्रेस पार्टी का सदस्य हो कार्यकर्ता हो और कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया हो फिर चाहे वह सेमरिया विधायक अभय मिश्रा ही क्यों ना हों कांग्रेस नेताओं ने अभय मिश्रा पर अपनी सहमति लगभग दे दी थी और शीर्ष नेतृत्व को भी अपने निर्णय से अवगत करा दिया था कि किसी भी नेता की पत्नी और पुत्र को लोकसभा टिकट न देकर कांग्रेस के नेता को ही टिकट दिया जाए जो कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहे हैं इसके पीछे कांग्रेस नेताओं का कहना था कि परिवार को टिकट दिया जाना घातक साबित हो सकता है विरोधी पार्टी को परिवारवाद का मुद्दा मिल जाएगा लेकिन देर रात रीवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी नीलम मिश्रा को घोषित कर दिया गया जबकि नीलम मिश्रा कांग्रेस पार्टी की सदस्य भी नहीं है और कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल भी नहीं होती हैं सभी नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व को अपना निर्णय भी बता दिया था लेकिन एक बार फिर वही हुआ जो अभय मिश्रा चाहते थे अभय मिश्रा खुद तो चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे लेकिन पत्नी नीलम मिश्रा को टिकट दिए जाने के लिए सहमत थे और वही हुआ भी बीते विधानसभा चुनाव की ही तरह रीवा जिले के कांग्रेस नेताओं पर एक बार फिर अभय मिश्रा भारी पड़े हैं हालांकि इस बैठक को कांग्रेस नेताओं ने होली मिलन की बैठक बताया था।