Rewa newa, सनातन धर्म श्रीमद् भागवत कथा पुराण से होता है मानव उद्धार।
रीवा । दिनांक 11 अप्रैल 2024 से ग्राम पंचायत खर्रा तहसील नई गढ़ी जिला मऊगंज में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने वाले राम आश्रय चतुर्वेदी और श्रीमती निर्मला चतुर्वेदी द्वारा अपने पूर्वजों और अपने गांव के लोगों के साथ-साथ जीव आत्माओं के कल्याण के लिए श्रवण कराया जा रहा है कथा व्यास कुलगुरु परम श्रद्धेय स्वामी श्री जगदीशानंद जी महाराज वाराणसी काशी के मुखारबिंदु से भागवत महा कथा कलश यात्रा भागवत महत्व परीक्षित कथा शिव सती उपाध्याय धूप चरित्र भारत अभियान आज चरित्र समुद्र मंथन 52 कथा कृष्ण जन्म उत्सव बाल लीला गोवर्धन पूजा रुक्मणी मंगल विवाह वर्षिक उत्सव सुदामा चरित्र परीक्षित मोक्ष व्यास पूजन हवन कथा विश्राम आदि प्रमुख भागवत महां कथा के महत्व को मुख्य व्यास पीठ के द्वारा सुनाया जा रहा है।
ऐसे की गई है व्यवस्था।
इस कार्यक्रम में व्यवस्था धर्मेश चतुर्वेदी वीरेश चतुर्वेदी अरविंद अजय आशीष मनोज प्रशांत अमर आकांक्षा अंजलि नेहा मनु खुशी रिज्यू निशा राजीव लोचन चतुर्वेदी राम आश्रय चतुर्वेदी निर्मला चतुर्वेदी एडवोकेट धनंजय चतुर्वेदी कुसुम कली चतुर्वेदी अनिल चतुर्वेदी बांधव चतुर्वेदी रोहिणी चतुर्वेदी सतीश चतुर्वेदी के द्वारा की जा रही है महिलाओं के लिए व्यवस्था और स्वागत गुड़िया रानी सोनम द्वारा की जा रही है। विद्वान कथावाचक के मुखारबिन्दु से कथा वाचन किया जा रहा है जिसका श्रवण करने वाले ग्राम खर्रा में काफी संख्या में ग्रामीण और आसपास के लोग एकत्रित हो रहे हैं कथा का श्रवण करने वाले लोगों के बैठने और जलपान के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
11 अप्रैल से शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा का समापन 17 अप्रैल 2024 को प्रसाद वितरण भंडारा के साथ संपन्न होगा।
क्या कहते हैं स्वामी श्री जगदीशानंद जी महाराज वाराणसी।
सनातन धर्म में भागवत महा कथा के पौराणिक महत्व है आज विज्ञान जो भी खोज कर रहा है वह सब शास्त्रों और पुराणों से ही संभव हो पा रहा है तात्कालिक शास्त्र और पुराणों को लेकर लिखने वाले विद्वानों द्वारा काफी व्यापक पैमाने पर खोज किया गया था पुराणों में यह भी उल्लेख है औषधि शब्द विधि वन समाज और छोटे बड़े से किस तरह से व्यवहार करना चाहिए चाहे भागवत महापुराण हो चाहे वाल्मीकि महापुराण हो चाहे शिव पुराण हो हर एक चीज को रचना के दौरान सनातन धर्म की रक्षा और सनातन धर्म की एकाग्रता को बनाए रखने के लिए एक वृहद उल्लेख किया गया जहां मनुष्य के जन्म से लेकर और मरण तक की मोक्ष के रास्ते बताए गए हैं इस शरीर की जीव आत्मा शास्त्रों से अमर अजर है इस आत्मा को ना तो जलाया जा सकता ना यह आत्मा मरती यह सूक्ष्म आत्मा पृथ्वी लोक के बाद स्वर्ग लोक कर्मों के आधार पर पुनर्जन्म के विधान मिलते हैं स्वामी जगदीशानंद महाराज जी ने बताया की जो जीव आत्मा कर्म बस इस धरती पर विचरण करती हैं उन्हें हवन यज्ञ और देवी देवताओं के पूजन से काफी शांति मिलती है और वह अपने कुल के व्यक्तियों को आशीर्वाद देते हैं जिससे उनके कुल की समृद्धि और कुशलता और विकास निर्धारित होता है मनुष्य हर चीज अर्जित कर सकता है किंतु कुछ चीज ऐसी हैं जो धर्म आस्था पर टिकी हुई जैसे शरीर की संरचना बौद्धिक क्षमता यह दो चीज अपने पूर्वज और अपने माता-पिता और कर्मों के आधार पर मिलती हैं।