- Rewa news, इलाज के नाम पर लूट का अड्डा बने निजी अस्पताल में प्रशूता की मौत के बाद बवाल।
विराट वसुंधरा/ यज्ञ प्रताप सिंह
रीवा । जिले में धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों का काला सच आए दिन सामने आता रहता है जिस प्रकार से सरकारी अस्पताल को उपेक्षित करके डॉक्टरों द्वारा निजी अस्पतालों को बढ़ावा देकर मरीजों से इलाज़ के नाम पर लूटपाट की जा रही है यह किसी से छिपा नहीं है दर्जनों निजी अस्पताल रीवा शहर में खुले हैं इसके साथ ही सैकड़ो निजी क्लीनिक जिसमें आधे से अधिक अवैध रूप से संचालित है कोई देखने वाला नहीं है ताज्जुब की बात तो यह है कि रीवा जिले को मेडिकल हब बनाने में जुटे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के मिशन को लुटेरे डॉक्टरों द्वारा अपने निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है विंध्य क्षेत्र की सबसे बड़ी संजय गांधी अस्पताल को उपेक्षित करने में वहां पदस्थ चिकित्सक लगे हुए हैं अपने आवास या निजी क्लीनिक में मरीजों को देखते हैं और फिर निजी अस्पताल में भेज कर इलाज के नाम पर उसका दोहन करते हैं इसके बाद भी जब मरीज की जिंदगी नहीं बचा पाते तब बखेड़ा खड़ा हो जाता है ऐसा ही एक मामला रीवा शहर के समान थाना क्षेत्र स्थित प्रार्थना हॉस्पिटल से सामने आया है जहां एक प्रसूता की मौत होने के बाद बवाल खड़ा हो गया।
क्या कहते हैं मृतक के परिजन।
पीड़ित परिजनों ने बताया कि संजय गांधी अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर को महिला को दिखाया गया था जहां डॉक्टर की सलाह पर प्रार्थना हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया महिला जब भर्ती हुई थी तब उसकी हालत ठीक थी प्रसव के बाद भी स्वास्थ्य थी लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही और मरीज को सीरियस बनाकर रुपए ऐंठने की नीयति के चलते प्रसूता काल के गाल में समा गई प्रसूता की मौत के बाद प्रार्थना हॉस्पिटल में हंगामा शुरू हो गया अस्पताल प्रबंधन को तत्काल पुलिस बुलाना पड़ा पीड़ित परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मनमाना रुपए वसूलने के लिए जानबूझकर मरीज को सीरियस बनाया गया और फिर डॉक्टरों की लापरवाही से प्रसूता की जान चली गई।
मरीज को बनाया गया सीरियस।
पीड़ित परिजनों का कहना है कि प्रशूता सुमन शर्मा निवासी सतना जिला को उनके मायके सीधी जिले से रीवा संजय गांधी अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर को दिखाने लाया गया था डाक्टर ने प्रार्थना हॉस्पिटल में सही ढंग से उपचार करने की व्यवस्था का हवाला देकर मरीज को प्रार्थना हॉस्पिटल में भेज दिया था प्रसूता की आपरेशन से डिलबरी हुई और फिर महिला का इलाज आईसीयू में भर्ती करके किया जा रहा था जब महिला का प्रसव हुआ उसके बाद तक महिला स्वास्थ्य थी लेकिन पैकेज के चक्कर में महिला का इलाज किया जाता रहा जिसके कारण उसकी मौत हो गई परिजनों ने यह भी बताया कि मरीज की आंखों में टेप चिपकाया गया था और मृतक होने के बाद भी ब्लड चढ़ाने का ड्रामा किया जाता रहा जब परिजनों को आभास हुआ और विरोध किए तब मृतक होने की पुष्टि की गई।
पैकेज के चक्कर में होता है खेल।
निजी अस्पतालों में हो रही घटनाओं और फिर लग रहे गंभीर आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों का अस्पताल प्रबंधन द्वारा पैकेज तय कर लिया जाता है की कितने रुपए तक इलाज खींचना है और कितने दिनों तक भार्ती रखना है इसके बाद जो मरीज अपने पैरों से चलकर आते हैं दो-तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद बेशक्त हो जाते हैं और उनको आईसीयू में डाल दिया जाता है तब तक मरीज के परिजनों के दिलों दिमाग में मरीज की जान बचाने की नौबत आ जाती है और फिर लाखों रुपए उपचार में लग जाते है अस्पताल में मरीज को ओवरडोज दवाइयां देकर गंभीर स्थिति में लाने के बाद अधिकांश मरीजों की तो जान बच जाती है लेकिन कुछ मरीज ऐसे बदकिस्मत होते हैं जो काल के गाल में समा जाते हैं।