“छूने से नहीं फैलता है सोरायसिस” विश्व सोरायसिस दिवस 29 अक्टूबर पर विशेष: डॉ बी एल मिश्रा एम डी (मेडिसिन)
सोरायसिस मानव शरीर के त्वचा में होने वाली ऑटोइम्यून व दीर्घकालिक रोग है जो कैंसर की तरह पीड़ा दायक, एक्जिमा की तरह खुजली वाला व कुष्ठ की तरह व्यक्ति व परिवार जनों को सामाजिक व संवेदना वाली बीमारी है। दुनिया में अनुमानित 12 करोड़ सोरायसिस से पीड़ित लोग हैं जबकि भारत में यह संख्या एक करोड़ से ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 29 अक्टूबर को 70 से अधिक देशों में “विश्व सोरायसिस दिवस” के रूप में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य है – बीमारी से पीड़ित लोगों को सम्मानित करना, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच बनाना, उपचारों में शोध, पीड़ित लोगों व परिवारों को सहयोग करना,उन्हें सशक्त बनाना जो कुठाओं के साथ जीवन का सामना करते हैं। यह रोग ज्यादातर 20 से 40 वर्ष की आयु में व महिलाओं की तुलना में पुरुषों में दो गुना से अधिक होता है। यह बीमारी संक्रामक नहीं होती अतः ये परिवार जनों और सहकर्मियों के साथ रह सकते हैं व कार्य कर सकते हैं। इस बीमारी का अब तक पूर्ण रूपेण कोई भी इलाज नहीं है लेकिन कुशल चिकित्सकों के परामर्श से शारीरिक तकलीफों से राहत मिल सकती है। इस बीमारी में खास बात यह है की बीमारी के लक्षण जीवन पर्यंत आते जाते रहते हैँ। वर्ष 2024 की इस दिवस की थीम है “*सोराइटिस रोग व परिवार* ” है।यानि न केवल मरीज बल्कि उनके परिवार के सदस्यों का मनोबल बढ़ाना आवश्यक है। कुशल चिकित्सक त्वचा के परीक्षण सेमीनार का पता लगा लेते हैं जबकि लैब से बीमारी की जांच नहीं हो पाती।
सोरायसिस बीमारी के लक्षण।
यह रोग जिन प्रमुख अंगों को प्रभावित करता है वह हैं – कोहानियां व घुटने, चेहरे व मुँह,खोपड़ी,हाथ_ पैर के नाखून, हथेलियां व पैर, पीठ के निचले हिस्से व जननांग। बीमारी में मुख्य लक्षण है – त्वचा (चमड़ी) में सूजन,मोटे दाग, चकत्ते, सूखापन, नाखून में गड्ढे व उनके टुकड़े टुकड़े होना, जोड़ों में दर्द।
सोरायसिस से जटिलताएं।
इस भयावह बीमारी से पीड़ित लोगों में जो जटिलताएं होती हैं वह है – गठिया बात, मधुमेह,मोटापा, मानसिक अवसाद, ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, स्ट्रोक, हार्ट अटैक।
सोरायसिस बीमारी को बढ़ाने वाले कारक।
यह बीमारी वंशानुगत होने की संभावना के साथ विभिन्न कारक बीमारी के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं जैसे -संतुलित भोजन न करना,ज्यादा दुग्ध उत्पाद, डिब्बा बंद व बाजार में बने खाद्य पदार्थ ( ब्रेड,पिज़्ज़ा, प्रेस्टीज), तंबाकू_ धूम्रपान_ शराब का सेवन, आरामदायक जीवन, व्यायाम न करना, कम नींद, डायबिटीज, मानसिक रोग, लाल मांस।
सोरायसिस मरीजों को सलाह।
इन मरीजों एवं परिजनों को समझना होगा कि यह बीमारी जीवन पर्यंत रहेगी व समय-समय में आती जाती रहेगी। नियमित रूप से कुशल चिकित्सक से परामर्श करें, निर्देशानुसार औषधियां लें, स्नान पश्चात नमी प्रदान करने की दवा लगाए, कठोर साबुन से बचें, त्वचा को नम रखें, कुनकुना पानी से स्नान करें, ठंड के मौसम में दूसरे दिन नहायें, यथासंभव खुजलाने से बचें, व चिकित्सीय परामर्श उपरांत क्रीम लगायें, तकलीफ बढ़ाने वाले कारकों – संक्रमण, चोट, ठंड का मौसम, धूम्रपान -तंबाकू- शराब के सेवन से बचें, नियमित इलाज लें (ब्लड प्रेशर,डायबिटीज, हृदय रोग, मानसिक रोग), व्यायाम- मेडिटेशन- योग करें, पर्याप्त नींद ले, संतुलित आहार- गाय का दूध,हरी सब्जी, मौसमी फल, मछली, मटर व बीन्स लें।
अपेक्षाएं।
सोरायसिस बीमारी की प्रकृति को देखते हुए शासन, समाज सेवी संस्थाएं, जनप्रतिनिधियों को मरीज और उनके परिजनों का सहयोग करना चाहिए। उन्हें निःशुल्क परीक्षण, इलाज के साथ बेहतर पेंशन, पुनर्वास व रोजगार का प्रबंध किया जाना चाहिए। इन्हे स्वास्थ्य सेवाएं विकासखंड स्तर तक उपलब्ध होना चाहिए।
👉 लेखक — ( डॉ बी एल मिश्रा ) सेवा निवृत क्षेत्रीय संचालक मध्यप्रदेश स्वास्थ्य सेवाएं रीवा संभाग – 9424974800