MP news, अजब एमपी में गज़ब कारनामा, फर्जी प्रमाणपत्र से 157 लोग बन गए शिक्षक अब पोल खुली तो जाएगी नौकरी।
डाक्टरों की मेहरबानी से बन गए विकलांगता के प्रमाण पत्र आंख वाले डॉ ने हड्डी और हड्डी वाले डॉ ने आंखों का बना दिया विकलांगता प्रमाण पत्र।
शासन की नौकरी पाने के लिए एक तरफ जहां लोग रात दिन पढ़ाई करके सफलता पाने के लिए कई वर्षों तक तपस्या करते हैं तब जाकर कहीं उन्हें नौकरी मिलती है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो शॉर्टकट अपनाते हैं इसके लिए फिर चाहे जाली प्रमाण पत्र ही क्यों न बनवाना पड़े या रिश्वत देकर नौकरी हासिल करना पड़े चाहिए तो बस सरकारी नौकरी ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के भिंड जिले से सामने आया है जहां भिंड जिले में विकलांग कोटे से शिक्षकों की हुई भर्ती का खुलासा हुआ है इसके साथ ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने वाले डॉक्टरों ने तो सारी हदें पार कर दिया नियम है कि दिव्यांगता की जांच मेडिकल बोर्ड के द्वारा की जाती है और फिर प्रमाण पत्र जारी किया जाता है लेकिन यहां कुछ और ही हुआ है मेडिकल बोर्ड की जगह सिंगल डॉक्टरों ने ही प्रमाण पत्र जारी कर दिया था इस फर्जीवाड़े में नेत्र चिकित्सक ने पैर की विकलांगता का प्रमाण पत्र बनाए तो वही हड्डी के डॉक्टर ने कान और नाक कान गला विशेषज्ञ ने आंखों की विकलांगता का प्रमाण पत्र जारी कर दिया।
157 लोगों ने फर्जी दिव्यागता प्रमाण पत्र से पाई नौकरी।
भिंड जिले में दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर विकलांग कोटे से 157 लोगों ने शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर ली है
हालाकि यह फर्जीवाड़ा करीब डेढ़ वर्ष पहले पकड़ में आ गया था, लेकिन अफसरों ने शिक्षकों को बचाने के लिए मामला दबा कर रखा था जबकि इसी तरह के फर्जीवाडे़ मध्यप्रदेश के छतरपुर टीकमगढ़ ग्वालियर मुरैना जिले से सामने आने के बाद 205 शिक्षकों को सेवा से पृथक किया जा चुका था लेकिन भिंड जिले में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक बनने वाली लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई थी।
डॉक्टरों ने कहा हमने नहीं बनाए सर्टिफिकेट।
जारी किए गए विकलांगता के प्रमाण पत्र सात अलग-अलग डाक्टरों में,डॉ. आरके गांधी : (नेत्र रोग विशेषज्ञ) डॉ. जेपीएस कुशवाह : (हड्डी रोग विशेषज्ञ) डॉ. यूपीएस कुशवाह : (हड्डी रोग विशेषज्ञ) डॉ. आरके अग्रवाल: (हड्डी रोग विशेषज्ञ)
डॉ जेएस यादव : (अस्थि रोग विशेषज्ञ) डॉ. आरसी श्रीवास्तव : (आंख, कान, नाक और गला विशेषज्ञ) डॉ. रवींद्र चौधरी और डॉ. आरएन राजौरिया : (ईएनटी विशेषज्ञ) द्वारा बनाना बताया गया है लेकिन इन डॉक्टरों ने कहा कि जो प्रमाण पत्र हमारे बनाए हुए बताए जा रहे हैं वह गलत है हम जिस विधा में विशेषज्ञ नहीं हैं इसका प्रमाण पत्र क्यों बनाएंगे डॉक्टर का कहना है कि यह प्रमाण पत्र हमारे द्वारा नहीं बनाए गए हैं बाबुओं ने गलत नाम दर्ज कर दिया होगा।