Singrauli news ncl : . कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) की कोल गैसीफिकेशन प्रोजेक्ट (Coal Gasification Project) में एनसीएल अभी सहभागिता के लिए तैयार नहीं है। कंपनी की ओर से मंत्रालय से लेकर कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) तक को वस्तुस्थिति से अवगत कराई गई है। इसके लिए कराए गए एक सर्वे का हवाला दिया गया है। कोल गैसीफिकेशन प्रोजेक्ट के लिए पूर्व में बनाई गई योजना में कोल इंडिया लिमिटेड की छह अनुषंगी कंपनियों को शामिल किया गया है। इसमें एनसीएल भी शामिल था।
कोयला मंत्रालय की ओर से बनाए गए प्रस्ताव के मुताबिक सभी छह अनुशंगी कंपनियों की 10 परियोजनाओं में 20 मिलियन टन कोयला के गैसीफिकेशन यानी गैसीकरण की योजना थी। इसमें एनसीएल को 1.5 मिलियन टन कोयला के गैसीकरण की जिम्मेदारी दी गई थी। एनसीएल के ब्लॉक-बी परियोजना में प्लांट लगाना था। इसी प्रकार एमसीएल की तीन परियोजनाओं में 10 मिलियन टन का, सीसीएल की दो परियोजनाओं में 3 मिलियन टन का, इसीएल की दो परियोजना में 2 मिलियन टन, एसइसीएल में 2.5 मिलियन टन व डब्ल्यूसीएल में एक मिलियन टन कोयला का गैसीफिकेशन किया जाना है। फिलहाल एनसीएल के जनसंपर्क विभाग ने प्रस्ताव वापस लिए जाने की जानकारी दी है।
क्या है कोल गैसीफिकेशन… कोल गैसीफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें फ्यूल गैस बनाने के लिए कोयला को वायु, ऑक्सीजन, वाष्प या कार्बन डाइऑक्साइड के साथ आंशिक रूप से ऑक्सीकृत किया जाता है। कोयले के गैसीफिकेशन में सिनगैस प्राप्त होती है जो मुख्य रूप से मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और जल वाष्प का मिश्रण है। सिनगैस का उपयोग बिजली के उत्पादन और उर्वरक जैसे रासायनिक उत्पाद के निर्माण में किया जाता है।
गैसीफिकेशन के लाभ
● कोयला से बिजली उत्पादन में कार्बन के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा।
● क्लीन एनर्जी की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिलेगा।
● ये प्रोजेक्ट निवेश और रोजगार दोनों के लिए ही उपयोग साबित होगा।
● क्लीन एनर्जी सेक्टर से अर्थव्यवस्था को मजबूती व बढ़ोत्तरी मिलेगी।