सिंगरौली : पड़ोसी राज्य यूपी के सोनभद्र से एमपी क तुलना में 7 रूपये प्रति लीटर सस्ता डीजल क्रय कर मोरवा क्षेत्र के कोलवाहनों में मिनी टैंकर परिवहन कर खपाने में दिन-रात लगे हैं। लेकिन इन मिनी टैंकरों पर जिला प्रशासन एवं खाद्य विभाग का अमला बेसुध बना हुआ है। डीजल की सप्लाई करने के लिए टैंकरों को अनुमति कहां से मिली है। इसपर भी संबंधित विभागीय अधिकारियों से सवाल किये जाने लगे।दरअसल मोरवा क्षेत्र में ओबी कंपनी कलिंगा, चड्ढा, पीसी, राम कृपाल सहित अन्य ओबी कंपनी यूपी के मुगल सराय से डीजल क्रय कर ओबी कंपनियों में खपा रहे हैं।
इसकी लगातार शिकायते भी की जा रही है। लेकिन सेल टैक्स अमला के साथ-साथ पुलिस एवं प्रशासन भी कार्रवाई करने से पीछे भागते नजर आती है। वही चर्चा है कि ओबी कंपनियां म.प्र. सरकार को महीने में करोड़ों रूपये की आर्थिक क्षति जहां पहुंचा रही हैं। वही दूसरी ओर मिनी टैंकर भी यूपी के पड़ोसी जिला से डीजल क्रय कर मोरवा क्षेत्र के कई टैंकरों में धड़ल्ले के साथ दिन दहाड़े खपा रहे हैं। फिर भी जिला प्रशासन के साथ-साथ खाद्य विभाग का अमले की नजर इन मिनी टैंकरों पर नही पड़ रही है। जबकि आरोप है कि मिनी टैंकर यूपी से डीजल लेकर दिनमान परिवहन कर खपाते रहते हैं।
यह गोरखधंधा मिनी टैंकरों के कई सालों से चल रहा है। इसके बावजूद इनपर कार्रवाई व धरपकड़ नही की जा रही है। लिहाजा अब सवाल उठ रहा है कि मिनी टैंकरों को डीजल परिवहन एवं खपाने की मंजूरी आखिरकार कहां से मिली है। इसकी भी तहकीकात करने पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि नापतौल विभाग के निरीक्षक अरविंद सिंह के अनुसार 6 हजार लीटर तक के दो फिलिंग स्टेशनों के द्वारा टैंकरों से डीजल की सप्लाई करने का अनुमति लिया है। उनमे नोजल लगे हुये हैं। यदि 6 हजार से नीचे टैंकरों से डीजल सप्लाई हो रही है तो वह अवैध है। फिलहाल मोरवा के शुक्ला मोड़ से लेकर काटा मोड़ तक धड़ल्ले के साथ दिन दहाड़े ज्वलनशील पदार्थ डीजल की सप्लाई कर रहे हैं। इन टैंकरों के द्वारा डीजल की सप्लाई कहां से अनुमति ली गई है। जांच के बाद ही इसका पता चल पाएगा।
मिनी टैंकर भी प्रदेश सरकार को लगा रहे चपत
ओबी कंपनियां एक ओर जहां म.प्र. को राजस्व कर के रू प मेें महीने में करोड़ों रूपये की क्षति पहुंचा रही है। वही मिनी टैंकर भी यूपी से सस्ता डीजल खरीदकर मोरवा के शुक्ला मोड़ से लेकर काटा मोड़ तक चुनिन्दा कोलवाहनों में डीजल खपाने का काम कर रहे हैं। यही डीजल म.प्र से क्रय कर परिवहन करे तो सरकार को राजस्व प्रति लीटर में 7 रूपये की लाभ मिलता। किन्तु प्रशासन की अनदेखी का फायदा मिनी टैंकर के व्यवस्थापकों द्वारा भरपूर तरीके से लिया जा रहा है। चर्चा यहां तक है कि रोजाना हजारों लीटर यूपी से एमपी के सिंगरौली में प्रवेश कर रहा है। फिर भी खण्ड स्तर से लेकर जिला प्रशासन अंजान बना हुआ है। फिलहाल यूपी से एमपी में खप रहे डीजल को लेकर प्रशासन के ढुलमुल रवैया गणमान्य नागरिकों के गले से यह बात नही उतर रही है।
बड़े हादसे के इंतजार में तो नही…?
आधा दर्जन से अधिक मिनी टैंकरों से डीजल की सप्लाई की जा रही है। सवाल उठाया जा रहा है कि क्या निर्धारित मापदण्ड के अनुसार डीजल टैंकरों का निर्माण हुआ है और इसकी अनुमति किसने दी। साथ ही क्या इन टैंकरों में नोजल लगा रहै। यदि नही तो इसकी जांच आज तक क्यो नही की गई ? इस तरह के सवाल अब किये जाने लगे हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि टैंकरों की गुणवत्ता यदि ठीक-ठाक नही रहा तो किसी दिन दुर्भाग्यवश कोई हादसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। प्रबुद्ध नागरिक प्रशासन से सवाल उठा रहे हैं कि क्या बड़े हादसे के इंतजार में है। जब कोई बड़ा हादसा होगा तभी प्रशासन की ऑख खूलेगी।