मैहर बने नजीर, मैहर की तरह पूरे धार्मिक स्थानों में खुले माई की रसोई
मैहर।माई की रसोई का निःशुल्क संचालन धीरज पांडेय की उम्दा सोच का परिणाम है। एक दर्शनार्थी जब दूरदराज से यात्रा कर थकाहारा जब धाम पहुँचता है अपनी श्रद्धानुसार माई का दर्शन पूजन करता है करके जब फुरसत होता है तब उसे अपने पेट की याद आती है लेकिन जब वह धाम से उतरते ही यह व्यवस्था देखता है तो उसका मन गदगद हो जाता है उसके पास पैसा हो न हो अमीर हो गरीब हो बिना वर्ण भेदभाव के जब उसे माई का प्रसाद मिलता है तो वह अपने आप को धन्य समझ लेता है। धीरज पांडेय ने न केवल प्रसाद की निःशुल्क व्यवस्था कर रखी है बल्कि रुकने ठहरने से लेकर निःशुल्क मंदिर तक ले जाने की भी उम्दा व्यवस्था कर रखी है जिसका लाभ देश प्रदेश से आने वाले दर्शनार्थी लाभ ले रहे है। धीरज पांडेय की इस जन सेवा में कोई सहयोग करे या न करे लेकिन एक बात तो तय है कि लोग उन्हें दोनों हाथों से भरभर कर दुआएं अवश्य देकर जाते है। धीरज पांडेय के इस कार्य से कुछ हो या न हो उनका कुनबा पुण्य प्रताप से सदैव लबरेज रहेगा।
हमारे प्रदेश और केंद्र में बैठी सरकार धर्म और आस्था के साथ सनातन को मानने वाली सरकार है धीरज पांडेय के मैहर देवीधाम में माईं के सफल संचालन को देखते हुए उन्हें देश के अंदर मौजूद अन्य धार्मिक स्थानों में इस कार्य को संचालित करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए क्योंकि किसी के भूंखे पेट को दाना देने से बड़ा पुण्य कार्य कोई दूसरा नही हो सकता। जय हो माई की,जय हो माई के रसोई की साथ मे जय हो उस उम्दा सोच की जो वर्षो से इस धाम में सफलता के साथ निर्विघ्न संचालित होते हुए नए मुकाम गढ़ रही है।