Singrauli news : प्याज, टमाटर ने रसोईयों का बिगाड़ा बजट
50 रुपए किलो से नीचे नहीं हैं कोई भी हरी सब्जियां, मध्यमवर्गीय एवं गरीबों के थाली से हरी सब्जियां हो रही हैं दूर
सिंगरौली । ऊर्जाधानी में सब्जियों के दाम आसमान को छूने लगी है। आलम यह है कि प्याज, टमाटर समेत अन्य सब्जियों के दाम अर्द्धशतक पार होने से रसोईयों का बजट बिगड़ गया है।
दरअसल सितम्बर महीने के प्रथम सप्ताह में हुई
मुसलाधार बारिश का असर अब दिखाई देने लगा है। इस बारिश का असर सब्जियों के फसल पर ज्यादा पड़ा है। बताया जा रहा है कि अधिकांश सब्जियों का पैदावार इस सीजन में कम होने के कारण सब्जियों के दाम आसमान को छूने लगी हैं। सब्जियों के दाम में लगातार हो रही वृद्धि को लेकर मध्यम एवं गरीब तपके के लोग बेहद चिंतित हैं। मध्यम एवं गरीब परिवार के थालियों से हरी सब्जियां दूर होती जा रही हैं। उन्हें सप्ताह में एक-दो दिन ही हरी सब्जी खानी पड़ रही है। बताया जाता है कि कोई भी हरी सब्जी 50 रूपये प्रति किलो से कम नही है। परवल, भिन्डी, गोभी, 80 रूपये किलो तक विक रही है। यही हाल करैला का भी है।
मटर 120, प्याज 80 रुपए प्रति किलो दाम पहुंचा ऊर्जाधानी बैढ़न, चितरंगी, नवानगर, खुटार, कचनी, विंध्यनगर, बिलौंजी, नौगढ़, मोरवा, माड़ा, जयंत, परसौना, पोड़ी नौगई, देवसर, कर्थुआ समेत अन्य जगह में बिकने वाले सब्जियों के दाम आसमान को छू रहे हैं। आलम यह है कि गोभी 80 रूपये, टमाटर 60, बैगन 50, प्याज 80 आलू 40, केला 40, धनिया पत्ती 100, लौकी 40, पत्ता गोभी 60, मटर 120, शिमला मिर्च 100, अदरक 200, हरा मिर्चा 80, ताजी भिंडी 80, पुरानी भिंडी 60, परवल 100, खीरा 60, गाजर 100 एवं मूली 20 रूपये प्रति किलो बिक रही है। वही लालभाजी एवं पालक 40 रूपये तथा मेथी भाजी 60 प्रति किलो एवं चना साग 100 रूपये किलो के हिसाब से बिक रही है। जहां सब्जियों के कीमत को सून बड़े-बड़े लोगों के पसीने छूटने लगते। है और उन्हें भी अब सब्जी महंगी दिखाई देने लगी है।
खाना सब के बस की बात नहीं है। सब्जी कारोबारी बृजलाल शाह बतातें हैं कि पिछले महीने से ही सब्जियों के भाव में ही बढ़ोत्तरी हुई है। उसकी मुख्य वजह अत्यधिक बारिश है। जिसके वजह से अधिकांश सब्जी की फसले नष्ट हो गई। जिसके कारण अब इसका असर कीमतों में दिखाई दे रहा है। वही बैढ़न
ऊर्जाधानी में लगातार सब्जियों के बढ़ते दामों को लेकर हर कोई चिंतित नजर आ रहा है और माना जा रहा है कि अभी एक महीने तक सब्जियों के दामों में इसी तरह आग लगी रही रहेगी। हालांकि अगामी महीने में सब्जियों के कीमत में गिरावट आने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। लेकिन इन दिनों हरी सब्जियां दूसरे जिलों से आती है सब्जियों की खेप आलम यह है कि जिले में डिमांड के अनुसार सब्जी का उत्पादन बेहद कम है। अधिकांश सब्जियां जबलपुर के साथ-साथ पड़ोसी राज्य उ.प्र. के सोनभद्र स्थित घोरावल, छग प्रांत व वर्दी के समीप बिछरी गांव से सब्जियां ज्यादा तर बैढ़न इलाके में खपाई जा रही हैं। हालांकि यहां भी सब्जी फसले का कारोबार दायरा बढ़ा है। लेकिन ऊर्जाधानी में बढ़ती आवादी एवं विभिन्न औद्योगिक कंपनियों के स्थापित होने से रोजाना करोड़ों रूपये कीमत की सब्जियां शाम होते-होते बिक जा रही हैं। जगह-जगह शहर में सड़क के किनारे सब्जी की दुकाने लगी रहती हैं। जहां दोपहर के बाद से सब्जी खरीदने वालों की भीड़ लगने लगती है। लेकिन महंगाई को आसमान छूते देख मजदूर एवं गरीब त तपका हरी सब्जी का नाम लेते ही खरीदने से ही हाथ खड़े कर आलू या लौकी के सहारे सब्जी का स्वाद ले रहे हैं।
इलाके के ही सब्जी व्यवसायी छोटेलाल बतातें हैं कि इस वर्ष सब्जियों के दाम में भारी वृद्धि हुई है और इस महीने तक सब्जियों के दाम बने रहेंगे। संभवतः अगले महीने से आलू, टमाटर, पात एवं फूलगोभी, मटर सहित अन्य सब्जियों के दाम गिर सकते हैं। फिलहाल सब्जियों के बढ़ते दाम से हर कोई चिंतित है।