आखिर सीधी रेत खदान संचालन का मामला क्यों पहुंचा हाईकोर्ट!
सीधी जिले के रेत संविदाकार सहकार ग्लोबल ने निविदा अनुसार रेत खदानों में रेत की मात्रा कम होने कर रही दावा, संविदाकार के खोखले दावे की खनिज विभाग ने खोली पोल
सीधी । आखिर सीधी रेत खदान संचालन का मामला हाईकोर्ट क्यों पहुंचा और रेत खदानें क्यों नहीं संचालित हो रही हैं, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। सीधी जिले की रेत संविदाकार सहकार ग्लोबल जहां निविदा अनुसार रेत खदानों में रेत की मात्रा कम होने का दावा कर रही है वहीं संविदाकार के खोखले दावे की खनिज विभाग ने पोल खोली है।
बताते चलें कि मप्र रेत (खनन, परिवहन, भंडारण एवं व्यापार) नियम 2019 के अनुसरण में रेत समूह सीधी से रेत खनन एवं विक्रय हेतु माइन डेव्हलपर कम आपरेटर के चयन बावत निगम द्वारा ई-निविदा सह नीलामी की सूचना दिनांक 21 अगस्त 2024 को प्रकाशित की गई। निविदा प्रस्तुत किये जाने की अंतिम तिथि 10 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई थी। रेत खदानों के समूह सीधी की कुल 18 रेत खदानों के लिये रेत खनिज की मात्रा 16 लाख घन मीटर एवं प्रारंभिक आधार मूल्य अपसेट प्राइज 40 करोड़ निर्धारित की गई थी। जिस पर ई-निविदा सह नीलामी प्रक्रिया द्वारा सहकार ग्लोबर लिमिटेड को उनके द्वारा प्रस्तुत वित्तीय प्रस्ताव 83 करोड़ 83 लाख 50 हजार 555 के लिये सफल प्रतिभागी घोषित किया गया था। टेण्डर पाने के बाद सहकार ग्लोबल लिमिटेड ने 10 करोड़ की ईएमडी जमा की गई थी। वहीं निविदा की राशि में से 25 प्रतिशत 20 करोड़ 95 लाख 87 हजार 639 एवं प्रथम माह की किश्त 7 दिवस में निगम के संधारित खाते में जमा किया जाना था। यह समूची राशि 29 करोड़ 34 लाख 22 हजार 695 पत्र जारी दिनांक से 7 कार्य दिवस के भीतर अर्थात 4 नवम्बर 2024 तक निगम के बैंक खाते में जमा करना था। निर्धारित राशि जमा करने की बजाय सहकार ग्लोबल द्वारा सोची समझी रणनीति के तहत हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई। याचिका में कहा गया कि टेण्डर में उल्लेखित जानकारी के अनुसार खदानों में रेत की मात्रा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उसे कई तरह से रियायत प्रदान की जाय। हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में जिला खनिज अधिकारी सीधी से प्रतिवेदन तलब किया गया, जिसमें खनिज अधिकारी ने कहा है कि टेण्डर में उल्लेखित जानकारी के अनुसार रेत की मात्रा खदानों में उपलब्ध है। इस मामले में 6 दिसम्बर 2024 को सुनवाई होनी है।
साजिश के तहत संविदाकार नहीं चला रहे सीधी की रेत खदानें
सीधी जिले की 18 रेत खदानों का ठेका सहकार ग्लोबल को मिला है। इसके अलावा विंध्य क्षेत्र के अन्य जिलों में भी सहकार ग्लोबल का रेत ठेका है। जानकारों का कहना है कि संविदाकार साजिश के तहत सीधी जिले की रेत खदानों को संचालित नहीं कर रहा है। उसके द्वारा सीधी जिले के सीमावर्ती अन्य जिलों की रेत खदानों से रेत का परिवहन किया जा रहा है। रेत से लोड वाहन सीधी जिले से गुजरते हैं। यह दीगर बात है कि सीधी जिले में जो रेत पहुंच रही है उसमें टीपी अन्य जिले की रेत खदान का है। सीधी जिले के दक्षिणी क्षेत्र में कुछ खदान के मनमानी तौर पर संचालन की खबरें भी सामने आ रहीं हैं।
विंध्य क्षेत्र की सभी रेत खदानों में एकछत्र राज का उठा रही फायदा
विंध्य क्षेत्र की सभी रेत खदानों में एकछत्र सहकार ग्लोबल का राज है। इसी के चलते सीधी जिले की रेत खदानों को संचालित करने की बजाय मनमानी तौर पर फायदा उठाया जा रहा है। सहकार ग्लोबल की मनमानी के चलते अन्य संविदाकार को रेत खदान का ठेका इसलिये नहीं मिला क्योंकि सुनियोजित कार्ययोजना के तहत सहकार ग्लोबल द्वारा सीधी जिले में पहली बार सबसे ज्यादा बोली लगाई गई। यह बोली 83 करोड़ 83 लाख 55 हजार 555 रूपये की थी। सभी संविदाकारों को सीधी से बोली में हटाने के बाद अब सहकार ग्लोबल सीधी जिले की खदानों को संचालित करने की बजाय पेंच फंसाये जा रहे हैं।
खदान संचालन नहीं होने से शासन को हो रहा राजस्व का नुकसान
सहकार ग्लोबल द्वारा ठेका लेने के बाद भी जिले की 18 रेत खदानों का संचालन 2 महीने बाद भी नहीं किया जा रहा है। रेत खदानों का संचालन न होने से शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। सहकार ग्लोबल की मनमानी के चलते शासन को 2 महीने के राजस्व की चपत लग चुकी है। सहकार ग्लोबल की मंशा है कि उसके द्वारा हाईकोर्ट में याचिका लगाकर इसको लंबा खींचा जाए तथा वास्तविकता से परे बहानेबाजी कर हाईकोर्ट के माध्यम से राहत पाई जाय, जिससे उसे राजस्व की भरपाई शासन को न करनी पड़े।
इनका कहना है
सहकार ग्लोबल कम्पनी द्वारा ठेका लेने के बाद रेत की कमी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में जो रेत की कमी बताई जा रही है उसमें कोई सच्चाई नहीं है। वास्तविकता यह है कि टेण्डर में उल्लेखित जानकारी के अनुसार खदानों में रेत पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
ए.के.राय, खनिज अधिकारी, सीधी