Rewa MP: आंतरिक लोकतंत्र की बात करने वाली भाजपा के संगठन चुनाव में दिख रही भर्रेशाही।
मंडल अध्यक्षों के निर्वाचन में दिखा रीवा भाजपा जिलाध्यक्ष का पक्षपाती रवैया।
रीवा। विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की बात की जाती है और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष से लेकर जिला और मंडल स्तर तक के नेता हमेशा यह बात कहते हैं कि हमारे यहां आंतरिक लोकतंत्र है और संगठन में सभी पद कार्यकर्ताओं की में व्यक्ति सामूहिक सहमति से निर्वाचित होता है, किंतु रीवा भाजपा में इसके उलट ही नजारा देखने को मिल रहा है, गौरतलब है कि इस समय भारतीय जनता पार्टी में संगठन का चुनाव चल रहा है जिसे भारतीय जनता पार्टी ने संगठन पर्व का नाम दिया है, इसके तहत बीते दिन पूरे मध्यप्रदेश की तरह ही रीवा में भी मंडल अध्यक्षों के लिए रायशुमारी आयोजित की गई थी जिसमें निर्वाचन अधिकारी के रूप में पूर्व मंत्री पन्ना विधाय बृजेंद्र प्रताप सिंह उपस्थित थे इस दौरान निर्वाचन की प्रक्रिया में जिस तरह से पक्षपात हुआ है शायद ही इससे पहले कभी भी ऐसा हुआ होगा एक जमाना था जब संगठन चुनाव में मतदान करने तक की नौबत आती थी फिर भाजपा का कुनबा बढ़ता चला गया और आम सहमति से संगठन के पदाधिकारी बनाए जाने लगे लेकिन अब जिस तरह से वर्तमान समय में रीवा जिला भाजपा अध्यक्ष कर रहे हैं उससे भाजपा के मूल सिद्धांत और विचारधारा से नहीं जोड़ा जा सकता यहां पर्दे के अंदर कुछ और बाहर कुछ और जैसे हालात बने हुए हैं।
दबाव बनाकर चहेतों को बनाया जा रहा पदाधिकारी।
संगठनात्मक निर्वाचन प्रक्रिया में देखा गया कि संगठन में ऊपर से तय किए गए किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया हमारे सूत्रों द्वारा बताया कि जिस अपेक्षित श्रेणी के नेताओं से रायशुमारी होनी थी उस श्रेणी के कई लोगों को सूचना ही नहीं दी गई थी इस निर्वाचन में उदाहरण स्वरुप अपेक्षित सूची में जनपद अध्यक्ष भी अपेक्षित थे किंतु संगठन द्वारा गंगेव जनपद अध्यक्ष को सूचना ही नहीं दी गई थी और ना ही रायशुमारी में सम्मिलित किया गया, इसी तरह जब विधायकों से रायशुमारी हो रही थी उस दौरान बंद कमरे में रीवा भाजपा जिलाध्यक्ष अजय सिंह पटेल भी मौजूद थे जबकि नियमानुसार निर्वाचन अधिकारी के पास सिर्फ विधायक ही अपनी राय रखने के लिए जा सकते थे जिलाध्यक्ष को वहां पर उपस्थित रहने का अधिकार नहीं था, लेकिन यहां पर संगठनात्मक निर्वाचन के लिए बनाए गए नियम के अनुसार जिला निर्वाचन अधिकारी और सह निर्वाचन अधिकारी तथा जिलाध्यक्ष ने स्वयं नियम का पालन नहीं किया, बात यहीं तक सीमित नहीं है जानकारी तो यह भी हुई है कि भाजपा जिलाध्यक्ष अजय सिंह पटेल ने विधायकों पर दबाव बनाकर अपने चहेते लोगों को मंडल अध्यक्ष बनवाने के लिए कहा जबकि विधायक अन्य नाम पर सहमत थे लेकिन जिलाध्यक्ष अपने खास चेलों को बनाने के लिए रायशुमारी के दौरान प्रयास करते रहे।
संगठनात्मक चुनाव में अध्यक्ष की मनमानी।
संगठनात्मक निर्वाचन में पक्षपात किया जाने से भारतीय जनता पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता स्वयं को दुखी महसूस कर रहा है क्योंकि जो कार्यकर्ता वर्ष भर पार्टी के द्वारा दिए गए कामों को करता है अंत में वह उम्मीद करता है कि कभी ना कभी पार्टी में उसे भी कोई पद मिलेगा, किंतु जिस प्रकार से रीवा भाजपा में अजय सिंह पटेल की मनमानी चल रही है और जिला निर्वाचन अधिकारी व सह निर्वाचन अधिकारी भी उनका साथ दे रहे हैं उससे वह कार्यकर्ता अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहा है क्योंकि उसे लग रहा है कि ऐसे में निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है और जिलाध्यक्ष अजय सिंह पटेल अपने ही पिछलग्गुओं को मंडल अध्यक्ष बनवाने में सफल हो जाएंगे।
निष्पक्ष चुनाव की मांग।
भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव में ऐसा लगने लगा है कि अगर अजय सिंह पटेल के रहते निर्वाचन हुए तो वह निष्पक्ष निर्वाचन नहीं होगा कार्यकर्ताओं ने पार्टी के अंदर ही मांग कर रहे है कि निर्वाचन प्रक्रिया से अजय सिंह पटेल को पृथक किया जाए और निर्वाचन की किसी भी प्रक्रिया में उन्हें सम्मिलित ना किया जाए और मंडल अध्यक्ष के निर्वाचन की रायशुमारी पुनः की जाए जिससे कि भारतीय जनता पार्टी के मूल सिद्धांत के आधार पर निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी की जाए।