MP News, न्यायालय के फैसले से मचा हड़कंप, संपत्ति हड़पने वालों और पटवारी के खिलाफ दर्ज हुआ मामला।
विराट वसुंधरा, ब्यूरो
सीधी:- जिले के चुरहट थाना अंतर्गत ग्राम हर्दिहा निवासी दो भाइयों ने अपने ही सगे भाई की संपत्ति हड़पने के इरादे से तैयार किए गए कूटरचित दस्तावेज उनके गले का फांस बन गया है। इस संबंध में चुरहट पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार न्यायालय नृपेन्द्र सिंह न्यायिक दण्डाधिकारी चुरहट के पत्र क्र. 206/23 12 सितबंर 2023 का पत्र प्र.सू.रिपोर्ट पंजीबद्ध कर धारा 173(2) दप्रसं के अंतर्गत अन्वेषण उपरान्त पुलिस प्रतिवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने बाबत परिवाद पत्र प्राप्त हुआ। परिवाद पत्र के अवलोकन से आरोपी बृजेन्द्र बहादुर सिंह तनय स्व. गनपति सिंह, शीवेन्द्र सिंह तनय गनपति सिंह दोनो निवासी हर्दिहा एवं शोभनाथ हल्का पटवारी खडौरा तहसील मझौली के द्वारा ग्राम हर्दिहा कोठार ग्राम गन्नौड मे स्थित आराजियो को फर्जी व कूटरचित वसीयतनामा माता आनन्द कुमारी सिंह पत्नी स्व. गनपति सिंह के नाम से पीड़ित के हिस्से की भूमियो को हड़पने के लिए तैयार करवाकर 28 अक्टूबर 2000 को उक्त ग्राम की भूमियो को फर्जी व कूटरचित वसीयतनामा से पीड़ित के नाम का फर्जी हस्ताक्षर करते हुए सहमति पत्र तैयार कराकर अपने नाम करा लिए थे,जो प्रथम दृष्टया अपराध की धारा 467 ,468 ,420, 471 ताहि के तहत घटित करना पाए जाने से अपराध पंजीबंद्ध कर विवेचना मे लिया गया।
बताया गया है कि पीड़ित देवेन्द्र सिंह तनय स्व. गनपति सिंह 65 वर्ष पेशा खेती व रिटायर्ड शासकीय सेवक निवासी ग्राम हर्दिहा तहसील चुरहट के दो सगे भाई बृजेन्द्र बहादुर सिंह तनय स्व. गनपति सिंह 68 वर्ष एवं शीवेन्द्र सिंह तनय स्व. गनपति सिंह 62 वर्ष तथा शोभनाथ हल्का पटवारी खडौरा तहसील मझौली के खिलाफ धारा 467 ,468 ,420 ,471 भादवि के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाही में लिया गया है। उल्लेखनीय हैं कि पीड़ित देवेन्द्र सिंह भारतीय सेना मे नौकरी करता था भारतीय सेना से सेवा निवृत्त होने के बाद श्रम विभाग मे नौकरी करता था,शासकीय सेवक होने के चलते घर गांव मे बाहर रहता था जिसका नाजायज फायदा उठाते हुए आरोपियों ने षडयंत्र व कूटरचना करते हुए ग्राम हर्दिहा कोठार स्थित पुराना आराजी स्व. क्र. 172/2 रकबा 0.336 हे0 नया नम्बर 214,215 एवं ग्राम गन्नौड तहसील चुरहट की आराजी खसरा क्रमांक पुराना 190 रकबा 0.141 हे0 191 रकबा 0.222 हे0, 192 रकबा 0.117 हे0, 193 रकबा 0.101 हे0, 194 रकवा 0.174 हे0 नया नम्बर 354 रकबा 0.640 हे0, 358 रकबा 0.090 हे0 योग रकवा 0.770 हे0 की भूमिया पीड़ित की क्रय शुदा भूमिया है। उक्त भूमियो को क्रय करते हुए पीड़ित ने अपनी माता आनन्द कुमारी सिंह के नाम करा दिया था। जिसे आरोपियों ने फर्जी व कूटरचित वसीयतनामा माता आनन्द कुमारी सिंह पत्नी स्व गनपति सिंह के नाम से पीड़ित के हिस्से की भूमियो को हड़पने के लिए तैयार करवाकर 28 अक्टूबर को अपने नाम करा लिया, इतना ही नहीं उक्त फर्जी व कूटरचित वसीयतनामा में आरोपियों ने पीड़ित के नाम का फर्जी हस्ताक्षर करते हुए सहमति पत्र तैयार कराया, जबकि ऐसे फर्जी सहमति पत्र मे पीड़ित द्वारा कभी हस्ताक्षर नही किया गया था।
यहां भी रहा है गड़बड़झाला:-
पीड़ित देवेन्द्र सिंह के अनुसार उसके दो सगे भाई बृजेन्द्र सिंह एवं शिवेन्द्र सिंह द्वारा फर्जी व कूटरचित वसीयतनामा मे टाइप किए जाने का 28 अक्टूबर 2000 स्थान रीवा लिखा हुआ तथा नोटरी द्वारा तस्दीक 23 अक्टूबर 2000 अंकित है जिसमे माता आनन्द कुमारी सिंह के पासपोर्ट फोटो के अटेस्टेड सील मे 23 अक्टूबर 2000 अंकित है तथा अभियुक्त बृजेन्द्र बहादुर सिंह की पासपोर्ट फोटो के अटेस्टेड सील मे 23अक्टूबर 2002 अंकित है इस तरह प्रथम दृष्टया अवलोकन से ही वसीयतनामा कूटरचित व फर्जी सिद्ध होता है। यहीं नहीं फर्जी वसीयतनामा के लिखे जाने के 28 अक्टूबर 2000 के पूर्व ही माता की फोटो 23अक्टूबर 2000 अटेस्टेड हो जाती है तथा दो वर्ष बाद 23 अक्टूबर 2002 को नोटरी द्वारा तस्दीक किया जाता है व आरोपी बृजेन्द्र बहादुर सिंह की फोटो भी 23अक्टूबर 2002 को तस्दीक की गई है, फर्जी व कूटरचित वसीयतनामा मे गांव के किसी भी व्यक्ति के हस्ताक्षर नही है दोनो गवाह रीवा के है। फर्जी वसीयतनामा के आधार पर ऊपर वर्णित भूमियो के नामान्तरण हेतु तहसील न्यायालय चुरहट मे आवेदन प्रस्तुत किया जिसमे हल्का पटवारी द्वारा सहमति पत्र, जबाब लिखकर फर्जी प्रतिवेदन दिया गया, उक्त फर्जी प्रतिवेदन के आधार पर आरोपियों के नाम ऊपर वर्णित भूमियो का नामान्तरण कर दिया गया। पीड़ित का आरोप है कि उक्त सारी कार्यवाही आरोपियों द्वारा मुझे घर गांव से निष्कासिक करने की साजिस के तहत की गई है। इसी कारण से पीड़ित अपने परिवार सहित घर गांव से बाहर रीवा मे रहने को मजबूर है।