माता-पिता को लहूलुहान कर रही बुढ़ापे की लाठियां।
पेंशन बनी टेंशन सेवानिवृत्त होने के बाद भी परेशान हो रहे बुजुर्गजन।
विराट वसुंधरा सीधी-
जिन्हें नन्हे पांवो को चलना सिखाया, जिन नन्हे हाथों को पकड़कर आगे बढ़ना सिखाया वही हांथ और पांव अब बुजुर्गों के लिए बुढ़ापे की लाठी बनने की बजाय उन्हें लहूलुहान कर रहे हैं।बरसों तक राज्य और केंद्र सरकार की सेवा करने वाले कर्ई बुजुर्गो के लिए बतौर पेंशन मिलने वाले चंद हजार रुपए परेशानी का सबब बन चुके है।कर्ई बुजुर्ग पुलिस की शरण तक ले चुके हैं।पति की मौत के बाद कोई बुजुर्ग महिला बेटी-दमाद के घर पर जिंदगी के आखिरी दिन काटने को मजबूर है,तो कोई बुजुर्ग दंपत्ति का रुपया निकम्मे बेटो के लिए मौज का जरिया बन चुका है।एक बुजुर्ग महिला की पेंशन पति की मौत के बाद बहू और बेटा अपने ऐशो आराम पर खर्च कर रहे हैं।ऐसे हजारों बुजुर्ग है जिनकी पेंशन की राशि न चाहते हुए परिवार के लोग अपव्यय कर रहे हैं।खास बात यह है कि ऐसे बुजुर्गों के लिए अलग से सहायता करने की व्यवस्था जिम्मेदारों ने नहीं बनाई है।लिहाजा शराबी,कोरेक्सी बेटों और अन्य परिजनों से परेशान होने वाले बुजुर्ग उम्र के अंतिम पड़ाव पर शारीरिक व मानसिक पीड़ा झेलने के लिए मजबूर हो रहे है।इनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है।
पहला मामला
शिक्षक से सेवानिवृत्त हुए बुजुर्ग सुरेंद्र की पीड़ा है कि उनका इकलौता बेटा नशेड़ी हो चुका है,और आए दिन घर मे विवाद की स्थिति पैदा करता है।जिस बेटे को पिता ने पाल-पोसकर बड़ा किया वही बेटा शराब के नशे मे धुत्त होकर अपने पिता को ललकारता है।74 साल का बूढ़ा बाप कांपते हाथों से कभी निकटतम पुलिस थाने तक नहीं पहुंच पाता है।
दूसरा मामला
रमा देवी के पति स्वास्थ्य विभाग मे थे 5 साल पहले ही सेवानिवृत्त हुए हैं, रमा को पेंशन के रुप मे जितना भी रुपया मिलता है, सब बहू और बेटा अपने कब्जे मे ले लेते हैं।यहां तक कि पेंशन के रुपयों से ही बच्चों की पढ़ाई का खर्चा निकलता है।सास का एटीएम कार्ड भी बहू ने अपने पास रखा है और हर महीने पेंशन आते ही सबसे पहले रुपए निकालने का काम किया जाता है।कुछ समय पहले सास ने जरूर बहू की करतूतों को उजागर करने के लिए प्रयास किया था मगर सफल नहीं हो सकी।
तीसरा मामला
रजमतिया देवी के पति रेल्वे से सेवानिवृत्त हुए थे, अब इस दुनिया में नहीं है।वृद्धावस्था मे पेंशन ही उनकी गुजर-बसर का सशक्त माध्यम है।पेंशन को लेकर बेटो और बहुओं के बीच आए दिन विवाद होता रहता है।वृद्धा जिसके पास रहती हैं, पेंशन वही लेता है।वृद्धा का एटीएम कभी बड़े तो कभी मंझले तो कभी छोटे बेटे के पास रहता है।फिलहाल यह वृद्धा अपनी बेटी के पास रहने लगी है।पेशंन भी बेटी और दामाद के हिस्से मे जाती हैं।पेंशन को लेकर इनके बीच आए-दिन विवाद की स्थितियां निर्मित होती रहती हैं।
चौथा मामला
वन विभाग से सेवानिवृत्त हुए सुखलाल की पीड़ा यह है कि वर्तमान मे वो और उनकी पत्नी शराबी बेटे से बेजा परेशान हैं।कर्ई बार थाने में शिकायत की, परंतु पुलिस ने हर बार आकर कार्यवाही तो कर देती हैं,लेकिन आधी से ज्यादा पेंशन शराबी बेटा अपनी अय्याशी मे उड़ा देता है।जो थोड़ी बहुत बचती है, उसमें बेटी और नातियों पर खर्च कर देते हैं।शराबी बेटा घर का राशन बेच-बेच कर शराब पी लेता है।विरोध करने पर बुजुर्ग दंपत्ति के साथ गाली-गलौज व मारपीट पर उतारु हो जाता है।