मध्यप्रदेश में भाजपा को विधानसभा चुनाव के पहले जोर का झटका पूर्व विधायक ने दिया इस्तीफा।
मध्य प्रदेश में 2 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी तेज है एक तरफ जहां सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की जनता को विकास कार्य गिनाकर जनता को साधने का प्रयास कर रही है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भाजपा के सभी विधायक मंत्री और पदाधिकारी जनता के बीच जाकर सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं तो वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस पार्टी के नेता भाजपा सरकार की विफलताओं को गिनाकर राज्य में सत्ता वापसी करना चाह रहे हैं इसी बीच दोनों दलों के बीच नाराज नेताओं के दल बदलने का अभियान भी तेज हो चुका है इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के नर्मदा पुरम होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे गिरजा शंकर शर्मा ने बीते दिन भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है भाजपा छोड़ने के बाद श्री शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार ना बने इसका वो प्रयास करेंगे।
शर्मा ने आरोप लगाया कि संगठन में उनकी उपेक्षा की जा रही थी जिसके चलते उन्होंने भाजपा छोड़ दी है ज्ञात हो की नर्मदा पुरम से गिरिजा शंकर पिछले विधानसभा चुनावों में टिकट मांग रहे थे, लेकिन संगठन ने उनके भाई सीताशरण शर्मा को टिकट दे दिया था पूर्व विधायक गिरजाशंकर शर्मा विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा सीतासरण शर्मा के बड़े भाई हैं। वह दो बार नगर पालिका अध्यक्ष भी रह चुके हैं। चुनाव के पहले उनके संगठन को छोड़ने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। वर्ष 2018 में भी उन्होंने पार्टी से टिकट मांगा था, लेकिन टिकट नहीं मिलने से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पत्रकार वार्ता के दौरान शर्मा ने कहा कि कांग्रेस में उनकी बात हुई है, लेकिन फिलहाल वह कांग्रेस संगठन ज्वाइन नहीं करेंगे। शर्मा के संगठन से इस्तीफा देने के बाद कई तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं। वे जनसंघ से जुड़े हुए रहे हैं। शर्मा भाजपा के कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं।
गिरिजा शंकर शर्मा 45 वर्षों से भाजपा की राजनीति में शामिल थे। दूसरी बार पार्टी छोड़ने के सवाल के जवाब पर शर्मा ने कहा कि मैं चाहता हूं कि प्रदेश में भाजपा सरकार नहीं बने इसके लिए मैं हर संभव प्रयास करुंगा। उनका कहना है कि भाजपा को सत्ता में आने से रोकना हमारी मंशा। कांग्रेस से चर्चा हुई थी मगर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस में अगर हमारे नाम पर सहमति नही बनेगी, तो फिर हम भी वहां नहीं जायेंगे। कांग्रेस भी किसी गलतफहमी में ना रहे क्योंकि बिना एकजुटता के उनकी राह भी आसान नहीं होगी।
गिरिजा शंकर शर्मा 2003, 2008 में चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इसके बाद उनके भाई डा सीतासरन शर्मा पर पार्टी ने विश्वास किया और टिकट दिया। डा शर्मा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भी बने थे। गिरिजा शंकर शर्मा की पार्टी में छवि लगातार कम होती नजर आने लगी थी। 22 सालों से नर्मदापुरम विधानसभा की टिकट से शर्मा परिवार के सदस्य ही चुनाव लड़ते आ रहे हैं।
उनके छोटे भाई और वर्तमान में नर्मदापुरम विधायक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा सीतासरन शर्मा को टिकट मिलने पर भी असमंजस की स्थित नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो भाजपा ने उन्हें सांकेत दे दिए हैं कि अब नए चेहरों को पार्टी मौका देना चाहती है मध्य प्रदेश में भाजपा गुजरात की तरह विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ना चाहती है और ऐसे में लगभग आधा सैकड़ा विधायकों की टिकट काटने की संभावना जताई जा रही है इसके साथ ही कई सांसदों को भी विधानसभा टिकट देकर चुनाव जीतने की भाजपा राह आसान करना चाहती है।