MP news, तो क्या -? अंडा और सड़ा टमाटर फेंके जाने का इंतजार कर रहे कमलनाथ।
विराट वसुंधरा
आज देर शाम सोशल मीडिया में मध्य-प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के इस्तीफा की फर्जी पोस्ट चल रही थी जिसका खंडन कांग्रेस पार्टी के अधिकृत facebook पेज अकाउंट से किया गया कि कमलनाथ के इस्तीफे की खबर फर्जी है लेकिन कांग्रेस पार्टी के द्वारा उस फर्जी पोस्ट को जब कांग्रेस के platform से खंडन जारी किया गया तब इसके बाद ऐसे शर्मनाक कमेंट आ रहे हैं कि जिनको पढ़कर यह सहज ही समझा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बाद कांग्रेस पार्टी के फालोवर प्रदेश नेतृत्व से कितना नाखुश है कांग्रेस पार्टी के फेसबुक एकाउंट में जारी पोस्ट पर कमेंट देखा जा सकता हैं कि कांग्रेस पार्टी के फॉलोअर किस तरह से कमलनाथ पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि अब कमलनाथ को पद छोड़ देना चाहिए और नए व्यक्ति को मौका दिया जाना चाहिए।
2018 से बद्तर आए चुनाव परिणाम।
जाहिर सी बात है कि बीते 2018 में जब अजय सिंह राहुल नेता प्रतिपक्ष हुआ करते थे और प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव थे उस दौरान बनी बनाई मजबूत कांग्रेस पार्टी की कमान कमलनाथ ने अपने हाथों लिया कांग्रेस पार्टी द्वारा उस दौरान चलाई जा रही न्याय यात्रा को कमलनाथ ने बीच में रोक दिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से बेहतर प्रदर्शन किया और विधानसभा चुनाव 2018 में 115 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बने उस दौरान भी यह सवाल उठे थे कि कांग्रेस पार्टी को न्याय यात्रा नहीं रोकती थी अगर कांग्रेस पार्टी द्वारा चलाई जा रही न्याय यात्रा चुनाव के पहले तक चलती तो शायद 15 से 20 सीटे और बढ़ सकती थी वावजूद इसके किसी तरह 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अल्पमत की सरकार तो बनाई लेकिन उस दौरान कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के हठ घमंड और प्रभुत्व के चलते कांग्रेस पार्टी में बड़ी बगावत हुई और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बनी बनाई कांग्रेस पार्टी की सरकार को गिरा दिया इसके बाद जब उप चुनाव हुए तो वहां भी कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा।
मुख्यमंत्री रहते कमलनाथ करते थे भेदभाव।
2018 में विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ बने तो थे लेकिन उनके काम करने के तरीके छिंदवाड़ा तक ही सीमित रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता से भेदभाव करने के कई मामले सामने आते रहे हैं कई बार देखा गया कि जब आम जनता मुख्यमंत्री निवास में कमलनाथ से मिलने जाती थी तो मुख्यमंत्री आवास के अंदर केवल छिंदवाड़ा की जनता को ही प्रवेश दिया जाता था और बाकी दूसरे जिलों के मिलने वाले लोगों को कमलनाथ के दर्शन नसीब नहीं होते थे जाहिर सी बात है कि उस दौरान भी जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब भी उनके मन में छिंदवाड़ा प्रेम ही चला रहा था जबकि वह छिंदवाड़ा की नहीं पूरे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे इसके बाद जब लोकसभा चुनाव हुए तो जनता ने उन्हें केवल छिंदवाड़ा तक ही सीमित कर दिया और 29 लोकसभा सीटों में सिर्फ एक लोकसभा सीट छिंदवाड़ा जीत पाए थे।
कमलनाथ की नाकामी पर शिवराज पड़े भारी।
राजनीतिक गलियारे यह चर्चा होती रही कि जो आक्रामकता और सक्रियता प्रदेश अध्यक्ष के अंदर होनी चाहिए उसमें कमलनाथ फिट नहीं है 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले मनमानी पूर्ण टिकट वितरण के साथ ओबीसी और आदिवासी प्रेम के चलते सामान्य वर्ग की नाराजगी के शिकार हुए देखा जाए तो एक तरफ जहां शिवराज सिंह चौहान एक दिन में 6से 7 चुनावी सभाएं करते थे तो वहीं कमलनाथ उनके मुकाबले अधिकतम तीन या चार चुनावी सभाएं करने में हांफते नजर आते थे कमलनाथ की उम्र और आलस्य दोनों कांग्रेस को कमजोर करने के लिए काफी था चुनाव के 6 महीने पहले तक भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी नजर आती थी जिसे कमलनाथ नहीं भुना पाए और शिवराज सिंह चौहान ने पूरी बाजी पलट दी और 2018 में 115 सीट जीतने वाली कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव में महज 65 सीटों में सिमट कर रह गई कुल मिलाकर कमलनाथ की नाकामी पर शिवराज सिंह चौहान भारी पड़े हैं।
कांग्रेस हाईकमान को देखना चाहिए यह पोस्ट।
आज जब कांग्रेस पार्टी के अधिकृत फेसबुक पेज पर कमलनाथ के स्तीफे का खंडन पोस्ट किया गया उसके बाद जिस तरह से कॉमेंट्स आ रहे हैं कांग्रेस आलाकमान को जरूर देखना चाहिए क्योंकि जो कांग्रेस पार्टी के फॉलोअर हैं वही कमेंट के जरिए कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं उनकी भावनाएं देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि अब कमलनाथ को पद छोड़ देना चाहिए और अगर पद नहीं छोड़ते हैं तो क्या अंडे और सड़े टमाटर फेंकने का इंतजार कर रहे हैं।