कुकरमुत्ते की तरह फैला बंगाली डॉक्टरों का कारोबार
जगह-जगह खुली है क्लीनिक।
9893569393 विराट वसुंधरा ब्यूरो सीधी
अशिक्षा और जरूरत ने लोगों को इस कदर मजबूर कर रखा है कि न चाहते हुए भी वे बंगाली क्लीनिक की सीढ़ी चढ़ जाते हैं। सरकारी डॉक्टर की गैरमौजूदगी इसकी एक बड़ी वजह मानी जा सकती है। भोले-भाले लोगों के बंगाली डॉक्टरों के चंगुल में फंसने की। हाई कोर्ट के सख्त लहजे के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का रवैया ढुलमुल है। यदा-कदा कमीशन न मिलने या विलम्ब होने पर ही कार्रवाई का दिखावा होता है। पैसा मिलने के साथ ही प्रक्रिया रूटीन पर आ जाती है। सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ चिकित्सक अपना दायित्व उस कदर नहीं निभाते जैसी उनसे अपेक्षा रहती है। लिहाजा परेशान व हताश परिजन अपनों को बचाने के एक मात्र उद्देश्य के बीच बंगाली चिकित्सक के जाल में जा फंसता है। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग का अमला दिखावे के लिए झोलाछाप डॉक्टरों की धरपकड़ की कार्रवाई कर रहा है। सेमरिया कस्बा व गांव की बस्तियों में बंगाली के नाम से जाने जाने वाले डॉक्टरों के धड़ल्ले से क्लीनिक चल रहे है और वे उपचार के साथ ही ऑपरेशन जैसे काम को भी अंजाम दे रहे हैं। कार्रवाई के बाद अधिकारी उन पर ध्यान ही नहीं देते और वे फिर से अपनी दुकान सजा कर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ शुरू कर देते हैं। अस्पताल तो ठीक सड़क किनारे तंबू तानकर कई अनपढ़ खुद को नाड़ी वैद्य बताकर उपचार के नाम पर लोगों को ठग रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की नजर रामपुर नैकिन तहसील के ज्यादातर गांव में कोई न कोई बगैर डिग्री का डॉक्टर नजर आ जाता है, जो क्लीनिक खोलकर लोगों से उपचार के नाम पर मोटी राशि लंबे समय से ऐंठ रहे है। इस बात को सभी जानते है पर विडम्बना है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की नजर इन पर कभी नहीं पड़ती है। यदाकदा मुहिम चलाकर तालाबंदी कर कार्रवाई का दिखावा किया जाता है और बाद में उसी जगह वे ही झोलाछाप बगैर डिग्री वाले डॉक्टर उपचार करने लगते हैं। इन डॉक्टरों ने तो बकायदा अपना क्लीनिक घर में ही बना रखाहै। सुबह हो या रात वे हर समय मरीज का गंभीर से गंभीर रोग का उपचार अपने अनुभव से करते हैं। बॉटल चढ़ा और ऑपरेशन करना तो उनका मुख्य काम है। कई झोलाछाप तो प्रसव भी करवा रहे हैं। क्षेत्र में ऐसे डॉक्टरों का एक पूरा गिरोह हैं जो गांवों में अपना धंधा जमाए हुए हैं। यहां तक के उक्त बगैर डिग्री वाले डॉक्टरों ंके संबंध विभाग के आला अधिकारियों से भी बने हुए हैं आए दिन वे किसी न किसी आयोजन में उनके साथ फोटो में नजर आ जाते हैं।
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बस्तियों में सजी है दुकानें:-*
इसी तरह कस्बे की कई बस्तियों में इन झोलाछापों की दुकानें चल रही हैं। घर के छोटे से कमरे में चलने वाले क्लीनिक में हर तरह की सुविधा देखकर भी विभाग का अमला उन पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। यहां तक कि इन डॉक्टरों के पास सरकारी दवाइयों के साथ ही नमूने की दवाएं भी होती हैं जिसे वे मनमानी राशि लेकर लोगों को बेचते हैं। दवाखाने के साथ ही उनके घर पर ही मेडिकल भी संचालित होता रहता है। और उनसे मोटी रकम लेकर प्रोटीन की बॉटल और अन्य दवाएं मंगवाकर ताकत के नाम पर जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।