भ्रष्टाचार के मामले में कलेक्टर जिला पंचायत सीईओ सहित 6 लोगों को मिली 4 वर्ष की सजा मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बड़ी कार्यवाही।
भोपाल। बेईमानी कितनी ही मजबूत क्यों न हो इमानदारी से लड़ाई लड़ी गई तो विजय सत्य की ही होती है हम बात कर रहे हैं उस मामले की जिसको सुनकर सब हैरान हो रहे हैं कि भला कलेक्टर और जिला पंचायत ceo जैसी हस्ती भी करप्शन के मामले में जेल की हवा खा सकते हैं हां ऐसा ही हुआ है और मध्यप्रदेश के झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर रहे जगदीश शर्मा, जिला पंचायत सीईओ रहे जगमोहन धुर्वे, तत्कालीन वरिष्ठ लेखा अधिकारी रहे सदाशिवराव डाबर ,तत्कालीन परियोजना अधिकारी नाथू सिंह तोमर ,राहुल प्रिंटर्स के मालिक मुकेश शर्मा ,आशीष जो तत्कालीन लेखा अधिकारी झाबुआ के थे इन्हें लोकायुक्त कोर्ट के द्वारा 4 साल की सजा सुनाई गई है।
बता दे कि राजेश सोलंकी नामक व्यक्ति ने आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर लोकायुक्त पुलिस इंदौर से शिकायत की थी जिसमें मनरेगा योजना में लाखों का भ्रष्टाचार किया गया था प्राप्त जानकारी के अनुसार समग्र सिस्टम अभियान में प्रिंटिंग सामग्री का 27.70 लख रुपए अधिक भुगतान करने पर विशेष लोकायुक्त कोर्ट ने बीते शनिवार को झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर और जिला पंचायत के सीईओ सहित 6 अफसर को 4 साल की सजा सुनाई है तो वहीं भोपाल के प्रिंटर्स को भी 7 साल की सजा सुनाई गई है सातों आरोपियों को जमानत नहीं मिली इन्हें जेल भेज दिया गया है कोर्ट ने सरकारी प्रेस के दो तत्कालीन अफसरों को बरी कर दिया है
मामला अगस्त से नवंबर 2008 के बीच प्रिंटिंग की छपाई का काम हुआ उसके आवाज में भोपाल के राहुल प्रिंटर्स को 33.54 लख रुपए का भुगतान किया गया जबकि यह काम 5.43 लाख में हो सकता था अफसर की मिली भगत के द्वारा राहुल प्रिंटर्स को अनुचित लाभ पहुंचाया गया यह पूरा काम कमीशन के आधार पर हुआ था।
न्यायालय के इस फैसले के बाद अब भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है जाहिर सी बात है कि जब कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ जैसे पदों पर बैठे जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार में संयुक्त होंगे तो उनके विभागों में निचले स्तर तक तो भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं पार हो चुकी है आए दिन राजस्व विभाग और पंचायत विभाग में भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े मामले सामने आते हैं कई अधिकारी लोकायुक्त के हाथों धरे भी जा रहे हैं वावजूद इसके भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है बहरहाल विशेष न्यायालय लोकायुक्त के इस बड़े फैसले को मध्य प्रदेश के इतिहास में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है और इसकी चर्चा प्रदेश ही नहीं पूरे देश में आग की तरह फैल रही है और लोकायुक्त प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ रहा है।