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मध्य प्रदेश में यहां मिले 12 सौ वर्ष पुराने परमार कालीन पांच शिवलिंग, और एक जोड़ी नाग, श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना शुरू।

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मध्य प्रदेश में यहां मिले 12 सौ वर्ष पुराने परमार कालीन पांच शिवलिंग, और एक जोड़ी नाग, श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना शुरू।

मध्यप्रदेश के भोपाल-सागर मार्ग में राहतगढ़ जो बुंदेलखंड ही नहीं पूरे मध्यभारत और मालवा की कई ऐतिहासिक कहानियों के लिए विख्यात है में स्थित भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर जो बुंदेलखंड ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाके में प्रसिद्ध है. उसी मंदिर के नजदीक स्थानीय लोगों द्वारा खुदाई करने पर एक चट्टान पर एक ही आकृति के पांच शिवलिंग मिले हैं.। आकृति मिलने के बाद स्थानीय लोग पूजा-अर्चना में लग गए हैं। इतिहास के जानकारों का कहना है कि राहतगढ़ का किला और शिवमंदिर परमारकालीन शासकों के अधिपत्य में था, जिसका शिलालेख बनेनी घाट राहतगढ़ में मौजूद है.

करीब 12 सौ साल पुराने 108 जलहरी वाले शिवलिंग मौजूद।

प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बनेनी घाट पर बाबा विश्वनाथ की जलहरी में 108 शिवलिंग वाला प्रसिद्ध मंदिर है, वहां परमारकाल का ऐतिहासिक किला भी है. बीना नदी के किनारे बने इस ऐतिहासिक मंदिर के पास *खुदाई करने पर एक चट्टान मिली है. जिसमें एक ही आकृति के पांच शिवलिंग उकेरे गए हैं. शिवलिंग मिलने की जानकारी लगते ही मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड पड़ी और लोग पूजा अर्चना में जुट गए हैं*.

मिट्टी के नीचे दब गयी थी शिवलिंग वाली शिला

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स्थानीय लोगों का कहना है कि ये चट्टान पहले नजर आती थी, किन्तु समय के साथ चट्टान, मिट्टी में दब गयी और लोग शिवलिंग के बारे में भूल गए. राहतगढ के बुजुर्ग महेश सिलावट बताते हैं कि ‘हम सालों पहले जब बनेनी घाट जाते थे, वहां हमने पांच शिवलिंग के दर्शन किए हैं. यहां पर *दो विशालकाय सांप भी आते थे*. जो शिवलिंग के आसपास घूमते रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे चट्टान नजर आना बंद हो गयी.

उनकी जानकारी के अनुसार कस्बे के पुष्पेंद्र सिंह राजपूत और सतीश सिलावट ने बताए गए स्थान पर खुदाई का निर्णय लिया.’
स्थानीय युवा राम अवतार, विकास सोनी, रघुवीर ठाकुर और मनोहर यादव ने अपने दोस्तों के साथ खुदाई शुरू की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इस बीच कुछ बुजुर्गों ने बताया कि जहां खुदाई की जा रही है. वहां से कुछ ही दूरी पर आज भी दो विशालकाय सांप आते हैं. जब युवाओं की टीम ने बुजुर्ग के बताए स्थान पर जहां सांप आते थे, वहां खुदाई शुरू की, तो महज तीन फीट खोदने पर शिवलिंग वाली चट्टान मिल गयी. शिवलिंग मिलने की खबर फैलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग गयी और लोगों ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी.

क्या कहते हैं पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर।

सागर विश्वविद्यालय के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नागेश दुबे बताते हैं कि ‘राहतगढ़ का यह क्षेत्र और किला एवम् नदी वाले इलाके व उसके पास मंदिर पूर्व मध्यकाल के मिले हैं. बनेनी घाट का शिवमंदिर बुंदेलखंड का प्रसिद्ध मंदिर है, एक शिला पर नए शिवलिंग मिले हैं, जो एक चट्टान पर उकेरे गए हैं. इनका निर्माण काल 11वीं और 12वीं शताब्दी का रहा होगा. शैव संप्रदाय को मानने वालों ने निर्माण किया होगा. निश्चित रूप से इस इलाके में पूर्व मध्यकाल में के जो शासक और प्रजा रही होगी. वो शैव धर्म को मानने वाली थी. इसलिए यहां मंदिर और शिव लिंग मिले हैं.’

उस समय वहां परमार कालीन शासकों का शासन था. राहतगढ़ किले में परमार काल के राजाओं के अभिलेख भी मिले हैं. जो हरीसिंग गौर पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद है. परमार काल के शासकों का शासन यहां से लेकर पूरे मालवा और धार तक फैला हुआ था. यह क्षेत्र भी उनके अधिकार में था. यहां से उनका शिलालेख मिलने पर उनके शासनकाल की पुष्टि होती है बनेनी घाट शिवमंदिर और जिस चट्टान पर शिवलिंग मिले हैं, उनका निर्माण परमार काल में ही हुआ होगा.’

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