Election news, कांग्रेस से अजय सिंह राहुल, सिद्धार्थ कुशवाहा, और नीलम अभय मिश्रा होंगे प्रत्याशी,,,,
विराट वसुंधरा/ रामानंद शुक्ला
लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है लेकिन कांग्रेस पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं मध्य प्रदेश में वैसे तो 29 लोकसभा सीटों पर पिछले चुनाव के आंकड़े के अनुसार कांग्रेस काफी कमजोर दिखाई पड़ती है लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी लगभग एक दर्जन से अधिक सीटों पर चुनाव जीतने की आस लगाए हुए हैं जबकि 2023 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह से पराजित किया है ऐसे में कांग्रेस पार्टी के एक दर्जन से अधिक सीटों पर जीत का दवा कमजोर नजर आता है बावजूद इसके लोकसभा चुनाव को लेकर यह नहीं कहा जा सकता कि विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी भाजपा सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर पाएगी।
विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की हो सकती है मजबूत स्थिति।
एक जमाने में कांग्रेस पार्टी विंध्य क्षेत्र में काफी मजबूत हुआ करती थी बिना क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी जैसे नेता राजनीति करते थे अब भी बिना क्षेत्र किसी भी मामले में काम नहीं है भाजपा के कद्दावर नेता राजेंद्र शुक्ला जो मध्य प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं विंध्य क्षेत्र के रीवा जिले से आते हैं इसके अलावा सीधी जिले से कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल और सतना जिले से डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह काफी अनुभवी और कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं विधानसभा चुनाव में रीवा जिले में एक सीट कांग्रेस पार्टी ने सेमरिया जीती है सीधी जिले में एक सीट चुरहट जीती है और सतना जिले में दो सीटें कांग्रेस के पास है, जिन नेताओं ने विधानसभा चुनाव जीता है उनका कद न सिर्फ उनकी पार्टी में बड़ा माना जाता है बल्कि आम जनता की नजर में भी ये नेता काफी लोकप्रिय हैं सीधी जिले में अजय सिंह राहुल, सतना जिले में डा राजेन्द्र सिंह और सिद्धार्थ कुशवाहा हालांकि डॉ राजेंद्र सिंह चुनाव नहीं लड़ना चाहते और सिद्धार्थ कुशवाहा पर सभी की निगाहें टिकी हैं तो वहीं रीवा जिले में अभय मिश्रा ही ऐसे नेता हैं जिन्हें कांग्रेस पार्टी आगे करके लोकसभा चुनाव को मुकाबले में लाना चाहेगी।
विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच होगा कांटे का टक्कर।
विंध्य क्षेत्र में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपने पत्ते खोल दिए हैं रीवा से जनार्दन मिश्र, सतना से गणेश सिंह सीधी से डॉक्टर राजेश मिश्रा और शहडोल से हिमाद्री सिंह को टिकट दी गई है आंकड़े बताते हैं कि भाजपा की स्थिति विंध्य क्षेत्र में काफी मजबूत है और 30 विधानसभा सीटों पर 26 सीटें भाजपा ने जीत लिया है और कांग्रेस को महज चार सीटों पर ही जनता ने समेट दिया है लेकिन लोकसभा चुनाव में अब परिणाम कुछ दूसरी तरह भी आ सकते हैं जातिगत और राजनीतिक समीकरण अगर कांग्रेस पार्टी ने साध लिया तो विंध्य क्षेत्र में लोकसभा चुनाव दिलचस्प हो जाएगा इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सीधी जिले को छोड़कर रीवा सतना और शहडोल में भाजपा ने अपने पुराने सांसदों पर ही भरोसा जताया है सतना से गणेश सिंह विधानसभा चुनाव हार चुके हैं और लोकसभा में फिर से प्रत्याशी बनाए गए हैं तो वहीं सीधी में सांसद रीती पाठक विधायक बनने के बाद अब नए चेहरे को मौका दिया गया है शहडोल में एक बार फिर हिमाद्री सिंह पर भाजपा ने भरोसा जताया है तो वही विंध्य क्षेत्र की राजधानी रीवा में सांसद जनार्दन मिश्रा पर ही भाजपा ने एक बार फिर भरोसा किया है विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद भी कांग्रेस के प्रत्याशियों को काफी वोट मिले थे अब लोकसभा चुनाव में अगर कांग्रेस पार्टी ने भाजपा को गर्ने के इरादे से उम्मीदवार उतारे तो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
सीधी लोकसभा क्षेत्र।
सीधी लोकसभा क्षेत्र की सांसद रीती पाठक अब विधायक हैं और लोकसभा चुनाव में डा राजेश मिश्रा को भाजपा का प्रत्याशी बनाया है वैसे तो सीधी जिले में भाजपा काफी मजबूत है लेकिन कांग्रेस पार्टी सीधी जिले का लोकसभा चुनाव हल्के में नहीं लेना चाहेगी कांग्रेस पार्टी के दो दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल और कमलेश्वर पटेल में से एक उम्मीदवार कांग्रेस की टिकट पर सामने आएंगे हालांकि कमलेश्वर पटेल विधानसभा चुनाव हार चुके हैं पार्टी उन्हें अगर टिकट देती है तो उन्हें जिताने के लिए अजय सिंह राहुल को पूरी ताकत झोंकनी पड़ेगी लेकिन खुद अजय सिंह राहुल अगर कांग्रेस के प्रत्याशी होते हैं तो कमलेश्वर पटेल का उन्हें भरपूर समर्थन चाहिए कुल मिलाकर दोनों प्रत्याशियों में अजय सिंह राहुल सीधी लोकसभा सीट से सबसे मजबूत उम्मीदवार साबित होंगे उन्होंने जिस तरह से चुरहट में विधानसभा चुनाव जीता है ऐसे में माना जा रहा है कि अजय सिंह राहुल को कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी बना सकती है और कांग्रेस पार्टी सीधी जिले में जीत का परचम भी लहरा सकती है।
सतना लोकसभा क्षेत्र।
सतना लोकसभा सीट पर भाजपा के सांसद गणेश सिंह के मुकाबले कांग्रेस के दो बड़े नेता डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह वर्तमान अमरपाटन विधायक और सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू सामने हैं, सतना लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी भाजपा के गणेश सिंह के मुकाबले सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को मैदान में उतार सकती है, जहां तक डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह की बात की जाए तो वह खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते और अगर सीधी से अजय सिंह राहुल कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी होते हैं, तो सतना से डॉक्टर राजेंद्र सिंह प्रत्याशी नहीं होंगे ऐसे में पूरी संभावना है कि सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को कांग्रेस पार्टी लोकसभा का टिकट देगी और अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर सांसद गणेश सिंह और सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा के बीच कडा़ मुकाबला देखने को मिलेगा और यह मुकाबला बिंध्य क्षेत्र में ओबीसी वर्ग के बड़े नेताओं का कद भी तय करेगा हालांकि अभी गणेश सिंह को सिद्धार्थ कुशवाहा ने विधानसभा चुनाव में पराजित करके खुद को बड़े नेता के रूप में स्थापित कर लिया है। वैसे यहां यह गौरतलब है कि ओबीसी के नाम पर राजनीति करने वाले गणेश सिंह केवल और केवल सजातीय लोगों कोई महत्व देने का काम करते हैं और अपनी राजनीति चमकाने के लिए अन्य वर्गों समेत ब्राह्मण जाति के कई नेताओं धर्मेंद्र तिवारी, अरुण द्विवेदी, विनीत पांडे, दिनेश शुक्ला सरीखे जनता में अच्छी खासी पकड़ रखने वाले ब्राह्मण नेताओं को अपने 4 संसदीय कार्यकाल में मात्र दरी बिछाने तक सीमित करके रख दिया है और अच्छे खासे इन कद्दावर नेताओं को पार्सदी तक की टिकट ना दिलाकर इन सबका राजनीतिक मर्डर करने में कोई भी कोताही नहीं की, यह फेहरिस्त जिले में काफी लंबी है जिनमें विधानसभा व जिला स्तर तक के कई विधायक भी आते हैं। गणेश सिंह की राजनीति का अब पर्दाफाश हो गया है और सब ने अभी तक जिनका राजनीतिक मर्डर गणेश सिंह ने किया है कोई भी चुप नहीं बैठेंगे तब गणेश सिंह की लोकसभा सतना से भी बड़ी हार संभावित है। इतना ही नहीं यदि सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू को कांग्रेस टिकट देकर सतना से मैदान में उतरती है तो रीवा संभाग के अलावा भी समूचे विंध्य में कुशवाहा समाज कांग्रेस के पाले में जा सकता है तब मध्य प्रदेश में क्लीनस्विप करने का भाजपाई का सपना अधूरा ही रह जाएगा।
रीवा लोकसभा क्षेत्र।
विंध्य क्षेत्र की राजधानी रीवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी लगातार पराजित हो रही है लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत की दहलीज पर लाने वाले उम्मीदवार का जो नाम सामने निकल कर आया है वह नाम पूर्व विधायक नीलम अभय मिश्रा का है। इसके पीछे का जो बड़ा तर्क दिया जा रहा है उसमें सेमरिया विधायक अभय मिश्रा के चुनाव लड़ने के तौर तरीकों और मैनेजमेंट को बताया जा रहा है लोगों का तर्क है कि अभय मिश्रा जब चुनाव लड़ते हैं तो उनके चुनाव में ग्राम पंचायत के चुनाव जैसा माहौल दिखता है भले ही विधानसभा य लोकसभा का चुनाव हो वर्तमान समय में अभय मिश्रा सेमरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं और उनकी पत्नी नीलम अभय मिश्रा पूर्व में सेमरिया से विधायक रही है ऐसे में यह माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी नीलम अभय मिश्रा को लोकसभा प्रत्याशी रीवा के तौर पर मैदान में उतर सकती है ऐसे में रीवा लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होना तय है क्योंकि अभय मिश्रा जिला पंचायत के अध्यक्ष रहते रीवा जिले में ग्राम पंचायत स्तर तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं और रीवा जिले में अकेले ऐसे विधायक हैं जिन्होंने भाजपा को विधानसभा चुनाव में पराजित किया है, और यहां सबसे बड़ी बात तो यह है कि भाजपा का एक गुट अभय मिश्रा के साथ पहले भी रहा है और लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ही भाजपा से लड़ने लगेगी ऐसे में भाजपा को कांग्रेस रीवा में भी पटकनी दे सकती है।
सतना लोकसभा क्षेत्र के लिए सिद्धार्थ सबसे मजबूत नेता।
यदि सीधी के बजाय अजय सिंह राहुल को कांग्रेस ने सतना से उतारा तो सीधी में कांग्रेस शायद मुकाबले में ही नहीं रहेगी। डॉक्टर राजेश मिश्रा के मुकाबले। वैसे पति-पत्नी अर्थात नीलम अथवा अभय मिश्रा में से किसी को भी कांग्रेस ने रीवा से उतार दिया तो रीवा में मुकाबला बड़ा कड़ा होगा वही दूसरी ओर राहुल अजय सिंह को सतना से उतारे जाने पर मुकाबला खड़ा होगा जीते चाहे जिसकी हो पर संसदीय क्षेत्र सतना में अजय योद्धा माने जाने वाले गणेश सिंह को हर का भी सामना करना पड़ सकता है क्योंकि चित्रकूट का ब्राह्मण नाराज है मैहर अमरपाटन का ब्राह्मण नाराज है रैगांव एवं नागौद भी भाजपा के लिए बेहतर नहीं कहे जा सकते खाने का आशय है यह पटेल के अलावा कुशवाहा समेत अदर ओबीसी इस बार भाजपा के गणेश सिंह को वोट शायद ही करेंगे इस प्रकार किसी विधानसभा के परिणाम की तरह यदि अजय सिंह राहुल व गणेश सिंह आमने-सामने रहे तो हार जीत का आंकड़ा 5 – 7 से अधिक नहीं होगा वहीं दूसरी ओर डब्बू यदि सामने रहे तो सतना विधानसभा की तरह गणेश सिंह की तरह परजय भी हो सकती है और चार चुनावों के मिथक को तोड़ते हुए कांग्रेस सतना से अपना सांसद बनाने में कामयाब भी हो सकती है।