Singrauli news:एनसीएल अमलोरी प्रोजेक्ट प्रबंधन को दस-दस हजार का जुर्माना!
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का मामला
सिंगरौली . मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महेन्द्रपाल सिंह की अदालत में एनसीएल अमलोरी प्रोजेक्ट विरुद्ध मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रकरण का अंतिम रूप से निराकरण किया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जिला एवं सत्र न्यायालय के द्वारा जिले में संचालित नार्दन कोल फील्डस लिमिटेड (एनसीएल) अमलोरी कोल खदान प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारियों को केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन करने के कारण पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 15 एवं 16 के तहत अपराध कारित करने का दोषी पाया है। जिसके एवज में दस-दस हजार रुपए की राशि का अर्थदंड के रूप में जुर्माना लगाया है।
अमलोरी कोल खदान 100 लाख टन प्रति वर्ष उत्खनन क्षमता पर संचालित कोल खदान थी। एनसीएल हेड क्वार्टर में निरंजन दास डायरेक्टर (तकनीकी एवं आपरेशन) जैसे महत्तवपूर्ण पद पर पदस्थ थे। उसी प्रकार चंचल गोस्वामी महाप्रबंधक के रुप में अमलोरी खदान के सर्वेसर्वा थे तथा उपमहाप्रबंधक राजकुमार पर्यावरण संबंधी व्यवस्थाओं की स्थापना के लिए जिम्मेदार एवं उत्तरदायी थे। पर्यावरण स्वीकृति की शर्तों के अनुसार खदान प्रबंधन को ओवर वर्डन मटेरियल डंप साइड तथा खतरनाक अपशिष्ट का वैज्ञानिक ढंग से प्रभावी रूप से प्रबंधन करना था लेकिन खदान के महाप्रबंधक, उपमहाप्रबंधक द्वारा गंभीर लापरवाही बरती गई एवं इस प्रकार पर्यावरण को गंभीर रुप से खतरा उपस्थित किया गया। केन्द्र शासन के द्वारा राजपत्र में प्रकाशित कर अधिसूचित किए गए खतरनाक अपशिष्ट (प्रबंधन एवं सीमापार संचलन) नियम 1998 के तहत खतरनाक अपशिष्ट का वैज्ञानिक ढंग से भंडारण, उपचार एवं प्रबंधन करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राधिकार लेना आवश्यक होता है मगर खदान प्रबंधन के उक्त पदाधिकारिायों के द्वारा राज्य बोर्ड से प्राधिकार भी नही लिया गया। खतरनाक अपशिष्ट का अवैज्ञानिक ढंग से डंप किया गया। न्यायालय के द्वारा पारित उक्त आदेश से सिंगरौली क्षेत्र में संचालित खदाने पर्यावरण संबंधी नियमों का प्रभावी रूप से अनुपालन करने को बाध्य होंगी तथा सिंगरौली क्षेत्र का पर्यावरण उन्नत होगा।