230 बंदियों को रखने की क्षमता, रखे गये 559
जिला जेल पचौर में ओवरक्राउडिंग, नये जेल के लिए बरगवां, तियरा, देवसर में जमीन की गयी चिन्हित, जल्द शुरू होगा निर्माण
सिंगरौली-वैढ़न के पचौर में संचालित जिला जेल 230 बंदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन उसमें लगभग 559 बंदी रखे जा रहे हैं। यानी, क्षमता से दोगुना से भी काफी अधिक बंदी जेल में रह रहे हैं। हालात ये हैं कि वहां महिला बंदियों को रखने के लिए जो सेल है, उसमें क्षमता से काफी अधिक महिला बंदी को रखना पड़ रहा है और इससे महिला बंदियों को सोने तक के लिए ढंग से जगह मिल पाना मुश्किल बना रहता है। ये हालात कुछ समय पहले जिला जेल का निरीक्षण करने गये सिंगरौली विधायक रामनिवास शाह के समक्ष आये थे, जिसके बाद उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुये इस समस्या को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया और 1 अगस्त को इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को मांग-पत्र देकर महिला जेल निर्माण कराने की मांग की थी। जिस पर मुख्यमंत्री के यहां से पत्राचार का क्रम संबंधितों के बीच शुरू हुआ और इसी के साथ जिला जेल के लिए जमीन की तलाश भी जिले के विभिन्न क्षेत्रों में शुरू कर दी गई। इसका कारण ये बताया जा रहा है कि पचौर में जिला जेल के आसपास आवश्यकता के मुताबिक सरकारी जमीन की उपलब्धता नहीं है।
ताजा स्थिति ये है कि जिला जेल के लिए वैढ़न क्षेत्र अंतर्गत तियरा से लेकर बरगवां और देवसर क्षेत्रों में भी जमीन चिन्हित की गई है। अब इन तीनों क्षेत्रों की जमीनों में से किसी एक जमीन को फाइनल किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल मुख्यालय भोपाल के अपर आयुक्त 2 ने इस संबंध में मंडल के सागर वृत्त के उपायुक्त को 22 नवंबर को पत्र जारी कर कहा है कि वैढ़न जेल की भूमि पर पुनर्धनत्वीकरण योजना लिया जाना प्रस्तावित है। इस संबंध में कलेक्टर सिंगरौली से संपर्क कर प्रारंभिक परियोजना प्रतिवेदन मुख्यालय को प्रेषित करें।
जेल मुख्यालय भोपाल से इस मामले में अतिरिक्त महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं ने पिछले माह सिंगरौली कलेक्टर को एक पत्र भेजा है। पत्र के मुताबिक, जिला जेल वैढ़न के मॉडल प्रिजन मैन्युअल के मांगों पर नवनिर्माण के लिए 50 एकड़ शासकीय भूमि चिन्हित की जानी है। ये जमीन समतल, चौकोर, सुगम पहुंच मार्ग, बिजली-पानी जैसी आवश्यकताओं से परिपूर्ण हो। इन मानकों वाली जमीन फाइनल होने के बाद इसका परीक्षण होगा। फिर कलेक्टर के माध्यम से मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल प्रस्ताव तैयार करेगा, जिसके बाद ही निर्माण कार्य हो सकेगा।