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singrauli news : बैसाखी के सहारे चल रहे अजाक सहायक आयुक्त समेत कई महत्वपूर्ण विभागों में नही हैं कार्यालय प्रमुख

जनपद पंचायत चितरंगी, आदिवासी विकास , पंजीयन कार्यालय ,एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना देवसर सहित कई विभाग में नहीं है विभाग प्रमुख

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बैसाखी के सहारे चल रहे अजाक सहायक आयुक्त समेत कई महत्वपूर्ण विभागों में नही हैं कार्यालय प्रमुख

singrauli news  : चितरंगी/देवसर । जिले के जपं चितरंगी में पिछले 8 महीने से मुख्य कार्यपालन अधिकारी का प्रभार तहसीलदार के पास है। वही पिछले 3 महीने से सहायक आयुक्त आदिवासी कल्याण विभाग का प्रभार डीपीओ आईसीडीएस एवं पंजीयक का प्रभार सीधी जिले के पास है।

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इसी तरह एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना अधिकारी का प्रभार कई वर्षों से देवसर के जनपद सीईओ ने संभाल रखा है। जिले के महत्वपूर्ण विभागों में कार्यालय प्रमुख बैसाखी के सहारे चलने से विकास कार्य के गति पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है इसके बावजूद शासन प्रशासन के स्तर से रिक्त पदों की पूर्ति नहीं कराई जाने से विपक्षी दल सरकार को घेर रहे हैं। दरअसल जनपद पंचायत चितरंगी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का पद पिछले करीब 8 महीने से रिक्त पड़ा हुआ है। सीईओ का प्रभार चितरंगी तहसीलदार ऋषि नारायण सिंह को अतिरिक्त सौपा गया है।

 

राजस्व विभाग के अधिकारी पंचायत विकास विभाग को पिछले 8 महीने से देख रहे हैं । राजस्व विभाग में ही काम की अधिकता होने से पंचायत विभाग के कामकाज पर भी व्यापक असर पड़ रहा है। एक साथ दो महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार होने से तहसीलदार भी लगातार कई घंटे तक कामकाज में लगे रहते हैं। जिसके चलते काम के बोझ के तले हुए दब चुके हैं। हालांकि वह ऐसा नहीं मानते हैं। लेकिन उनके सहयोगी वह अन्य स्टॉप इस बात का दावा करते हैं कि तहसीलदार के पास अतिरिक्त प्रभार होने से मानसिक रूप से परेशान हंै। वहीं आदिवासी विकास सहायक का आयुक्त का 3 महीने पहले जिले से स्थानांतरण होने के बाद सहायक आयुक्त का प्रभार डीपीओ आईसीडीएस को सौपा गया है। जबकि आदिवासी विकास विभाग भी एक महत्वपूर्ण विभाग है। बैसाखी के सहारे यह दफ्तर चल रहा है। इधर एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना कार्यालय देवसर में विगत एक दशक के अधिक समय से कार्यालय प्रमुख नहीं है।

 

बताया जाता है कि परियोजना प्रशासक का प्रभार जनपद पंचायत देवसर के सीईओ को अतिरिक्त रूप में सौपा गया है । जहां जनपद पंचायत के सीईओ भी अपने कामकाज के साथ-साथ एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना का भी कामकाज देख रहे हैं। उधर सिंगरौली जिले से सर्वाधिक राजस्व आय देने वाले पंजीयक कार्यालय भी प्रमुख विहीन है । यहां के पंजीयक का प्रभार जब से कार्यालय पंजीयक खुला है। तब से सीधी के पास अतिरिक्त है । जहां सीधी के ऊपर पंजीयक यहां महीने में एक दो बार भी दौरा कर पाते हैं पंजीयक का प्रभार सीधी के पास होने से इसका फायदा सिंगरौली के उप पंजीयक उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यह बात किसी से छुपी नहीं है । आए दिन किसी ने किसी मामले को लेकर उप पंजीयन सुर्खियों में बने रहते हैं प्रबुद्ध जनों का मानना है कि यदि पंजीयन बैढ़न में बैठते तो शायद उप पंजीयक के दफ्तर में मची भर्रेशाही पर लगाम लगा पाते ,सीधी से रोजाना आना भी संभव नहीं है। इसलिए लिहाज से यहां पंजीयन होना आवश्यक माना जा रहा है । इसी तरह अन्य कई विभागों में कार्यालय प्रमुख ना होने से सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन करने में जहां तरह तक की अड़चनें आ रही हैं।

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