लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष में किसी तरह का बदलाव उचित नही।
सभी देश और धर्म का हो बाल विवाह हर हालत में रोका जाना चाहिए : अजय खरे लोकतंत्र सेनानी, राष्ट्रीय संयोजक समता संपर्क अभियान।
दुनिया के किसी भी देश और धर्म में प्रचलित बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को हर हालत में रोका जाना चाहिए। इसे सामाजिक अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। संबंधित देशों की सरकारों और मानव अधिकार संस्थाओं का काम है कि बाल विवाह को रोकने के लिए ठोस पहल करें। आवश्यकता पड़ने पर विश्व मानव अधिकार आयोग को भी हस्तक्षेप करना चाहिए। इराक में वहां की सरकार के द्वारा लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से घटाकर 9 वर्ष की जा रही है। यह बाल विवाह को बढ़ावा ही नहीं बल्कि लड़कियों के भविष्य के साथ क्रूर खिलवाड़ है। वहीं सुखद बात यह है कि इराक में इसका विरोध हो रहा है। दुनिया के दूसरे देशों में भी इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए। भारत जैसे देश में भी संकीर्ण सोच के लोग हैं जो आज भी बाल विवाह जैसी कुरीतियों का समर्थन करते हैं। ऐसी दकियानूसी सोच को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। भारत और इराक में अभी लड़कियों की शादी की वैधानिक न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है। इससे कम उम्र में शादी को बाल विवाह माना गया है जो अपराध की श्रेणी में है। लेकिन इधर दोनों देशों की सरकारें लड़कियों की शादी की उम्र के मामले में अलग-अलग दिशा में जा रहीं हैं। भारत की संसद में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष को बढ़ाकर 21 वर्ष कर देने का विधेयक अढ़ाई वर्ष पूर्व 21 दिसंबर 2021 को लोकसभा में रखा जा चुका है। मोदी सरकार इसे कभी भी लागू कर सकती है।
इराक की संसद में शुक्रवार 9 अगस्त 2024 को उस समय हंगामा हो गया जब सदन में लड़कियों की शादी की उम्र न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से घटाकर 9 वर्ष करने वाला बिल पेश किया गया। बिल के सामने आते ही संसद में आक्रोश का माहौल बन गया। सदन में मौजूद लोगों ने अपनी- अपनी तरह से इसका विरोध जताना शुरु कर दिया। इस समय वहाँ भी लड़कियों की शादी करनं की न्यूनतम उम्र 18 साल है। इस बिल की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। इतनी कम उम्र में बच्चियों की शादी उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खतरनाक माना जाता है। आलोचकों का तर्क है कि इससे बाल विवाह को बढ़ावा और बाल शोषण में बढ़ोतरी होगी।
इराक के मानवाधिकार संगठनों, महिला समूहों और सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि बाल विवाह के कारण स्कूल छोड़ने की दर बढ़ जाती है। इराक में महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले संगठन लगातार इस बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं इराकी महिला सांसदों के एक गठबंधन ने भी इस बिल का विरोध जताया है। इराक के मौजूदा पर्सनल स्टेटस कानून के अनुसार शादी की कानूनी उम्र 18 साल है, लेकिन इस बिल के पारित होने से यह पूरी तरह से बदल जाएगा। निश्चित रूप से यह महिलाओं की आजादी के सरासर खिलाफ है। इसके चलते इराक की सामाजिक व्यवस्था का ताना-बाना भी बिखरेगा।
दुनिया के तमाम देशों में लड़कियों की शादी की वैधानिक उम्र न्यूनतम 18 वर्ष के आसपास रखी गई है। इस उम्र में बदलाव करने की कतई जरूरत नहीं है। शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष रखने का उद्देश्य बाल विवाह को रोकना है। सामाजिक व्यवस्था के लंबे अनुभव के बाद इसे कानूनी स्वरूप दिया गया है। मनुष्य की व्यक्तिगत एवं सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए शादी जैसी जरूरी व्यवस्था को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। लेकिन बाल विवाह तो हर हालत में रोका जाना चाहिए। लड़कियों को 18 वर्ष की उम्र पूरा होने पर शादी का अधिकार मिलता है। इस आजादी को नहीं छीना जाना चाहिए। लड़कियों को यह तय करना है कि वह 18 वर्ष पूरा होने के बाद शादी कब करेंगी। बालिग होने पर लड़कियों का शादी करना ना करना , मां बनना ना बनना उनका अधिकार होगा। इसे रोकने के लिए कोई कानून लाना लड़कियों के नैसर्गिक मौलिक अधिकार पर हमला होगा।
देखने में आ रहा है कि भारत में भी मोदी सरकार के द्वारा लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र में वृद्धि करने की कोशिश की जा रही है। यह भारी विडंबना है कि भारत में अभी भी बाल विवाह को रोका नहीं जा सका है। महिलाओं के साथ होने वाले दुराचार यौन शोषण और बलात्कारों के चलते यहां भी कम उम्र में शादी करने की बात उठाने वाले लोग हैं। लेकिन इसके चलते लड़कियों की परिपक्वता उम्र 18 वर्ष से कम में उनकी शादी की बात कतई उचित नहीं है। दुनिया के अधिकांश देशों में18 वर्ष की उम्र में लड़कियां बालिग मानी जाती हैं। भारत में आज भी लड़कियों की शादी की व्यवहारिक जिम्मेदारी उनके परिजनों की है। वैसे देखने को मिल रहा है कि बदलते हुए परिवेश में लड़कियों की शादी करने की उम्र बढ़ती जा रही है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सरकार कोई कानून लाकर लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दे। यदि कोई लड़की 18 वर्ष की उम्र में ही शादी करने की इच्छुक है तो कोई कानून बनाकर उसे 21 वर्ष की उम्र में शादी करने के लिए मजबूर करना उसके प्राकृतिक मौलिक अधिकार का हनन होगा । इराक हो या भारत दोनों जगह की सरकारें लड़कियों की शादी के उम्र में अपने-अपने हिसाब से बदलाव करके अच्छा नहीं कर रही हैं। इन दोनों सरकारों का फैसला कदापि उचित नहीं है जिसका विरोध किया जाना चाहिए।