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भारत देश की सबसे बड़ी समस्या से निपटने क्यों पीछे हट रही मोदी सरकार अब नहीं तो कब,,,

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भारत देश की सबसे बड़ी समस्या से निपटने क्यों पीछे हट रही मोदी सरकार अब नहीं तो कब,,,

विराट वसुंधरा
भारत देश का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्छादित हिमालय की ऊंचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है। विश्व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्ट भौगोलिक भी पहचान देते हैं, 18 अगस्त, 2024 तक भारत की आबादी 1,452,628,629 है. यह आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों पर आधारित है। साल 2024 में भारत दुनिया के सबसे ज़्यादा आबादी वाले देशों की सूची में पहले नंबर पर है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, भारत की आबादी 2050 तक 1.7 बिलियन तक पहुंच सकती है, 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत की कुल आबादी 1,210,854,977 थी, जिसमें 52% पुरुष और 48% महिलाएं थीं, जबकि, साल 2011 के बाद से भारत में जनगणना नहीं हुई है इसलिए इस वक़्त भारत की जनसंख्या क्या है, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

बढ़ती जनसंख्या ही सबसे बड़ी चुनौती।

भारत में किसी भी अन्य विकासशील देश की ही तरह बहुत सी खुबिया है और समस्याएं भी है…महंगाई, बेरोजगारी, आवासो की कमी, भ्रष्टाचार, पर्यावरण का अवनयन, निम्न जीवन स्तर, अपराध वृद्धि इत्यादि पर इन सब समस्याओं से भी बड़ी एक समस्या है या यूं कहे कि इन सभी समस्याओं की जड़ में एक समस्या है, इन सभी समस्याओं के लिए काफी हद तक जो एक अकेली समस्या जिम्मेवार है वो है बढ़ती बेतहाशा जनसंख्या, जिस तरफ कोई जिम्मेवारी के साथ ध्यान भी नही दे रहा है। बेहिसाब आबादी का ही दुष्परिणाम है कि भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। बढ़ती आबादी के साथ ही देश के संसाधनों पर दबाव भी बढ़ जाएगा, लिहाजा नीति-निर्माण को लेकर चुनौतियां बढ़ेंगीं। बढ़ती जनसंख्या की वजह से ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है देखा जाए तो बढ़ती जनसंख्या देश की सबसे बड़ी समस्या तो है ही सबसे बड़ी चुनौती भी है।

क्षेत्रफल में सातवें और जनसंख्या में प्रथम।

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भारत देश में जनसंख्या इतनी बेतहाशा बढ़ रही है कि हमने जनसंख्या के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है और अब नंबर एक देश बन चुके है पर क्या हमारा विकास चीन के मुकाबले सच में कही ठहरता है? भू- भाग यानी क्षेत्रफल की अगर बात करे तो भारत दुनिया में 7 वे नंबर पर है पर जनसंख्या के मामले में हम नंबर एक हो चले है, नतीजा ये है कि संसाधन स्रोत प्रति व्यक्ति घटता ही जा रहा है। फलस्वरूप मंहगाई, बेरोजगारी बढ़ रही है क्योकी आवश्यकता बढ़ रही है जबकि स्रोत घट रहे है, जरा सोचिए हम दुनिया में भूभाग के मामले में सातवें नंबर पर हैं जबकि आबादी के मामले में नंबर एक, विकास के मामले में किस नम्बर पर है इसकी तो चर्चा ही छोड़ दीजिए फिलहाल, और जनसंख्या वृद्धि होती ही जा रही है, तो जाहिर है कि संसाधन और घटते ही जा रहे है, तो क्या ये जनसंख्या विस्फोट बड़ी समस्या नही है ? क्या कोई इससे इंकार कर सकता है? ऐसे में कोई भी सरकार या सिस्टम क्या करेगा, जब तक मूल समस्या पर काम नही किया जाता। जनसंख्या विस्फोट अपने चरम पर है।

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार मौन।

पर हमारे जिम्मेवार अभी भी नही चेते है। सिर्फ बातो में ही जनसंख्या की चिंता और बाते हमारे जिम्मेवार करते नजर आते है, अभी तक जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कोई कानून बनाने की हिम्मत किसी भी सरकार ने नही की है। सामाजिक संगठन और कुछ गिने चुने लोग ही जनसंख्या नियंत्रण की बात को उठाते है पर अफसोस उनकी बात कचरे के डिब्बे में कचरा बन कर रह जाती है, शायद सरकारों को अभी यह समस्या उतनी बड़ी नही लगती जितनी बड़ी ये समस्या वास्तविकता में है, सवाल यही की आखिर इस बढ़ती जनख्या पर नियंत्रण के लिए कब सरकार कदम उठाएगी? कब कोई ऐसा कानून बनेगा जिससे जनसंख्या विस्फोट रुकेगा? क्योकी अगर आज कोई नियम बना इस बाबत तो कई सालो बाद इसका असर देखने को मिलेगा, पर शायद इंतजार अभी और सही क्योकी हमारे आलम अभी कुंभकर्णी निद्रा से जागे जो नही है!

देश की समस्या से अधिक सत्ता की चिंता।

भारत देश की अगर राजनीति और सरकार की बात करें तो देश के प्रमुख राजनीतिक दलों के पास सत्ता में काबिज होने के लिए जितने हथकंडे ए अपनाए जा सके और जनता को अधिक से अधिक खुश रखा जाए उसी में अपनी सरकार की सलामती देखते हैं देश की जनसंख्या देखकर सरकार फैसले करती है जाति और धर्म समाज की बुनियाद पर सत्ता के लिए देशभर में राजनीतिक लाभ के लिए माहौल निर्मित किया जाता है सत्ता और विपक्ष दोनों और अन्य क्षेत्रीय दल भी अपनी डफली अपना राज सत्ता के लिए अलापते देखे जाते हैं लेकिन जनसंख्या नियंत्रण के बारे में सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है हालांकि प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के पुत्र स्व संजय गांधी ने परिवार नियोजन के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण कराने की मुहिम शुरू की हालांकि उस दौरान सुविधाएं कम थी कई घटनाएं भी हुई और सरकार की किरकिरी हुई उस समय संजय गांधी सरकार के किसी पद में भी नहीं थे, इससे जनता में काफी नाराजगी हुई आपात काल और नशबंदी को लेकर विपक्षी दलों ने कांग्रेस सरकार को घेरा और उसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी को भुगतना पड़ा शायद इसी डर से तीसरी बार केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा की सरकार भी डर रही है की कहीं जनसंख्या नियंत्रण के लिए लागू किए जाने वाले कानून से जनता में नाराजगी ना हो जाए जिसका खामियाजा भविष्य की राजनीति में भुगतना पड़े ‌जबकि जनसंख्या विस्फोट आने वाली समय में भारत देश को किस ओर ले जाएगा यह आने वाला समय ही बताएगा।

 

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