भारतीय रेलवे कर्मचारियों का एक प्रमुख समूह हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के पास एक विशेष अनुरोध लेकर पहुंचा हैं ! जिसमें उन्होंने मांग की हैं कि उनके वार्षिक उत्पादकता-लिंक्ड बोनस की गणना छठे वेतन आयोग के बजाय सातवें वेतन आयोग के आधार पर की जाए !
तो आप सभी को बता दें कि भारतीय रेलवे कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव, सर्वजीत सिंह ने बताया हैं ! कि मौजूदा पीएलबी छठे वेतन आयोग के तहत 7,000 रुपये प्रति माह के न्यूनतम वेतन पर आधारित है ! जबकि सातवें वेतन आयोग के अनुसार न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये है !
इस विसंगति के कारण रेलवे कर्मचारियों को उनके उचित हिस्से से कम प्राप्त हो रहा है ! जो कि न्यायसंगत नहीं है ! तो चलिए जानते हैं कि रेलवे कर्मचारियों ने दशहरे से पहले सातवें वेतन आयोग के तहत बोनस गणना में संशोधन की मांग क्यों कर रहे हैं ! आईए जानते हैं इस बारे में विस्तार से जानकारी….
Railway Employees – रेलवे कर्मचारियों की भूमिका
कोविड-19 महामारी के दौरान जब देश लॉकडाउन में था तो रेलवे कर्मचारियों ने न केवल ट्रेन सेवाओं को चालू रखा बल्कि सुनिश्चित किया कि आवश्यक सामग्री और सहायता समय पर पहुंचे ! इस अवधि में उनके अथक प्रयासों से रेलवे की आय में स्पष्ट वृद्धि हुई ! जो कि तिमाही रिपोर्टों में भी देखने को मिली है !
Indian Railway – आवश्यक सुधार की दिशा
IREF की मांग है कि सरकारी निर्देशों के अनुसार जो 78 दिनों के वेतन के बराबर बोनस का प्रावधान करते हैं ! उन्हें सातवें वेतन आयोग के तहत लागू किया जाना चाहिए ! वर्तमान में 7,000 रुपये के आधार पर गणना की गई पीएलबी राशि 17,951 रुपये है ! जो कि 18,000 रुपये के न्यूनतम मूल वेतन की तुलना में कम है ! सही गणना के अनुसार, 78 दिनों का बोनस 46,159 रुपये होना चाहिए !
Employees – कर्मचारियों के आर्थिक हित होंगे सुरक्षित
सिंह ने मंत्री से यह भी अनुरोध किया हैं कि इस सुधार को लागू करने से न केवल रेलवे कर्मचारियों के आर्थिक हित सुरक्षित होंगे ! बल्कि यह उन्हें आगामी त्यौहारों के दौरान अधिक खुशहाली और संतोष के साथ जीवन यापन करने का अवसर प्रदान करेगा ! इससे उन्हें रेलवे के संचालन और रखरखाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को जारी रखने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन भी मिलेगा !