MP news, कड़े कानून के बावजूद भी आखिर क्यों नहीं थम रहे बलात्कार।
👉 बलात्कार रोकने जवाबदेही तय हो: नारी चेतना मंच
👉 बलात्कारियों की जेल से रिहाई और आरती उतारने वाली शासन व्यवस्था में महिलाओं को सुरक्षा और न्याय कैसे मिलेगा? : समता संपर्क अभियान
👉 बंगाल की घटना पर कैंडल मार्च निकालने वालों की गुढ़ की घटना पर चुप्पी बेहद आपत्तिजनक एवं निंदनीय: नारी चेतना मंच।
रीवा । नारी चेतना मंच ने कहा कि कहने को डबल इंजन सरकार है लेकिन कानून व्यवस्था बेहाल है। एक तरफ सरकार ने बैठे लोगों के द्वारा कानून व्यवस्था को लेकर यह दावा किया जाता है कि महिलाएं रात में भी अकेले बेख़ौफ़ घूम सकती है वहीं संभागीय मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित गुढ़ क्षेत्र के भैरव बाबा धार्मिक पर्यटन स्थल के पास कुछ अपराधियों ने मंदिर से दर्शन करके लौट रहे नव विवाहित जोड़े को बंधक बनाकर पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार करते हुए उसका वीडियो भी बना लिया। सामूहिक बलात्कार के सदमे से पीड़ित महिला एवं उसके परिजन उक्त घटना से इतना अधिक डरे और सहमे हुए थे कि किसी तरह दूसरे दिन 22 अक्टूबर को गुढ़ थाना में सूचना देने की हिम्मत जुटा पाए। लेकिन सवाल यह है कि इस बीच शासन प्रशासन इस घटना को लेकर बेखबर कैसे रहा ? रीवा में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की वजह से कार्यवाही में विलंब भी हुआ।
बलात्कार की खबर को 2 दिन तक दबाए रखने में कोई कसर बाकी नहीं रखी गई। याद करिए गुजरात में बिल्किस बानो वाले मामले में बलात्कारियों को मिली आजन्म कारावास की सजा को कुछ समय बाद रिहाई में बदलकर उनको सम्मानित किया जाता है तो ऐसी स्थिति में बलात्कारियों को किसी तरह का डर और चिंता कैसे होगी ? समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे और नारी चेतना मंच की वरिष्ठ नेत्री मीरा पटेल ने कहा है कि बंगाल को लेकर डर का इजहार वहीं रीवा और उड़ीसा पर चुप्पी यही दोहरा चरित्र भारतीय राजनीति के लिए बेहद शर्मनाक चिंताजनक दुर्भाग्यपूर्ण बात है। बलात्कारियों की जेल से रिहाई और आरती उतारने वाली शासन व्यवस्था में महिलाओं को सुरक्षा और न्याय कैसे मिलेगा?
कहने को प्रदेश में लाड़ली बहनों की सरकार है और रक्षाबंधन पर्व पर सरकार की ओर से लाड़ली बहनों के लिए ₹250 भी उनके खाते में डाल दिए जाते हैं लेकिन उनकी सुरक्षा के सवाल पर सरकार का रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना निराशाजनक आपत्तिजनक और निंदनीय है। प्रदेश में बलात्कार एवं सामूहिक बलात्कार की घटनाएं थम नहीं रही हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की ससुराल रीवा जिला भी सामूहिक बलात्कार से अछूता नहीं है। एक तरफ कानून व्यवस्था के नाम पर रीवा का समूचा जिला और पुलिस प्रशासन पिछले 15 दिन से चोरहटा हवाई अड्डे का नए सिरे से उद्घाटन , मुख्यमंत्री और उद्योगपतियों की अगवानी में लगा हुआ था वहीं दूसरी ओर रीवा जिला के गुढ़ थाना अंतर्गत भैरव बाबा धार्मिक पर्यटन स्थल के नजदीक अपराधियों ने सोमवार 21 अक्टूबर को बेहद शर्मनाक आपत्तिजनक वारदात को अंजाम देकर कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए पूरे प्रदेश की लाड़ली बहनों की सुरक्षा के सवाल को बेहद चिंताजनक बना दिया है। प्रदेश में ऐसी अपसंस्कृति फैल गई है जिसके चलते न तो कानून का खौफ है ना ही लोक लाज की चिंता।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा रीवा हवाई अड्डे का वर्चुअल उद्घाटन 20 अक्टूबर को किया गया वहीं 23 अक्टूबर को रीवा में पांचवी रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव हुई जिसमें शहर के मुख्य स्थानों की सजावट पर भारी भरकम खर्च किया गया। कानून व्यवस्था के नाम पर रीवा के चप्पे-चप्पे पर हथियारबंद पुलिस व्यवस्था बनाई गई। आसपास के जिलों की पुलिस भी रीवा शहर में मौजूद थी। रीवा शहर को महानगर बनाने की मची भाग दौड़ के शोरृ में पीड़िता की आवाज समय रहते नहीं सुने जाने से चीरहरण नहीं रोका जा सका। रीवा शहर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की वजह से बाहर के थानों में नाममात्र का पुलिस बल था। समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक श्री खरे एवं नारी चेतना मंच की नेत्री मीरा पटेल ने कहा कि बलात्कार के मामले बेहद चिंताजनक और शर्मनाक हैं , इसे रोक पाने में असमर्थ प्रशासन के विरुद्ध जवाबदेही तय होनी चाहिए।
एक तरफ सरकार में बैठे हुए लोगों के द्वारा दाबा कि किया जाता है कि प्रदेश में महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और वह कहीं भी अकेले बेख़ौफ़ आ जा सकती हैं लेकिन देखने को मिल रहा है कि पति के साथ धार्मिक पर्यटन करने वाली महिला की इज्जत बंधक बनाए गए उसके पति के सामने ही तार तार कर दी गई। नारी चेतना मंच ने कहा है कि प्रदेश सरकार महिलाओं के वोट लेने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती है लेकिन बलात्कार जैसी बेहद शर्मनाक जघन्य आपराधिक घटनाओं को रोक पाने में असमर्थ मोहन सरकार किस मुंह से कुर्सी पर बनी हुई है?
पश्चिम बंगाल की घटना पर बवाल मचाने वाले कैंडल मार्च निकालने वाले अब कहां गायब हो गए हैं? मध्यप्रदेश में अपराधियों का बोलबाला बना हुआ है। सरकार में बैठे हुए लोग दूध के धुले नहीं है। यह भारी विडंबना है कि रीवा की एक लड़की के द्वारा प्रदेश सचिवालय में बैठे कुछ अधिकारियों के भ्रष्टाचार और हनीट्रैप की बात को जब उजागर किया गया तो उस फरियादिया को ही मुलजिम बना दिया गया। कड़े कानून बनने के बाद भी अपराध थम नहीं रहे हैं। सरकार में बैठे लोगों के नैतिक पतन के चलते समाज में ग़लत संदेश जा रहा है। सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य आपराधिक कृत्य का होना बहुत शर्मनाक और कानून व्यवस्था को खुली चुनौती है। यदि कानून व्यवस्था सही है तो बलात्कार की घटनाएं नहीं होना चाहिए।
सामूहिक बलात्कार करने वालों को कड़ा से कड़ा दंड मिलना चाहिए वहीं बलात्कार को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन की जवाबदेही भी तय होना चाहिए। बलात्कार जैसी घटनाओं पर नियंत्रण नहीं होने वाली बात प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करती है। अपराधियों को पकड़ना और सजा दिलाना ही काफी नहीं है। अपराध नहीं हो इस दिशा में बहुत तेजी से काम होना चाहिए। यह बहुत कष्टकारक बात है कि मोहन सरकार में सरेआम चीरहरण हो रहा है। ऐसी स्थिति में मोहन सरकार से इस्तीफा लिया जाना चाहिए।
गुढ़ क्षेत्र में हुए सामूहिक बलात्कार की घटना के विरोध में ग्रामीण महिलाओं ने जिलाध्यक्ष कार्यालय पहुंचकर अपना विरोध प्रदर्शन जताया है लेकिन उनका ज्ञापन लेने के लिए महिला कलेक्टर प्रतिभा पाल और अतिरिक्त कलेक्टर सपना त्रिपाठी में से कोई भी सामने नहीं आया बल्कि तहसीलदार को भेज कर रस्म अदायगी कर ली गई। रीवा जिले का प्रशासन महिला कलेक्टर के हाथ में होने के बावजूद महिलाओं का असुरक्षित होना बेहद चिंता का विषय है।
दिनदहाड़े बलात्कार की घटना से ऐसा लगता है कि इस तरह की कई घटनाएं होती हैं लेकिन लोक लाज के चलते दबा दी जाती हैं। यह मामला इसलिए उजागर हुआ कि पीड़िता ने अपने साथ हुए दुष्कर्म के मामले में भारी दबाव के बावजूद काफी हिम्मत दिखाते हुए सच्चाई को सामने रखा। बलात्कारियों के चेहरे बेनकाब होना चाहिए लेकिन उन्हें काले कपड़े से ढक दिया गया। ऐसे मामलों में जब न्याय नहीं मिलता है तो फिर लोग फूलन देवी को याद करने लगते हैं। महिलाओं को अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए आगे आना होगा।